हीन भावना से बाहर आने का विज्ञानं

परमात्मा की महिमा का अभ्यास आप को हीन भावना से हमेशा हमेशा के लिए बाहर निकाल देता है . कैसे ? . जब आप सिर से लेकर पाँव तक में एकाग्र होकर जीवन की सभी क्रियाये करने लगते है तो आप को हीन भावना क्या होती है और इसका जन्म कैसे होता है और यह कैसे विकसित होती है और इसे कैसे रूपांतरित किया जाता है इन सभी का वास्तविक ज्ञान आप को अनुभव में आने लगता है . जैसे जैसे हमारे मन और शरीर के बीच दूरी बढ़ती है हीन भावना बढ़ने लगती है . क्यों की दूरी बढ़ने के कारण हमारे शरीर में जड़ता बढ़ने लगती है और हम अपने आप को शरीर मानने लगते है और लोगो को भी हम शारीरिक दृष्टि से देखने लगते है . अब क्यों की वास्तविक सत्य यह है की हम शरीर नहीं है परन्तु अपनी जड़ता के कारण हम लोगों के माध्यम से किये जाने वाले व्यवहार को ही सच मान बैठते है और जो हमारे पुराने संचित कर्म है उन्ही के अनुरूप हम इस निर्णय पर खुद ही पहुंच जाते है की इतने लोग यदि हमारे में कमी बता रहे है या हमारी निंदा कर रहे है तो सच में कही ना कही मेरे में कमी जरूर है . और ऐसा लगातार करने के कारण हमारे मन की साइकोलॉजी वैसी ही बन जाती है . जिससे धीरे धीरे हमारी आँखे , कान , त्वचा अर्थात पूरी इन्द्रियाँ इसी साइकोलॉजी से विकसित हो जाती है और मन के गहरे तलो पर अपना प्रेक्षपण छोड़ती है . जो आगे चलकर सघन रूप लेकर शरीर के रूप में प्रकट होने लगती है . अब हम खुद ही अपनी चेतना शक्ति के माध्यम से यह अर्थ लगाए की जो आँख मैं शरीर के साथ लेकर चल रहा हु वह तो अंधी है , सच देख ही नहीं पा रही है और कोई आकर मुझे यह कह दे की चलो मै आप को देखने वाली हीन भावना से  अभी मुक्त कर देता हु यदि आप मुझे इजाजत दे की मैं आप की यह आँख ऑपरेशन करके बाहर निकाल दू और फिर आप को एक ऐसा अभ्यास सीखा दू जिससे आप के शरीर मै दूसरी नयी आँख उगने लग जाए जो सच को देखती है . अर्थात यह नयी आँख हीन भावना को नहीं देखती है . तो क्या आप मुझे यह करने की इजाजत देंगे ? . कभी भी नहीं . क्यों की आप को परमात्मा पर विश्वास ही नहीं है . आप अपने आप को शरीर मानकर चल रहे है . और आप ऐसा अनंत जन्मो से कर रहे है . इसलिए यदि आप हीन भावना से मुक्त होना चाहते है तो परमात्मा की महिमा का अभ्यास करे ताकि धीरे धीरे आप के मन , बुद्धि जगने लगे और प्रभु से एकता का अनुभव होने लगे . जैसे जैसे आप के और प्रभु के बीच दूरी घटने लगेगी हीन भावना के ये काले बादल छटने लगते है और एक दिन ऐसा आएगा जब आप 100 % हीन भावना से मुक्त हो जाओगे . यह परमात्मा की गारंटी है . धन्यवाद जी. मंगल हो जी .

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