दोस्तों मै आज आप की उस समस्या का स्थायी समाधान समझाने जा रहा हूँ , जिससे आज पूरी दुनियाँ परेशान है . अर्थात ‘पड़ोसी परेशान क्यों करता है ?’ प्रश्न का स्थायी समाधान इस लेख में दिया गया है.
Table Of Contents :
- पड़ोसी किसे कहते है
- परेशानी किसे कहते है
- पड़ोसी परेशान क्यों करता है
- पड़ोसी को कैसे समझाए
- पड़ोसी से सम्बन्ध अच्छे कैसे रखे
- पड़ोसी को कैसे समझे
- पड़ोसी से प्रेम कैसे करे
- पड़ोसी को खुश कैसे रखे
- पड़ोसी से हमे क्या फायदा होता है
- पड़ोसी का होना क्यों अच्छा है
- पड़ोसी नहीं हो तो क्या होगा
इस प्रकार से पड़ोसी से सम्बंधित और भी फायदे है .
सबसे पहले ‘पड़ोसी किसे कहते है’ के बारे में बात करते है .
पड़ोसी परेशान क्यों करता है से पहले जाने ‘पड़ोसी किसे कहते है’
- जो व्यक्ति हमारे घर के पास ही रहता हो
- जिसका खेत हमारे खेत से जुड़ा हो
- जिसका व्यवसाय हमारे व्यवसाय के पास ही हो
- जो व्यक्ति हमारे मन में बस चुका हो और अब परेशान करता हो
इस प्रकार से और भी कई प्रकार के पड़ोसी होते है . अब हम ‘परेशानी किसे कहते है’ के बारे में बात करते है .
परेशानी किसे कहते है
- जो भी घटना हमारे मन को अच्छी नहीं लगे
- जो भी अनुभूति मन को अरुचिकर लगे
- जो भी व्यक्ति हमारे को बेवजह दुःख पहुँचाये
- शरीर में ऐसे परिवर्तन होते हो जो अच्छे नहीं लगते हो
अभी तक हमने पड़ोसी और परेशानी किसे कहते है को समझा . अब समझते है आखिर ‘पड़ोसी परेशान क्यों करता है’ |
पड़ोसी परेशान क्यों करता है ?

इस प्रश्न का जवाब मै दो प्रकार से दे रहा हूँ :
- मायावी जवाब (जीव भाव)
- परमात्मा का जवाब (आत्म भाव)
पड़ोसी परेशान क्यों करता है का मायावी जवाब (जीव भाव)
- या तो हम किसी से भी सुन लेते है की तेरा पड़ोसी तो बहुत खराब है
- जो कोई भी हमारे पड़ोसी के बारे में कुछ भी बुरा कह देता है हम तुरंत मान लेते है
- हम ने खुद ने ही ऐसी सोच बना ली है की आज फिर ये पड़ोसी परेशान करेगा
- हमने पड़ोसी के गुणों को देखना बंद करके अवगुणों को देखना शुरू कर रखा है
- ऐसा पड़ोसी हमारा ही क्यों बना . क्यों की हमने ही इससे कभी सम्बन्ध बनाये थे
- हम हमारे घर की चिंता छोड़कर पड़ोसी के घर में क्या चल रहा है उसका पता लगाते रहते है
- हमने खुद ने ही हमारी नज़र ही ऐसी बनाली की पड़ोसी में हमे बुराई ही दिखती है
- या पहले तो हमने इस पड़ोसी के साथ खूब मस्ती करली अब जागने पर नहीं करना चाहते है
- या पहले तो पड़ोसी को खूब मुँह लगा लिया अब वह भी आप के मुँह लगना चाहता है
- या पहले तो आप ने खुद ने ही अपना सारा भेद दे दिया , अब वह आप को कुछ नहीं समझता है
- वास्तविक भला करना किसे कहते है इसके ज्ञान के बिना ही आप ने पड़ोसी का खूब भला कर दिया
- या आप ने पड़ोसी से पहले खूब सारे वादे कर लिए , अब आप इन वादों को पूरा नहीं कर रहे है
कुछ व्यक्तियो के लिए निम्न मायावी जवाब भी लागु होते है :
- या आप ने जीवन में कभी भी खुद के खेत की सीमा पर बिना पड़ोसी को सूचित किये काम छेड़ दिया
- पड़ोसी आप की गलतियों को बताकर आप को सुधारना चाहता है और आप उसको
- या आप के घर वाले पड़ोसी की बुराई करते है और आप इसे स्वाद लेकर सुनते है
- पड़ोसी आप की निंदा करके आप के बुरे कर्म काटना चाहता है और आप बुरे ही बने रहना चाहते है
- या आप पड़ोसी को सबक सिखाने के लिए कई प्रकार के टोने टोटको के चक्कर में पड़ गए है
- या पड़ोसी से राजीनामा करने के बजाय आप पैसे के दम पर नाच रहे है और लोग आप से पैसा खींच रहे है
- या किसी ने झूठी अफवाह फैला दी और आप बिना सच का पता किये तुरंत पड़ोसी से भिड़ गए
- या आप अपने अहंकार के कारण पड़ोसी के समक्ष झुकना नहीं चाहते फिर चाहे सीधे होकर लाखों रुपये लुट जाये
- या आप ने कभी पड़ोसी के साथ सच्चा व्यवहार नहीं किया है
- या पड़ोसी ने कभी आप को ठगा तो आप ने भी अब उसे ठगने का इरादा बना लिया हो
- या पड़ोसी को माफ़ करने के कितने अनगिनत फायदे है इसका अभी आप को ज्ञान नहीं है
- या अब आप इस पड़ोसी से डरने लग गए है इसलिए रात दिन अब आप को यही दिखता है
मै ‘पड़ोसी परेशान क्यों करता है’ के और भी मायावी जवाब आगे के लेखों में समझाऊंगा . अब बात करते है परमात्मा का जवाब (आत्म भाव) |
परमात्मा का जवाब (आत्म भाव)
- क्यों की आप और पड़ोसी दोनों एक ही है . पर आप इस एकता की अनुभूति नहीं कर पा रहे है
- बस शरीर और मन अलग अलग है . पर अभी आप इसे अनुभव नहीं कर पा रहे है
- आप दोनों के रूप में परमात्मा खेल खेल रहे है . इसलिए जो आप दे रहे है पड़ोसी वही आप को लोटा रहा है
- क्यों की पड़ोसी और आप के बीच दूरी शून्य है पर अंधे मन के कारण आप को दूरी का अनुभव होता है
- अभी आप कहते तो है की मुझे परमात्मा पर विश्वास है . पर सच में अभी आप को माया पर विश्वास है
- आप का पड़ोसी आप के संचित कर्मो का परिणाम है
- इस पड़ोसी के माध्यम से परमात्मा आप की परीक्षा ले रहे है और आप परीक्षा से भाग रहे है
- पड़ोसी के रूप में आकर परमात्मा आप के धैर्य को अनंत करना चाहते है पर आप आपा खोने में विश्वास रखते है
- पड़ोसी और आप कुछ भी नहीं कर रहे हो बल्कि आप के मन और शरीर के माध्यम से करवाया जा रहा है
- पड़ोसी के रूप में परमात्मा कह रहे है की ‘क्रियायोग ध्यान करो भैया’ अँधेरा छटेगा और उजाला होगा
- पड़ोसी कह रहा है की बुरा जो देखन मै चला , बुरा न मिलया कोय . जो खोजू भीतरी , मुझसे बुरा न कोय
कुछ व्यक्तियो के लिए निम्न परमात्मा के जवाब भी लागु होते है :
- पड़ोसी कह रहा है ‘निंदक नियरे राखिए आंगन कुटी छवाय, बिन पानी साबुन बिना निर्मल करे सुभाय’
- पड़ोसी कह रहा है की तू ऊपर वाले को तो बाद में प्रेम कर लेना पहले जो तेरी छाती पर बैठा है उसे तो प्रेम करके दिखा
- पड़ोसी कह रहा है की मै तब तक मानूंगा ही नहीं जब तक तू सुधरेगा नहीं
- पड़ोसी आप को क्रियायोग ध्यान का अभ्यास करा रहा है पर आप अभ्यास करना ही नहीं चाहते है
- परमात्मा आप को माया से मोह भंग करके खुद से जुड़ने को कह रहे है . इसलिए पड़ोसी जमीन काट रहा है
- परमात्मा कह रहे है तू सबकुछ मेरे भरोसे छोड़ दे , बस सत्य और अहिंसा को आधार बनाकर कर्म कर . तेरे पड़ोसी को तो मै सुधारूंगा
- पड़ोसी के रूप में मुझ परमात्मा को देखने का अभ्यास कर मेरे भोले बच्चे
- इसका मतलब अभी हम अँधेरे में किसी के चोर चोर चिल्लाने पर अपने ही दादा को डंडो से पीट रहे है .
और सच पता चलने पर फिर माथा पकड़ के रो रहे है
इस प्रकार से आज हमने जाना की ‘पड़ोसी परेशान क्यों करता है’ . अब असली मुद्दे की बात यह है की किस व्यक्ति के लिए कोनसा जवाब सही है . अर्थात आप के लिए मायावी जवाब सही है या परमात्मा का जवाब . इसका सही जवाब यह है की जब आप यह लेख पढ़ रहे है तो आप को खुद को ही धीरे धीरे पता चल जायेगा की आप के लिए कोनसा जवाब सही है .
अब बात करते है ‘पड़ोसी को कैसे समझाए’ |
पड़ोसी को कैसे समझाए
- जो भी कुछ आप पड़ोसी के बारे में सोच रहे हो उसे जाग्रत होकर सोचना शुरू करे
- जो भी आप को पड़ोसी के बारे में खबर दे रहा है पहले आप यह पता करे की वह आप का यह भला क्यों करना चाह रहा है
- पड़ोसी आप को परेशान करता है इसकी नौबत क्यों आयी इस सच को खुद के भीतर तलाशे
- अपने भीतर पता करे की आप ने जीवन में कभी भी ऐसी क्या गलतियाँ की है जिसका परिणाम यह आया है
- पड़ोसी को आप क्या शब्द बोल रहे है इस पर जाग्रत होकर एकांत में गौर करे
- पड़ोसी अपने घर में क्या कर रहा है इसमें आप रूचि क्यों ले रहे है इसका ध्यान करे
- पड़ोसी की बातों में कान लगाकर आप अपने कानों को क्यों ख़राब कर रहे है . इसका पता करे
- जो भाव आप पड़ोसी के लिए पैदा कर रहे हो वैसे ही भाव यदि पड़ोसी आप के लिए करे तो आप को कैसा लगेगा इसका अभ्यास के माध्यम से अनुभव करे . फिर देखे चमत्कार
क्या आप ने पड़ोसी को समझाने से पहले निम्न बातों पर गौर किया
- क्या आप ने कभी ऐसा अभ्यास किया की पड़ोसी ने आप की रोटी चुराई और आप सब्जी लेकर पहुँच गए हो
- क्या आप ने कभी ऐसा किया की जिसने आप से पड़ोसी की शिकायत की और आप ने उसी से मदद मांग ली
- क्या आप ने पड़ोसी को गलत साबित करने से पहले खुद को परमात्मा की नज़र में पाक साफ़ साबित कर लिया
- क्या आप ने पड़ोसी और खुद के बीच के सम्बन्ध में मर्यादा का पालन किया
- क्या आप ने पड़ोसी के परेशान करने पर परमात्मा को न्याय करने के लिए कहा
- क्या आप ने कभी इस पर गौर किया की जैसे बिना बीज बोये पेड़ नहीं उगता ठीक इसी प्रकार आप ने खुद ने ऐसे क्या बीज बोये जो अब ऐसे परेशानी के पेड़ उग रहे है
- क्या आप ने कभी पड़ोसी से निश्वार्थ प्रेम करने का अभ्यास किया
- क्या आप को कोई ऐसा व्यक्ति मिला जिसने यह कहा हो की पड़ोसी से झगड़ा नहीं प्रेम करो और मै इसमें आप की मदद करूँगा
पड़ोसी को समझाने के लिए ये भी समझें
- क्या आप ने कभी यह गौर किया की आप के खुद के बच्चे ने लाखों का नुक्सान दे दिया और आप चुप रहे . और पड़ोसी आप के पांच हज़ार रुपये नहीं दे रहा है . और आप ने कोर्ट कचहरी में दस हज़ार रुपय खर्च कर दिए
- पड़ोसी के परेशान करने से पहले क्या आप ने खुद ने अपने माल को पूरी तरह सुरक्षित कर लिया था
- क्या आप ने कभी परमात्मा का ध्यान करते हुए पड़ोसी के लिए मंगल कामना की
- क्या आप ने कभी पड़ोसी की निश्वार्थ मदद की
- क्या आप ने कभी पड़ोसी को समझने की कोशिश की
- क्या आप ने कभी पड़ोसी झगडे के समय आप को क्या क्या शब्द बोल रहा है उन को जाग्रत होकर समझने की कोशिश की
- जब आप क्रियायोग ध्यान का अभ्यास करेंगे तो आप को पड़ोसी को समझाने की नहीं खुद को समझने की जरुरत है इसका सच पता चलने लगेगा
इस प्रकार से जब आप खुद में एकाग्र होने लगेंगे तो :
- भीतर से जवाब आयेगा की पड़ोसी कैसे समझेगा
- इस एकाग्रता से आप के पड़ोसी से रिश्ते मधुर होने लगेंगे
अब बात करते है ‘पड़ोसी से सम्बन्ध अच्छे कैसे रखे’ |
पड़ोसी से सम्बन्ध अच्छे कैसे रखे

- जरुरत हो तभी बात करे
- पड़ोसी के लिए हमेशा सकारात्मक सोच रखे
- किसी की बातों में आकर सीधे पड़ोसी से लड़ने नहीं चले जाये
- यदि पड़ोसी ने गलती कर भी दी तो आप निर्मल भाव से बात करे
- व्यवहार इतना ही रखे जो निभ सके
- बड़े बड़े वादे करना बंद करे
- अपने पड़ोसी की बुराई किसी से न सुने
- अपने पड़ोसी की बुराई किसी से न करे
- पड़ोसी को अपने शादी समारोह में पूरा सम्मान दे
- पड़ोसी की आर्थिक स्थिति आप से अच्छी है तो आप को खुश हो जाना चाहिए
- पड़ोसी की आर्थिक स्थिति आप से खराब है तो उसकी निश्वार्थ मदद करे
इस प्रकार से मेने उपरोक्त कुछ उपाय बताये है . जब आप इन उपायों को अभ्यास के माध्यम से अपनायेंगे तो पड़ोसी से आप के सम्बन्ध शत प्रतिशत अच्छे हो जायेंगे .
मेरे दोस्त अब बात करते है : पड़ोसी को कैसे समझे |
पड़ोसी को कैसे समझे
- जब आप खुद को समझने लगेंगे तो पड़ोसी को अपने आप समझने लगेंगे
- जब आप क्रियायोग ध्यान का अभ्यास करेंगे तो पड़ोसी के भीतर क्या चल रहा है आप महसूस करने लगेंगे
- क्रियायोग ध्यान के अभ्यास से पड़ोसी के दिल के दर्द को आप महसूस करने लगते है
- पड़ोसी की बातों से
- उसकी दिनचर्या से
- उसकी संगति से
- उसके व्यवहार
- जब आप पड़ोसी की सुनना शुरू करेंगे
- जरुरत के समय जब आप उसकी मदद करेंगे तो ही वह उसके मन की बात आपको बतायेगा
- पड़ोसी के ख़ुशी के अवसर के बजाय जब आप उसके साथ दुःख के समय खड़े रहेंगे
- जब आप पड़ोसी को उसकी कमीया गिनाने के बजाय उसके अच्छे कार्यो की सराहना करेंगे
- जब आप समाज में अपने पड़ोसी की निंदा के बजाय तारीफ करेंगे
इस प्रकार से जब आप क्रियायोग ध्यान का अभ्यास पूर्ण मनोयोग से करेंगे तो आप पड़ोसी को समझने लगेंगे . अब आगे बात करते है पड़ोसी से प्रेम कैसे करे ?
पड़ोसी से प्रेम कैसे करे
- पड़ोसी के व्यवहार को स्वीकार करने का अभ्यास करे
- पड़ोसी में परमात्मा का रूप देखने का अभ्यास करे
- पड़ोसी से अपेक्षा न रखे
- जिस प्रकार घर वालो को आप झेल रहे है वैसे ही पड़ोसी को झेलने का अभ्यास करे
- जिस प्रकार खुद से गलती हो जाती है फिर भी खुद को प्रेम करते है ठीक इसी प्रकार पड़ोसी के लिए सोचे
- आप के कार्यो से पड़ोसी को तकलीफ ना हो इसका ध्यान रखे
- पड़ोसी से पैसो का व्यवहार ना रखे
- अगर पैसे दे भी दिए है तो प्रेम से ही अपने पैसे मांगे
- अगर पड़ोसी पैसे खा भी जाये तो उसकी किसी से चर्चा न करे
- जैसे आप को खुद को आगे बढ़ना अच्छा लगता है ठीक ऐसे ही भाव पड़ोसी के लिए रखे
जब आप उपरोक्त आदतों को विकसित करने का अभ्यास करेंगे तो आप अपने पड़ोसी से प्रेम करने में धीरे धीरे सफल होने लगेंगे . दोस्त अब बात करते है पड़ोसी को खुश कैसे रखे.
पड़ोसी को खुश कैसे रखे
- समय समय पर अपने पड़ोसी को उदार मन से खाने पर बुलावे
- पड़ोसी से सम्बंधित छोटे छोटे खर्चो पर ज्यादा उलझे नहीं
- कभी कभी पड़ोसी के साथ घूमने निकल जाये पर मर्यादा का ध्यान रखे
- पड़ोसी के साथ कुलड़ी में गुड़ न फोड़े
- समय समय पर पड़ोसी के साथ खेलने का प्रोग्राम बनाये
- यदि आप के पास समय है और पड़ोसी के काम ज्यादा है तो उसकी मदद करे
- अपने सच्चे कर्मो से पड़ोसी के भीतर विश्वास पैदा करे
- यदि आप के पास बड़ी गाड़ी है और आप के बच्चे और पड़ोसी के बच्चे एक ही स्कूल में जाते है तो कभी कभी उसके बच्चो को भी स्कूल छोड़ दे
- छोटी छोटी बातों के लिए पड़ोसी को न आजमाए
- हमेशा पड़ोसी के साथ सकारात्मक चर्चा ही करे
- पड़ोसी के साथ हमेशा आत्मा के उत्थान की बाते ही करे
मेरे दोस्त आज मेने ‘पड़ोसी क्यों परेशान करता है’ के ऊपर प्रभु कृपा से उपरोक्त कुछ अंश लिखे है . यदि आप को इस जानकारी से लाभ हो तो मुझे आप कमेंट करके अवश्य बताये . और यदि आप के कोई प्रश्न हो तो आप मुझे कमेंट करके अवगत करा सकते है . प्रभु की इच्छा होगी तो आप को आपके प्रश्नों का सच्चा जवाब अवश्य ही मिलेगा .
उपरोक्त शेष तीन प्रश्नों के उत्तर मै आप को आगे के लेखों में दूंगा .
उपरोक्त शेष तीन प्रश्न :
- पड़ोसी से हमे क्या फायदा होता है ?
- पड़ोसी का होना क्यों अच्छा है ?
- पड़ोसी नहीं हो तो क्या होगा ?