निराकार का जवाब : आप के मन में इस
प्रश्न का उठना ही आप और आप के पैसे के बीच एक दिवार का रूप ले रहा है . इसलिए आप
का पैसा आप के पास नहीं आ पा रहा है . अर्थात जब आप क्रियायोग ध्यान का गहरा
अभ्यास करते है तो यह दिवार खुले रास्ते में रूपांतरित होने लगती है और आप का पैसा
आप के पास पूर्ण सही समय पर आ जाता है . इसलिए जब भी आप के मन में यह प्रश्न आये , आप अपने आप को
याद दिलाये की आप परमात्मा की संतान है और जिन सज्जन से आप पैसे मांगते है वह भी
परमात्मा की संतान ही है . अर्थात आप का ही सच्चा मित्र है . पर आप ने अभी इस
मित्र से पैसे के कारण दूरी बना रखी है . या क्रियायोग के अभ्यास से आप को यह पता
चलेगा की वास्तव में आप इस सज्जन से पैसे मांगते भी है या नहीं . कई बार हमे तो यह याद रहता है की मुझे किसी व्यक्ति से दस
हज़ार रूपये लेने है और बाद में पता चला की मेरी पत्नी ने तो आधे पैसे पहले ही ले
लिए थे जब आप बाहर किसी काम से गए हुए थे और आने के बाद भी आप की पत्नी ने आप से
नहीं कहा . क्यों की पैसा है ही ऐसी चीज अच्छे अच्छे के मन में लोभ लालच पैदा कर
देता है . इसलिए आप चिंता बिलकुल ना करे .
सबसे जरुरी बात आप अपने भीतर झांककर यह भी पता
करे की आप ने खुद ने सभी बकाया चूका दिया है या नहीं . यदि अभी तक आप
ने खुद ने ही दूसरों को नहीं दिया है और आप यह सोच रहे है की मेरा पैसा आते ही मै
सबसे पहले मेरा कर्जा चुकाऊंगा . ठीक है यह आप दूसरों के हित में अच्छा सोच रहे है
पर साथ ही यह भी पता करे की अभी वर्तमान में आप के पास ऐसा क्या है जिसे बेचकर या
किसी से कम ब्याज पर लेकर आप पहले पैसे चूका दे . क्यों की कई बार हम क्या करते है
की हमारे सभी खर्चे तो बिंदास चलते है पर जिनसे हमने लिया है उनको पैसा हम तब
देंगे जब हमारा रुका हुआ पैसा वापस आएगा . यह बात मेरे ज्यादातर मित्रों को आसानी
से हजम नहीं हो पायेगी . क्यों की यदि अभी मुझे ही कोई कहे की आप के पास क्या कमी
है आप तो इसे बेचकर जो पैसा आये उससे अपना बकाया पहले चूका दो और फिर जब आप का
दिया हुआ पैसा आप के पास आ जाए तो फिर उस पैसे से नयी प्रॉपर्टी खरीद लेना . तो मै
दस बहाने बना लूंगा पर राजी राजी किसी भी चीज़ को नहीं बेचूंगा .
पर यदि मेरी बेटी की शादी है या कोई घर में
बीमार हो गया है अर्थात मेरी जरुरत के लिए तुरंत कम दामों में भी प्रॉपर्टी बेच
दूंगा पर यदि बात मेरी उधारी चुकाने की तो मै जब तक सामने वाला मोटा ब्याज नहीं
लगायेगा या कोई बड़ा झगड़ा नहीं रोपेगा तब तक मै दूसरों के पैसे पर गहरी नींद में
सोता ही रहूँगा . इसलिए हमें क्रियायोग ध्यान का गहरा अभ्यास अवश्य करना
चाहिए ताकि हम जिस प्रकार से खुद के साथ न्याय करते है ठीक इसी प्रकार दूसरों के
साथ भी न्याय करे . यदि आप ऐसी आदत विकसित करने में कामयाब हो गए तो फिर आप का
परमात्मा में समर्पण घटने लगेगा और ‘मेरा पैसा कब आएगा‘ जैसे विचारों की जगह संतुष्टि भरे विचार आप के मन में आने
लगेंगे . आप जागने लगेंगे और आप को अहसास होने लग जायेगा की बहुत जल्द आप का पैसा
आप के पास आने वाला है .
आप यह भी गौर करे की कही सामने वाले को आपने पैसा मांग मांग
के कही तंग तो नहीं कर दिया और सामने वाले व्यक्ति को अभी आपकी परेशानी समझ में
नहीं आ रही है और वह पहले से ही बहुत दुखी है तो हो सकता है वह आप के खिलाप कोई
गलत कदम उठा ले . आप इसे ऐसे समझे जैसे आप पैसे को लेकर पहले से ही बहुत
परेशान है और आप को कोई दूसरा व्यक्ति उसके खुद के पैसे के लिए रोज तंग करे तो आप
क्या करेंगे ?
या तो आप चिंता करेंगे
या घर में झगड़ा करेंगे
या कम दामों में प्रॉपर्टी बेच देंगे
या मांगने वाले को डरायेंगे
या कुछ भी कदम उठा सकते है . यह सब आप की समझ पर निर्भर करता है .
इसलिए आप लगातार क्रियायोग ध्यान का पूर्ण विश्वास के साथ
अभ्यास करे और सब कुछ परमात्मा पर छोड़ दे . फिर देखे चमत्कार . आप का सारा अटका
हुआ पैसा घर बैठे आयेगा. धन्यवाद जी . मंगल हो जी
.