…..आप को यह पता
चलने लगता है की किस प्रकार से खट्टेपन के संचित संस्कार अवचेतन मन के भीतर से
उठकर बुद्धि की सहमति से बाहर सभी को आकर बताते है की निम्बू खट्टा होता है . और
साथ ही यह भी पता चलता है की पहली बार आप खुद ने ही इस रस के स्वाद का नाम खट्टा
लिखा था और बुद्धि को कह दिया था की कोई पूछे तो आप जीभ के माध्यम से कहलवा देना
की निम्बू खट्टा होता है .
इस प्रकार से
निराकार शक्ति यह समझा रही है की मै और आप दो अलग अलग नहीं है बल्कि मै ही सब जगह
हूँ . अर्थात अब आप को यह ज्ञान हो जायेगा की जो मन को बुरी घटना लग रही थी वह
वास्तविक रूप में बुरी घटना नहीं है बल्कि खुद निराकार शक्ति ही ऐसी घटना के रूप
में प्रकट हो रही है और इस अमुक प्रकार की घटना को लेकर बुद्धि में यह संस्कार
निर्मित किया है की जब भी इस व्यक्ति की आँखे बाहर या सपने में या भीतर इस घटना से
मिलती झुलती कोई नयी घटना देखे तो इसके मन में डर रुपी संस्कार को निर्मित करके
पोषित करते रहना है और यदि आप अब इस बुरी घटना को मन से बाहर निकालना चाहते है तो
आप क्रियायोग ध्यान के अभ्यास से इस घटना के सभी संस्कारो को एक एक करके जिस भी
रूप में आप रूपांतरित करना चाहते हो तो आप शत प्रतिशत कर सकते हो . पर केवल एक ही
शर्त है की पहले आप विश्वास करो की आप खुद इस शरीर और मन के रूप में कार्य नहीं कर
रहे हो बल्कि आप के माध्यम से खुद निराकार शक्ति यह सब कार्य कर रही है . निरंतर
क्रियायोग ध्यान के गहरे अभ्यास से आप इस संसार को जैसा देखना चाहते है आप वैसा ही
देखेंगे . और एक समय ऐसा आता है की आप को पूर्ण ज्ञान की प्राप्ति हो जाती है . धन्यवाद जी .
मंगल हो जी .