मेरे दोस्त अब तक हमने विचार क्या है और विचारों का प्रभाव क्या है को समझा है .
अब बात करते है की विचारों पर नियंत्रण कैसे करे ?. विचारों पर नियंत्रण का अर्थ होता है :
- विचारों को कैसे बदले (how to change thoughts)
- नये विचार कैसे पैदा करे (how to create thoughts)
- विचारों को कैसे मिटाये (how to delete thoughts)
जो की हम इस लेख में अभ्यास के माध्यम से विस्तार से समझने जा रहे है.
विचारों पर नियंत्रण करके विचारों को कैसे बदले

मुझे पूरा विश्वास है की आप अपने स्वरुप दर्शन के लिए इस लेख को ध्यान से पढ़ रहे है.
अर्थात मै यह समझता हूँ की आप इस लेख के प्रति पूर्ण समर्पित है .
क्यों की क्रियायोग ध्यान को सिखने के लिए समर्पण भाव का होना पहली शर्त है .
और मै जो आप के साथ यह लेख साझा कर रहा हूँ वास्तविक रूप में हम क्रियायोग ध्यान का अभ्यास ही कर रहे है .
आइये आप अपने विचारों को कैसे बदले
आप इसी समय क्रियायोग ध्यान का अभ्यास निम्न प्रकार से करे :
- सबसे पहले आप इस लेख को तब तक बार बार पढ़े जब तक आप का मन इस लेख में दिए गए अभ्यास के लिए राजी नहीं हो जाता है
- और आपका मन इस क्रियायोग ध्यान के अभ्यास के लिए राजी तभी होगा जब यह लेख आप को शत प्रतिशत सही से समझ में आ जायेगा
- अब मेने मान लिया है की आप को यह लेख समझ में आ गया है
इसलिए अब अभ्यास शुरू करते है…..
- सबसे पहले आप अपने शरीर की स्थिति को याद करे . जैसे आप बैठे है या चल रहे है या सो रहे है या काम कर रहे है
- अब अपने मन में शरीर की स्थिति को जाँचे
- अपने मन के माध्यम से शरीर को ऐसी स्थिति में लेकर आये जो मन को रुचिकर लगे
- क्यों की आगे का अभ्यास आप तभी कर पायेंगे जब आप का मन थोड़ा सहज होगा
- अब आप अपनी श्वास को महसूस करे
- इसी के साथ आप अपनी आँखों को इतना ही खोले की आप के मन का ध्यान ज्यादा से ज्यादा आप के शरीर के ऊपर ही रहे
- क्यों की यह सब करते हुए आप खुद अपने अवचेतन मन के भीतर प्रवेश करने जा रहे है
- इसी के साथ अपने शरीर के अंगो को महसूस करे
- और मन में याद करे की आज्ञा चक्र कहाँ है , सिर कहाँ है , पैर कहाँ है
- अर्थात धीरे धीरे आप सिर से लेकर पाँव तक में एकाग्रता बढ़ाते जाए
अभ्यास में आगे बढे …
- अब आप महसूस करने लगेंगे की जैसे जैसे आप शरीर के अंगो में एकाग्रता बढ़ा रहे है आप की श्वास की गति बदल रही है
- जैसे ही आप श्वास के साथ जुड़ने लगेंगे आप को विचार के स्त्रोत का पता लगने लगेगा
- अब आप अपनी आँखों को अपनी सुविधानुसार खोले या पूरी बंद करे या आंशिक
- ताकि आप इस अभ्यास के दौरान अपने मन और शरीर पर नियंत्रण रख सके
- अब श्वास में एकाग्रता बढ़ाते जाए
- और सिर से लेकर पाँव तक में एकाग्रता बढ़ाते जाए
- अर्थात आप यह सब करके अपने मन को शरीर के ऊपर लेकर आ रहे है
- इसका मतलब है मन के माध्यम से आप खुद की (आत्मा) अनुभूति करने जा रहे है
- और जैसे ही आप खुद की अनुभूति करने लगेंगे तो आप को पता चलेगा की आप यह आत्मा भी नहीं है बल्कि आप तो परमात्मा की संतान है
- फिर क्रियायोग ध्यान के इस अभ्यास की गहराई बढ़ाने पर अनुभव होगा की आप और परमात्मा दोनों एक ही है
- और खुद की अनुभूति करने के लिए ही आप मन और शरीर के बीच दूरी घटा रहे है
इसके अलावा विचारों पर नियंत्रण के लिए निम्न बिन्दुओं को ध्यान से पढ़े
- मन को शरीर के ऊपर लाने के कारण ही आप के शरीर में कई प्रकार के परिवर्तन हो रहे है
- जैसे थकान का महसूस होना , अच्छा महसूस होना , डर लगना, खुश होना , चक्कर आना
- ऐसे अनेक प्रकार के परिवर्तन इस अभ्यास के दौरान आप को महसूस हो सकते है
- किसी भी प्रकार के परिवर्तन से आप को डरने की जरुरत नहीं है
- क्यों की हर प्रकार का परिवर्तन आप के पापा परमात्मा खुद ही कर रहे है
- इसलिए यदि कोई भी परिवर्तन सहन नहीं हो पा रहा है तो इस परिवर्तन से घृणा करने या इसकी निंदा करने से पहले ही आप खुद को ऐसी स्थिति में वापस लेकर आ जाए जो आप के मन को अच्छी लगे
- अर्थात आप मन को जबरदस्ती परमात्मा की तरफ नहीं मोड़े
- आप का मन राजा बाबू है इसलिए यह धीरे धीरे ही और प्रेम से ही इस अभ्यास के लिए राजी होगा
- इसे आप खुद के ऊपर भी लेकर देख सकते है जैसे
- कोई भी व्यक्ति आप से प्रेम से तो काम करवा सकता है लेकिन आप को डरा धमका कर काम नहीं करा सकता है
- और यदि कोई आप को डरा धमका कर काम अभी करवा भी रहा है तो आप भी वहाँ से कैसे भी करके बचने का उपाय ढूँढ रहे है
- जैसे कोई व्यक्ति अचानक ही अपने मालिक को कह देता है की मै कल से नौकरी पर नहीं आऊंगा
- दिखने में यह सब अचानक लगता है पर जब आप इसके पीछे का सच जानेंगे तो आप हैरान हो जायेंगे
- इसका सच यह है की इस व्यक्ति और मालिक के बीच बहुत समय से खींचमतान चल रही थी
हालांकि विचारों पर नियंत्रण को और अच्छे से समझाया जा रहा है
- आप अपनी क्षमता के अनुसार इन सभी परिवर्तनों को परमात्मिक अनुभूति मानकर बहुत ही ख़ुशी के साथ स्वीकार करने की कोशिश करे
- परमात्मिक अनुभूति इसलिए स्वीकार करना है क्यों की कण कण में केवल परमात्मा का ही अस्तित्व है
दोस्त आप सोच रहे है की ये परिवर्तन क्यों हो रहे है ? - क्यों की आप के मन को ऐसा अभ्यास करने की आदत नहीं है
- अभी आप का मन संचित कर्मो से बंधा हुआ है और आप (आत्मा) इसे आप के मालिक (परमात्मा) की तरफ मोड़ रहे है
- इसलिए पुराने विचारों के विपरीत आप इसे ईश्वर के विचार की तरफ ले जा रहे है
- पर आप के भीतर बैठे विष्णु भगवान (अर्थात सुरक्षा की शक्ति) आप के संचित कर्मो की रक्षा कर रहे है
- क्यों की विष्णु ही इस श्रस्टि (आप का मन , शरीर, संसार) के पालनहार है
- आप के संचित कर्म कैसे भी हो विष्णु सभी की रक्षा करते है . अर्थात यदि आपको ज्यादा मीठा खाने की आदत है तो विष्णु आप की इस आदत की भी रक्षा कर रहे है
- आप ने खुद ने ही ब्रह्म शक्ति (निर्माण की शक्ति ) का प्रयोग करके इन आदतों का निर्माण किया है
- क्रियायोग ध्यान के इस अभ्यास से आप को यह भी याद आ जायेगा की आप ने इन आदतों का निर्माण कब और कैसे और क्यों किया था
विचारों पर नियंत्रण से विचारों को बदलने के अभ्यास में आगे बढे ……

- आप यह सारा काम विचारों के माध्यम से ही साकार कर रहे है
- अब आप चाहते है की आप को विचारों पर नियंत्रण मिल जाए ताकि आप विचारों को बदल सको
- इसके लिए आप को शिव की शक्ति (श्रस्टि में परिवर्तन) से जुड़ना पड़ेगा
- और अभी आप मेरे साथ यह जो अभ्यास कर रहे है यह अभ्यास आप को धीरे धीरे शिव की शक्ति से ही जोड़ रहा है
- इसीलिए तो मै आप को आप के मन का ध्यान आज्ञा चक्र (शिव नेत्र या तीसरी आँख) पर लेकर आने को कह रहा हूँ
- इस अभ्यास से पहले आप का मन कही और था और शरीर कही और
- इसलिए आप लोगों को तो घर में बैठे दिखाई दे रहे थे पर मन आप का दिल्ली में था (उदाहरण के लिए )
- इसलिए आप बेहोशी में जीवन जी रहे थे
- अभी आप होश में आने का अभ्यास कर रहे है
इसी होश के कारण आप विचार के स्त्रोत से जुड़ने जा रहे है
- होश में आने के कारण अब आप विचारों के स्त्रोत से जुड़ने जा रहे है ताकि विचारों पर नियंत्रण आने लगे
- आप को पता चल जायेगा की सभी विचार आप के भीतर से ही प्रकट हो रहे है
- क्यों की अब आप अवचेतन मन में प्रवेश कर चुके है
- यहां आप को कंप्यूटर की तरह मेमोरी चिप दिखेगी मतलब विचारों की स्मृति के रूप में(यह एक समझाने का तरीका है)
- आप को अनुभव होगा की आप एक ऐसी शक्ति (प्राण , विश्व शक्ति , परम चेतना , परमात्मा , ऊर्जा ) से जुड़े हुए है जिससे आप अपने शरीर के अंगो को हिला पा रहे है
- आप को अनुभव होगा की आप यह शरीर है ही नहीं
- आप को अनुभव होगा की आप यह मन है ही नहीं
- आप को अनुभव होगा की आप ये विचार भी नहीं है
- आप को अनुभव होगा की यही शक्ति आप के मन और फिर इसी मन से आप का शरीर प्रकट हो रहा है
इस शक्ति से आपका विचारों पर नियंत्रण आ चूका है
- अब आप को महसूस होगा की आप किस प्रकार से बेहोशी के कारण विचारों में उलझे थे
- अब आप इस सच को जान चुके है की आप का आप के मन पर नियंत्रण नहीं है
- इसीलिए आप विचारों से प्रभावित हो रहे थे
- अर्थात जैसे ही आप का मन आज्ञा चक्र पर स्थिर होने लगता है तो आप शिव की शक्ति से जुड़ जाते है
- अर्थात अभी आप पूर्ण रूप से प्रभु से जुड़ चुके है . आप का खुद के ऊपर पूर्ण विश्वास आ चूका है
- अब आप का अवचेतन मन एडिट मोड में खुल चुका है इसलिए आप जो भी नया विचार अवचेतन मन में प्रवेश कराना चाहे अभी आप करा सकते है (अर्थात इस स्थिति में जो सोचोगे वही होगा)
- क्यों की अभी आप का तीसरा नेत्र खुल चुका है
- अर्थात अभी शिव का नेत्र खुल चुका है . आप के पास अभी परिवर्तन की शक्ति है
- इसलिए आप अभी दिव्य इच्छा शक्ति के केंद्र से जुड़ चुके हो अर्थात आप कल्पना शक्ति से जुड़ चुके है
- मतलब आप इस समय परमात्मा की तीनों शक्तियों से जुड़ चुके है
- माना आप का नया विचार है ‘हर अहसास में खुश रहना’
- इसलिए इस नये विचार को कल्पना शक्ति के माध्यम से साकार रूप लेते हुए देखे
अब इस नए विचार को मन में स्थिर कैसे करे ?
- क्यों की अभी आप ने पहली बार ही क्रियायोग ध्यान – विचारों पर नियंत्रण का अभ्यास किया है
- इसलिए आप ने अवचेतन मन में इस विचार की एक ही स्मृति जमा की है
- अब यदि आप यह अभ्यास नियमित रूप से नहीं करेंगे तो आप के अवचेतन मन में पहले से जमा पुराने विचार ऊठ ऊठ कर आप के सामने पहले की तरह ही आने लगेंगे
- और आप फिर से पुराने विचारों के नियंत्रण में आ जायेंगे
- जैसे आज आप ने एक बहुत ही प्रेरणा दायक फिल्म देखी है थियेटर में
- और मन में आप ने खुद को बदलने का संकल्प लिया है . और अब आप घर आ गए है
- अब आप से घर वाले अभी भी पहले की तरह ही बात करेंगे .
- अब आप को लगेगा की ये मुझे तो कुछ समझते ही नहीं है
- यह तो सभी ग्वार ही है . क्यों की उनको पता ही नहीं है की आप आज ही किसी अच्छी फिल्म से प्रेरित हुए है
- इसलिए अब आपको इनके ऊपर गुस्सा आयेगा .
- और आप का यही गुस्सा आप के इस प्रेरणादायक विचार को अवचेतन मन से बाहर निकाल फेंक देगा
- और आप फिर से पुराने विचारों के नियंत्रण में आ जायेंगे .
- यहां आप के घर वाले अवचेतन मन में जमा पुराने विचार ही है
- जो कई जन्मों से आप के साथ है
- पर जब आप अपने विचारों के नियंत्रण के अभ्यास पर अडिग रहेंगे
- तो आप के बदलते ही आप के घर वाले अपने आप बदल जायेंगे
इसलिए दोस्त आप को नियमित रूप से क्रियायोग ध्यान का अभ्यास करना चाहिए .