श्वास के माध्यम से मन का राजा बने

श्वास के माध्यम से मन का राजा बने | परमात्मा की महिमा
जिसने श्वास को साध लिया उसने सब कुछ साध लिया . श्वास जीवन है श्वास ही शरीर है श्वास ही मन है श्वास के माध्यम से ही हम प्राण शरीर के भीतर लेते है . जब हम बेहद तनाव में होते है तो हमारे मन की ऊर्जा चारो तरफ बिखरी हुयी होती है तब यदि हम थोड़ा प्रयास करके श्वास पर एकाग्र हो जाये तो मन तुरंत ही सभी जगहों से भागकर शरीर पर आने लगता है और हम धीरे धीरे आराम की स्थिति में पहुंचने लगते है . क्यों की अब श्वास के माध्यम से हम परमात्मा से जुड़ने लगते है . हमे जो भी तनाव होता है वह हमारी परमात्मा से दूरी बढ़ने के कारण होता है अर्थात जैसे जैसे हमारे शरीर में प्राणो की कमी होने लगती है हमे तनाव , डर, घबराहट इत्यादि होने लगते है . हमे कितना श्वास लेना है इसका मालूम जब हम परमात्मा की महिमा का अभ्यास करने लगते है तो चलने लगता है . अर्थात जब सिर से लेकर पाँव तक में एकाग्र होने लगते है तब यह पता चलता है की हमारी श्वास कहा तक चल रही है पेट तक या सीने तक या कंठ तक . आप देखा करो जब एक छोटा बच्चा सोता है तो उसका पेट फूलता है और पिचकता है अर्थात बच्चे की श्वास पेट तक चल रही है . इसका मतलब बच्चा पूर्ण आराम की स्थिति में है . हमे शरीर में जो भी परिवर्तन महसूस होते है जैसे कड़ापन , हल्कापन , भारीपन , सर्दी , गर्मी , दर्द , आराम इत्यादि यह सब श्वास के कारण होता है . अर्थात यदि हमारे पैर की अंगुली में कोई जब सुई चुबो दे और हमे मालूम ना चले तो इसका मतलब हमारी श्वास की पहुंच पैर की अंगुली तक नहीं है और लम्बे समय तक यदि यही स्थिति बनी रहती है तो इस अंगुली वाले हिस्से में विकार उत्पन्न होने वाला है जिसका संकेत श्वास ने हमे दे दिया है . इसलिए हमें निरन्तर परमात्मा की महिमा का अभ्यास करना बहुत जरुरी है यदि हम सभी बीमारियों से हमेशा के लिए मुक्त होना चाहते है तो .

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