आत्म ज्ञान क्या है ? | परमात्मा की महिमा
➤इस वीडियो में यह समझाया गया है की वहम का इलाज भगवान है , शरीर की हलचल से श्वास बदल जाती है , श्वास को बदलने से शरीर बदल जाता है , प्रभु की अनुभूति कैसे करे , गृहस्थ , मुनि , संत , साधु सब एक ही है बस कर्म अलग अलग करने के कारण नाम अलग अलग है , जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि , ज्याकी रही भावना जैसी , मूरत दिखे उनको वैसी , साधना की अति खतरनाक है .
➤केवल बैठकर ध्यान शरीर के लिए सही नहीं है , शरीर से घृणा बीमारियों का कारण है , दुखी होकर शरीर का त्याग नहीं बल्कि अपने आप छूटे , साधना से शरीर नया होता है , श्वस्थ शरीर के बिना साधना असंभव है , शरीर के अंग भावों से नियंत्रित होते है , मन की मलीनता ही सब रोगों की जड़ है.
➤इस वीडियो में यह समझाया गया है की वहम का इलाज भगवान है , शरीर की हलचल से श्वास बदल जाती है , श्वास को बदलने से शरीर बदल जाता है , प्रभु की अनुभूति कैसे करे , गृहस्थ , मुनि , संत , साधु सब एक ही है बस कर्म अलग अलग करने के कारण नाम अलग अलग है , जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि , ज्याकी रही भावना जैसी , मूरत दिखे उनको वैसी , साधना की अति खतरनाक है .
➤केवल बैठकर ध्यान शरीर के लिए सही नहीं है , शरीर से घृणा बीमारियों का कारण है , दुखी होकर शरीर का त्याग नहीं बल्कि अपने आप छूटे , साधना से शरीर नया होता है , श्वस्थ शरीर के बिना साधना असंभव है , शरीर के अंग भावों से नियंत्रित होते है , मन की मलीनता ही सब रोगों की जड़ है.