जैसे आप ने अनलिमिटेड कॉल्स और 2 GB डाटा का 56 दिन का प्लान रिचार्ज कराया है . अब आप यह समझते है की मैंने तो अनलिमिटेड कॉल्स और 2 GB का पैसा कंपनी को दिया है मुझे तो इसका पूरा लाभ मिलेगा . पर शायद आप यह जानकर हैरान हो जायेंगे की फिर कभी कभी इंटरनेट धीमा क्यों हो जाता है और कभी कभी हम किसी को फ़ोन क्यों नहीं लगा पाते है ?
इसका वास्तविक कारण यह होता है की इसे आप एक उदाहरण से समझ सकते है :
जैसे इंटरनेट कंपनी रोजाना 5 लाख GB डाटा का उत्पादन करती है . तो इसी मेसे ट्यूबवेल से पानी की सप्लाई के कनेक्शन की तरह अपने ग्राहकों को डाटा बेचती है . जैसी किसी को 2 GB रोजाना का दिया है और किसी को 1.5 GB रोजाना का दिया है . पर आप यह जानते है की हमारे घर में पानी के नल से कई बार पानी कम आता है या कभी कभी तो आता ही नहीं है जबकि हमने तो पानी का पैसे देकर कनेक्शन ले रखा है . फिर हम भागे भागे पानी सप्लाई करने वाले भैया के पास जाते है और उसको डाट पिलाके आते है की भाईसाहब पानी नहीं आ रहा है मै तो आपको पानी का पैसा भी समय से पहले दे रही हूँ . अब भाईसाहब क्या करे जब ट्यूबवेल से पानी ही कम आ रहा है या कनेक्शन ही ज्यादा लोगों को दे रखा है . ठीक इसी प्रकार यदि रोजाना सभी गाहक अपने प्लान के मुताबिक अनलिमिटेड कॉल्स करने लग जाए और 2 GB डाटा पूरा काम में लेने लग जाए तो इंटरनेट कंपनी को अपने लगभग आधे ग्राहकों को मना करना पड़ेगा या रिचार्ज कीमत इतनी ज्यादा करदी जायेगी की अपने आप ही वे लोग ही मोबाइल रिचार्ज करा पाएंगे जो इस बढ़ी हुयी कीमत पर भी रिचार्ज कराने में सक्षम है .
इसलिए हम ऐसे ही राजी होते रहते है की मुझे तो अनलिमिटेड प्लान मिल गया है अब मै कितना ही इसे प्रयोग करूँ मुझे कोई रोकने वाला नहीं है . और यह कंपनी तो बहुत अच्छी है देखो इतने से पैसे में ही अनलिमिटेड चीजे बाँट रही है .
अर्थात प्रभु यह समझा रहे है की आप पैसा देकर प्रकृति के विरुद्ध जाकर कुछ भी नहीं खरीद सकते है और ना ही कुछ बेच सकते है . सब कुछ ऊर्जा है जो फिक्स है पर अलग अलग रूपों में व्यक्त हो रही है . जब आप किसी को कॉल कर रहे है और उसी समय दूसरा व्यक्ति किसी अन्य तीसरे व्यक्ति को कॉल कर रहा है पर मोबाइल कंपनी इन दोनों कॉल्स को यदि एक ही वायरलेस कनेक्शन से सम्पादित कर रही है तो फिर दोनों कॉल ठीक से नहीं लग पाते है . जिसे हम नेटवर्क समस्या के रूप में जानते है .
इसलिए हमे यह समझना चाहिए की प्रकृति के जिन संसाधनों का हम रोज प्रयोग करते है हमारी भी उतनी ही जिम्मेदारी है की हम उनकी सेवा में हर पल लगे रहे . जैसे पेड़ से ऑक्सीज़न से लेते है तो हमे पेड़ों की सेवा करनी चाहिए .
ठीक इसी प्रकार से हम हमारे दिमाग की सहायता से भोजन करते है , पानी पीते है और ऐसे अनेक कार्य करते है ताकि हमारा जीवन खुशियों से भरा रहे . तो फिर हमे फालतू के विचारों को बार बार सोचकर हमारे दिमाग को कमजोर नहीं करना चाहिए . क्यों की हर विचार ऊर्जा खाता है . पर जब हम परमात्मा से जुड़ जाते है तो हम अनंत ऊर्जा के स्त्रोत से जुड़ जाते है . पर इसका मतलब यह नहीं है की फिर आप कुछ भी करे . आप फिर भी प्रकृति के विरुद्ध जाकर कोई कार्य नहीं कर सकते . क्यों की धर्म हमारी रक्षा करता है . इसलिए हमे मोबाइल का इस्तेमाल वास्तविक जरूरतों को पूरा करने के लिए ही करना चाहिए . न की घंटो यह बाते करने के लिए की तू कहा गया था , वो क्या कर रहा है , यह ऐसे क्यों हो रहा है , उसने मुझे ऐसा कैसे बोल दिया . ऐसे फालतू के वार्तालाप से मोबाइल कॉल और डाटा को खर्च करके हम उस वास्तविक जरुरत मंद व्यक्ति को चोट पहुंचाते है जो हमारे कारण नेटवर्क व्यस्थ होने से मोबाइल पर जरुरी बात नहीं कर पाता और इंटरनेट का प्रयोग नहीं कर पाता है .
अर्थात परमात्मा कह रहे है की आप मोबाइल का प्रयोग भी क्रियायोग ध्यान के गहरे अभ्यास से सीख सकते हो . इसे ही प्रभु का प्रेम कहते है . धन्यवाद जी . मंगल हो जी .