मेरे दोस्त आप इस लेख में और इससे सम्बंधित आगे के लेखों में ‘पेट के रोगों का इलाज कैसे करे’ के बारे में विस्तार से समझेंगे . इसलिए स्वरुप दर्शन के इन लेखों को आप बहुत ही ध्यान से पढ़ने का अभ्यास करे .

पेट के रोग क्यों होते है ?
क्यों की :
- भोजन की प्रकृति को नहीं समझना
- भोजन और पेट के सम्बन्ध को नहीं समझना
- पेट को कम या ज्यादा करने के चक्कर में भोजन करना
- वजन कम या ज्यादा करने के चक्कर में भोजन करना
- अप्राकृतिक भोजन करना
- अनियमित भोजन करना
- भोजन का ठीक से नहीं पचना
- विरुद्ध आहार करना (जैसे दही में नमक और मिर्च)
- भोजन पचाने के लिए दवाओं का इस्तेमाल करना
- स्वाद के चक्कर में ज्यादा भोजन करना
- कमजोर होने के डर से जबरदस्ती भोजन करना
- पेट भर के भोजन करना
- बहुत कम मात्रा में भोजन करना
- पेट का किसी प्रकार का ऑपरेशन हुआ हो
- पेट का सही व्यायाम नहीं करना
- पेट में प्राण शक्ति का कम पहुँचना
- शारीरिक श्रम अधिक करना
- शारीरिक श्रम बहुत कम करना
- नाभि तक श्वास का नहीं पहुँचना
इस प्रकार से और भी अनेक कारण होते है. आगे के लेखों में पेट के रोगों के अन्य कारणों के बारे में समझाया जायेगा .
अब उपरोक्त ‘पेट के रोगों के कारणों’ को कैसे दूर करे ?
- क्रियायोग ध्यान क्या है पहले इसे समझे
- पेट के लिए क्रियायोग ध्यान क्या है फिर इसे समझे
- मन में यह संकल्प करे की मुझे पेट को ठीक करना है
- मन में पहले यह विश्वास करे की मेरा पेट शत प्रतिशत ठीक हो जायेगा
- सुने सबकी पर करे आत्मा की
- पेट के रोगों के कारणों को क्रियायोग ध्यान से दूर करे
- क्रियायोग ध्यान क्या है इसके लेख इसी वेबसाइट पर पढ़े
अब पेट के रोगों का इलाज करने के लिए भोजन की प्रकृति समझे
मेरे दोस्त इस संसार में हर एक चीज हमारे शरीर को प्रभावित कर रही है . क्यों की हम सभी जीव जंतु और पदार्थ एक दूसरे से जुड़े हुए है . इसलिए भोजन भी हमारे शरीर को प्रभावित करता है . ज्ञानियों ने कहा है की जैसा अन्न वैसा मन . अर्थात जैसा हम अन्न खायेंगे हमारा पेट वैसा ही बनता जायेगा.
भोजन तीन प्रकार का होता है:
- सात्विक भोजन
- राजसिक भोजन
- तामसिक भोजन
सात्विक भोजन
- जो भोजन सत्य और अहिंसा का पालन करते हुए तैयार होता है
- इसमें सकारात्मक विचारों का समावेश बहुत ज्यादा होता है
- बीज और फल जो पूर्णतया सही से पक गए हो
- जो भोजन पवित्र मन से तैयार किया गया हो
- जिसे सच्ची प्रार्थना से और कल्याण के लिए बनाया गया हो
- जिसमे खटरस अर्थात सभी छः स्वाद शामिल किये गए हो
- जिसे मेहनत और ईमानदारी से प्राप्त किया गया हो
- जो भोजन मानव को महामानव में बदलता हो
- जो भोजन हमारे को परमात्मा से जोड़ता हो
- जो भोजन हमें जाग्रत करता हो
- जिस भोजन से मन संतुलित रहता हो
- जिस भोजन से हमारी आयु बढ़ती हो
इस प्रकार से मै सात्विक भोजन को आगे के लेखों में और विस्तार से समझाऊंगा .
राजसिक भोजन
- जिस भोजन में शक्ति से ज्यादा स्वाद को महत्व दिया गया हो
- .जिस भोजन में अधिक मीठा , अधिक नमकीन और अधिक खट्टा शामिल किया गया हो
- .जिस भोजन में अधिक मिर्च मशालों का प्रयोग किया गया हो
- .जिस भोजन में कई प्रकार के पकवान शामिल किये गए हो
- .जो भोजन पचने में गरिष्ट हो
- .जो भोजन पूर्णतया सत्य और अहिंसा से तैयार नहीं किया गया हो
- .जिस भोजन में अहंकार भाव ज्यादा हो
- . जो भोजन उत्तेजना पैदा करता हो
- . जिस भोजन में प्राण शक्ति कम और स्वाद ज्यादा हो
- . जो भोजन राजाओं का हो
- .जिस भोजन की प्रकृति से छेड़छाड़ करके ज्यादा देर तक अग्नि पर पकाया गया हो
- .जिस भोजन के प्राकृतिक पदार्थो को अधिक बदला गया हो(जैसे सेब या केले को अग्नि पर खूब पकाना)
इस प्रकार से मै राजसिक भोजन के बारे में आगे के लेखों में और विस्तार से समझाऊंगा.
तामसिक भोजन
- जिस भोजन को प्राप्त करने में हिंसा की गयी हो
- जो भोजन बासा हो गया हो
- जो भोजन बहुत खट्टा हो गया हो
- जो भोजन दुर्बल जीवों को मारकर तैयार किया गया हो
- जो भोजन अपनी प्राकृतिक अवस्था पूर्णतया खो चूका हो
- जिस भोजन को तैयार करने के दौरान मन बहुत ही अशांत हो
- जिस भोजन को किसी से या कही से चुराकर लाया गया हो
- जिस भोजन का स्वाद बढ़ाने के लिए उसे सड़ाया जाता हो
- जिस भोजन में प्राण शक्ति बहुत ही कम मात्रा में हो
- जो भोजन प्रकृति से प्राप्त होने के बाद बहुत बदला गया हो (जैसे पुराने आचार ,मांश ,प्रचुर खमीर)
- जो भोजन हमें बहुत आलस्य देता हो
- जिस भोजन में नकारात्मक विचारों का समावेश बहुत ज्यादा हो
इस प्रकार से मै तामसिक भोजन के बारे में आगे के लेखों में और विस्तार से समझाऊंगा .
इस प्रकार से मेने आप को भोजन की मुख्यतया तीन प्रकार की प्रकृतियों के बारे में समझाया है . भोजन की प्रकृति का सीधा सम्बन्ध पेट के रोगों से होता है .
मेरे दोस्त मै आप को आगे के लेख में ‘सात्विक भोजन का पेट के रोगों पर क्या प्रभाव पड़ता है ‘ के बारे में समझाऊंगा .