जैसे आप ने किसी अन्य व्यक्ति को चोर कहा तो इस सुनने वाले
व्यक्ति को आप के ऊपर क्रोध आयेगा. चोर कहने पर क्या क्या प्रभाव उत्पन्न होंगे यह
निर्भर करेगा की सामने वाले व्यक्ति के मन में चोर शब्द (एक विशेष प्रकार की ऊर्जा
) को लेकर किस प्रकार की जानकारियाँ मन के डेटाबेस में जमा है . अब यदि आप चाहते
है की सच में इस व्यक्ति ने आप का सामान चुराया है और आप के चोर कहने पर यह
व्यक्ति आप के सामने समर्पण करदे अर्थात आप का सामान वापस देदे तो आप इसे माफ़ कर
देंगे . और अब आप के मन में इस व्यक्ति को लेकर चोर रुपी भावना कमजोर पड़ जाती है
और यदि यह व्यक्ति गहरा समर्पण कर दे तो आप के मन से चोर रुपी भावना ईमानदारी रुपी
भावना में बदल जाती है और एक कारण रुपी भावना मन में जमा हो जाती है की इस व्यक्ति
ने तो अज्ञान के कारण मेरा सामान चुराया था .
अर्थात मन के डेटाबेस से किसी भावना को दूसरी भावना से
प्रतिस्थापित करना होता है तो निराकार
शक्ति एक कारण रुपी भावना भी प्रकट करती है . जैसे आप को अभी पानी नहीं
पीना है तो जब सामने वाला व्यक्ति आप को पानी के लिए कहता है तो आप पानी पिने से
मनाकर कर देते है . पर आप ध्यान दे की आप सीधे सीधे यह कभी नहीं कहते है की ‘नहीं ‘. बल्कि आप यह कहते
है की अभी प्यास नहीं है या मुझे अभी पानी नहीं पीना है . अर्थात एक ज्ञान इस मना
करने के पीछे यह छिपा है की प्यास नहीं लगने के कारण मेने पानी पिने से मना किया
है .
इस प्रकार से आप क्रिया योग ध्यान के अभ्यास से अपने मन को
कैसे रिप्रोग्राम करना है इसका ज्ञान अनुभव करने लगते है और अब आप का जीवन एक बहाव
की तरह आप को अनुभव होने लग जाता है .
आपका अहंकार भाव ज्ञान में रूपांतरित होने लगता है की मै
कुछ भी नहीं कर रहा हूँ . धन्यवाद जी . मंगल हो जी .