प्रकृति कैसे काम करती है ?

मेरे दोस्त प्रकृति कैसे काम करती है इसके बारे में परमात्मा हमे समझा रहे है .
जब हम हमारे आसपास की चीजों को देखते है तो क्या होता है :

  • जैसे किसी गाड़ी को जाते हुए देखते है तो फिर उससे सम्बंधित विचार आने लगते है
  • किसी को फल खाते हुए देखते है तो फिर इस खाने की क्रिया से सम्बंधित विचार आने लगते है
  • किसी को झगड़ा करते हुए देखते है तो फिर इससे सम्बंधित विचार आने लगते है

पर जब यही देखने की क्रिया हम सिर से लेकर पाँव तक में एकाग्र होकर करते है तो क्या होता है :

  • अब गाड़ी रुपी इस रचना की खूबसूरती दिखाई पड़ती है . हमे यह ज्ञान मिलने लगता है की कैसे
    हमारे प्रभु ही गाड़ी के रूप में प्रकट हो रहे है
  • अब किसी को फल खाते हुए देखते है तो हमारे भीतर एक नवीन ऊर्जा का संचार होता है .
  • हमे ज्ञान मिलता है की कैसे एक रचना दूसरी रचना में रूपांतरित हो रही है .
  • जब किसी को झगड़ा करते हुए देखते है तो ज्ञान मिलता है की कैसे इन दो मनो में आपस में बातचीत करने का व्यवहारिक ज्ञान नहीं है .
  • अर्थात झगड़ा हमे यह सीखा रहा है की हम अभी परमात्मा की अनुभूति नहीं कर पा रहे है .
  • हम परमात्मा की छाया को ही सच मान बैठे है और एक छाया दूसरी छाया से झगड़ रही है .

प्रकृति क्या है और कैसे काम करती है ?

उत्तर: प्रकृति परमात्मा की छाया ही है .

पर जिस प्रकार से परमात्मा में सम्पूर्ण ज्ञान है ठीक इसी प्रकार से इस छाया में भी सम्पूर्ण ज्ञान छिपा हुआ है .
कैसे ?
जैसे हम ज्यादातर लोगों से सुनते है की आप जैसा सोचोगे वैसा ही बन जाओगे .
पर हर कोई अच्छा सोचना चाहता है फिर सोच क्यों नहीं पाता है ?
क्यों की वह प्रकृति की हर चीज से प्रभावती हो रहा है .

कैसे ?
जैसे आप ने स्वाद के वशीभूत होकर कोई भोजन कर लिया और अब आप हर समय अच्छा सोचने का अभ्यास कर रहे है .

तो क्या आप हर समय अच्छा सोच पायेंगे?

इसका उत्तर इस बात पर निर्भर करता है की आप को वह भोजन किस प्रकार से प्रभावित कर रहा है
अर्थात भोजन को खाने के बाद यदि आप का मन विचलित हो रहा है या पेट में दर्द महसूस हो रहा है
या पेट में गैस बन रही है या कोई अन्य प्रकार का परिवर्तन आप महसूस कर रहे है .
तो फिर आप ही बताइये की अब आप अच्छा कैसे सोच पायेंगे .

अब आप सोच रहे होंगे की जब आप यह भोजन करेंगे तो आप अपने विचारों से इसे
अपनी प्रकृति के अनुसार परिवर्तित कर देंगे .
जी हां आप सोच तो सही रहे हो पर यह वैसा ही है जैसे हाथ पैर होते हुए भी अपाहिज जैसा व्यवहार
करना . क्यों ?

क्यों की सामने की किसी भी चीज को बदलने में जो आप ऊर्जा खर्च करते है उस ऊर्जा का इस्तेमाल
आप खुद को बदलने में आसानी से कर सकते है .

कैसे ?
आप को पता चल गया है की अमुक भोजन मेरे मन को अशांत करता है तो मुझे इससे बचना चाहिए .
और इसी कारण से हम बाते तो बहुत बड़ी बड़ी कर लेते है की अवचेतन मन को बदलो और कुछ भी
प्राप्त कर लो.

पर प्रकृति हमे आसानी से अवचेतन मन को क्यों नहीं बदलने देती है ?

क्यों की अभी हम प्रकृति कैसे काम करती है इसे वास्तविक रूप से नहीं समझते है .
जैसे यदि आप ने किसी के यहां भोजन किया है और वह भोजन पाप के पैसो से तैयार हुआ है तो
यह आप को भी कुछ न कुछ नुक्सान अवश्य पहुँचायेगा.
इसीलिए तो हम कहते है की हम जाने अनजाने में किये गए कर्मो के कारण ही दुःख पाते है .

अब यदि कोई व्यक्ति अभी बहुत अच्छा महसूस कर रहा है तो वह सभी को यही कहता है

की चिंता किस बात की करते हो . सब कुछ तो बहुत अच्छा चल रहा है .

पर जिस व्यक्ति ने अभी अभी अपनी बहुत ही प्रिये चीज खोयी है वह चिंता करने से कैसे आसानी से रुक सकता है .

ऐसा व्यक्ति चिंता का वास्तविक कारण जानकर ही रुक पाता है .
अर्थात जब ऐसा व्यक्ति इस संसार रुपी स्वप्न से जाग जाता है तभी चिंता मुक्त हो पाता है .

और इस स्वप्न से जागने का एक मात्रा तरीका है स्वरुप दर्शन का अभ्यास अर्थात इस क्षण में जीने का अभ्यास निरंतर करना .
अर्थात सिर से लेकर पाँव तक में एकाग्र होकर जीवन की सभी क्रियाये करना और
हर अहसास को परमात्मा का अहसास स्वीकार करना .

ऐसा करने से प्रकृति आप के अधीन होने लगती है .
पर इसका मतलब यह नहीं है की अब आप कुछ भी खाना शुरू कर दे .

आप चाहे कितनी भी बड़ी शक्तियाँ प्राप्त कर ले प्रकृति के विरूद्ध जाकर यदि आप इनका
इस्तेमाल करेंगे तो परमात्मा अपनी प्रकृति के माध्यम से आप को इसकी सजा अवश्य देते है.

तभी तो हम कहते है की परमात्मा के घर देर है अंधेर नहीं है .

इसलिए यदि आप यम , नियम , आसान , प्राणायाम का अभ्यास नियमित रूप से करते है तो
प्रकृति आप को इसका फायदा शत प्रतिशत देती है .

मतलब हम यह कहना चाहते है की कोई व्यक्ति परमात्मा का भक्त बनकर बार बार

जहरीला खाना खाकर अपना जीवन नहीं बचा सकता है .

एक समय के बाद जहर अपना असर अवश्य छोड़ता है .
इसलिए हमे प्राकृतिक जीवन ही जीना चाहिए . यही सत्य और अहिंसा का मार्ग होता है .

सभी जीव हमारे से जुड़े हुए है . इसलिए पशु और मानव का भोजन एक जैसा नहीं हो सकता है .

अब निर्णय आप को लेना है की आप अपने जीवन को कैसा जीना चाहते है .

परमात्मा तो हमारे को निरंतर प्रकृति के माध्यम से यह अहसास करा रहे है की आप सभी मेरी ही संतान हो .

अर्थात हम सभी के बीच में दूरी शून्य है . इसलिए हमे जंगलों , पर्वतो , पहाड़ों , नदियों , कुल मिलाकर सभी जीवों की सुरक्षा का पूरा पूरा ध्यान रखना चाहिए .

तभी हम वास्तविक रूप में परमात्मा का दर्शन कर सकते है . अर्थात अपने स्वरुप का दर्शन करने का मतलब है सत्य और अहिंसा का मार्ग अपनाना .

इसलिए स्वरुप दर्शन का अभ्यास करके अपनी प्रकृति को पहचाने और फिर इसी के अनुसार
आप को ज्ञान होगा की आप को कैसा पानी पीना चाहिए , कैसा भोजन करना चाहिए , क्या काम करना
चाहिए .

धन्यवाद जी . मंगल हो जी .

Recent Posts

प्रकृति कैसे काम करती है ?

मेरे दोस्त प्रकृति कैसे काम करती है इसके बारे में परमात्मा हमे समझा रहे है . जब हम हमारे आसपास ...

खुद को कैसे जाने

खुद को कैसे जाने | स्वरुप दर्शन इस वीडियो के माध्यम से प्रभु हमे यह सिखा रहे है की हम ...

खुद को जानो

मेरे दोस्त आज के इस लेख में मै एक वीडियो आप के साथ साझा कर रहा हूँ . जब आप ...

सोचना बंद कैसे करे

सोचना बंद कैसे करे इसका स्थायी इलाज खुद को स्वीकार करना है . दोस्त हमारी हर पल की गतिविधि प्रभु ...

रात दिन की माथाफोड़ी से मुक्ति

रात दिन की माथाफोड़ी का अचूक उपाय इस लेख में दिया गया है . हम इस लेख में निम्न प्रश्नों ...

विचारों पर नियंत्रण

मेरे दोस्त अब तक हमने विचार क्या है और विचारों का प्रभाव क्या है को समझा है . अब बात ...

विचारों का प्रभाव

दोस्त हमने पिछले लेख में समझा की विचार क्या है, विचार का स्त्रोत क्या है , विचार कौन प्रकट करता ...

विचार क्या है ?

मेरे दोस्त आप बहुत भाग्यशाली है क्यों की आप के लिए प्रभु ने आज 'विचार क्या है ' जैसा रहस्य ...

पड़ोसी के फायदे

मेरे दोस्त आज मै आपको 'पड़ोसी के फायदे' के बारे में वास्तविक जानकारी दे रहा हूँ . ध्यान दे : ...

पड़ोसी परेशान क्यों करता है ?

दोस्तों मै आज आप की उस समस्या का स्थायी समाधान समझाने जा रहा हूँ , जिससे आज पूरी दुनियाँ परेशान ...

पेट के रोग क्यों होते है ?

'पेट के रोग क्यों होते है ?' इस विषय को मै आपको बहुत ही आसान शब्दों में समझाने जा रहा ...

स्वरुप दर्शन क्या है ?

मै आपको 'स्वरुप दर्शन क्या है ?' का अर्थ बहुत अच्छे से समझा सकता हूँ . क्यों की मुझे मेरे ...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *