क्यों की जब तक
हम खुद को जैसे है वैसे स्वीकार नहीं करेंगे तब तक हम दुखी ही रहेंगे . वास्तविक
सत्य यह है की हम सब ईश्वर की संतान है और इस दुनिया में हम सभी को प्यार चाहिए .
जब हम खुद को प्यार नहीं करेंगे तो फिर किसी दूसरे को सच्चा प्यार कैसे कर सकते है
. अर्थात यदि आप से कोई कहे की वह आप को बहुत प्यार करता है और जब आप उसे अकेले
में क्रोध या चिड़चिड़ा होते हुए या यूं कहते हुए की मुझे कोई नहीं चाहता है ,
लोग बहुत बुरे है इत्यादि रूप में पाते है तो
आप इस सत्य को मानले की ऐसा व्यक्ति आप से प्यार करने का केवल ढोंग कर रहा है . वह
केवल अपनी वासनाओं की पूर्ति के लिए आप का इस्तेमाल कर रहा है .
खुद
से कैसे प्यार करे ?
जैसे आज आप से
कोई कार्य नहीं हो रहा है तो आप यह सोचकर खुश हो जाये की आज मेरे प्रभु मुझे इस
कार्य के लिए एक नया तरीका बताने वाले है और जब मै इस नए तरीके से इस अमुक कार्य
को पूरा करूँगा तो मेरी ख़ुशी बढ़ जाएगी . अर्थात कभी यह नहीं कहे की मै थक गया हूँ ,
मै कमजोर हूँ , मुझे कोई प्यार नहीं करता . आप को पूरी दुनिया प्यार करती
है पर यह आप को इसलिए समझ में नहीं आता है की अभी आप खुद को स्वीकार नहीं करते है
. किसी से झूठा वादा ना करे . है जो बात साफ़ साफ़ कहे . घुमा फिराकर बात करने की
आदत को बदले , झूठ बोलने की आदत
को सच बोलने की आदत में बदले . और आप से गलती हो जाये तो आगे बढ़कर गलती के लिए
माफ़ी मांगे और फिर देखे चमत्कार .
जैसे
आज किसी ने आप को पैसे लौटाने का वादा किया था पर अंत समय पर उसने आप को पैसे देने
के लिए मना कर दिया और आप को यह पता भी चल गया है की उसने झूठा बहाना बनाया है तो
ऐसी स्थिति में क्या करे ?
दुगना खुश हो
जाये और भीतर ही भीतर ऐसे व्यक्ति के प्रति यह भावना पोषित करे की ‘हे सबके मालिक इस व्यक्ति को सद्बुद्धि दे‘
ताकि इसका सच में भला हो . इसके कल्याण की
कामना करे और अपने मन में बार बार यह बात दोहराये की यह व्यक्ति पूरी श्रद्धा और
भक्ति के साथ आप के पैसे लौटाने की शत प्रतिशत सफल कोशिस कर रहा है .
कभी भी मन में यह
ना लाये की आप के पैसे नहीं देने के कारण इसका बुरा हो . क्यों की जब आप क्रियायोग
ध्यान का गहरा अभ्यास करते है तो आपको इस
व्यक्ति से इसी तरह से जुड़े हुए की अनुभूति होती
है जैसे गुलाब से खुशबु जुड़ी हुयी
है . यह पैसे नहीं देने वाला व्यक्ति भी
आप का सच्चा मित्र है पर अभी आप की परमात्मा से दूरी अनुभव होने के कारण इस प्रकार
के दुखद अनुभव आप को अहसास में आते है .
जब आप क्रियायोग
ध्यान का गहरा अभ्यास करते है तो आप का मन पवित्र होने लगता है और आप का पैसा आप
के पास आने लगता है .
खुद
से प्रेम कैसे करे यदि आज शाम के खाने की व्येवस्था ही नहीं है और शरीर बीमार पड़ा
है और बच्चे भूखे है ?
जब ऐसी स्थिति आ
जाए तो आप उन तमाम लोगों के जीवन को याद करे जिन्होंने सबकुछ छोड़कर सबकुछ प्राप्त
कर लिया .
यदि आप ऐसी
परिस्थिति में चिंता करेंगे तो क्या आप को खाना मिल जायेगा ?
कभी नहीं ?
बल्कि स्थिति और
खराब हो जाएगी . क्यों की जीवन बहता पानी है . ठहरने या फिर पीछे जाने से जीवन
नर्क बन जाता है . जीवन का आनंद इसी में है की सुख और दुःख दोनों में समता भाव
बनाये रखना . और ऐसा निरंतर अभ्यास आप कर लेते है तो एक समय ऐसा आएगा जब आप के
जीवन में केवल आनंद शेष रहेगा . आप की सभी इच्छाएं अपने आप पूरी होने लगती है .
खराब परिस्थति
में क्रियायोग अभ्यास और अच्छे से करने की निरंतर कोशिश करे . खराब परिस्थिति भी
एक प्रकार की शक्ति है जिसे अभी आप स्वीकार नहीं कर रहे है . जैसे ही आप इस
परिस्थिति को भी अच्छी परिस्थिति की तरह
स्वीकार करने में सफल होने लगेंगे तो फिर आप को यह अनुभव होगा की कोई भी परिस्थिति
अच्छी और खराब नहीं होती है बल्कि अविकसित मन के कारण या मन के पुराने रवये के
कारण या पुराने संचित कर्मो के कारण आप के साथ ऐसा हो रहा था .
क्रियायोग ध्यान
का गहरा अभ्यास आप को खुद से सच्चा प्यार करना सिखाता है . आप यदि अपने घर वालों
या रिश्तेदारों या किसी अन्य लोगों को खुश करने के लिए अनैतिक कार्य करेंगे तो
इसकी सजा आप को एक न एक दिन भुगतनी ही पड़ती है . इसलिए अच्छा यही रहेगा की आप
इन्हे सच्चा प्यार करे . कैसे ?
जैसे यदि आप के
पास कोई पैसे की मदद मांगने आता है और सच में आप के पास पैसे नहीं है तो आप उसकी
शुद्ध भोजन कराके सेवा करे . उसको ताजा पानी पिलाये . पर यदि आप के पास मदद के लिए
पैसे है तो उसे पैसे देकर भूल जाए . जब उसकी परिस्थिति ठीक होगी वह आप को ब्याज
सहित पैसा अवश्य लौटायेगा. क्यों की यही निराकार का नियम है . धन्यवाद जी .
मंगल हो जी .