मेरे दोस्त आप बहुत भाग्यशाली है क्यों की आप के लिए प्रभु ने आज ‘विचार क्या है ‘ जैसा रहस्य वाला विषय चुना है . आज पूरी दुनियाँ विचार का सच जानना चाहती है .

विचार को पहले ऊपरी सतह से समझते है
- विचार परमात्मा की शक्ति का ही एक अलग रूप है
- परमात्मा की शक्ति के अनंत गुणों मेसे विचार भी एक गुण है
- परमात्मा ने विचार रुपी गुण से ही संसार की रचना की है
इसलिए यह संसार प्रभु के विचार का साकार रूप है.
और यह विचार प्रभु से निम्न प्रकार से नियंत्रित है :
- सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की सभी गतिविधियाँ अपने आप स्वचालित है. अर्थात हर विचार प्रभु से नियंत्रित है
- हर एक पल की गतिविधि के पीछे प्रभु की इच्छा शक्ति कार्यरत है. अर्थात अगले पल को विचारना या सोचना
- इसीलिए ज्ञानी जन कहते है की प्रभु की इच्छा के बिना तरवर का एक पत्ता भी नहीं हिलता है
- इसलिए आप खुद बहुत ही आसानी से समझ सकते है की ‘विचार क्या है’ विषय भी प्रभु ही समझा रहे है
- और ‘विचार क्या है’ विषय को समझाने के लिए भी इस लेख रुपी साकार विचार का सृजन किया है
- इसीलिए आज का यह लेख आप के सामने प्रकट हो रहा है
- और प्रभु के ‘किसी भी शब्द को पढ़ने’ के विचार के माध्यम से ही आप इस लेख को पढ़ पा रहे है
- इसलिए आप की तरफ से प्रभु के लिए एक धन्यवाद तो बनता है मेरे दोस्त
- क्यों की प्रभु की कृपा से ही आप इस लेख को अभी पढ़ पा रहे है
और अब मै विचार को आप से जोड़कर समझा रहा हूँ
- आप(परमात्मा से आत्मा और आत्मा से शरीर) को प्रकट करने के लिए कारण रुपी विचार प्रकट हो रहा है
- उदाहरण के लिए परमात्मा आप के रूप में जन्म के लिए माँ का गर्भ चुनने जा रहे है
- इसलिए कारण रुपी विचार से पृथ्वी पर आप का जन्म होने का कारण प्रकट हो रहा है
- इसलिए आप का जन्म होने के कारण से आप का सूक्ष्म जगत प्रकट हो रहा है
- आप के सूक्ष्म जगत के कारण आप का भौतिक जगत अर्थात शरीर और आप का संसार प्रकट हो रहा है
- दूसरे शब्दों में प्रभु के विचार से आप का मन प्रकट हो रहा है
- आप के मन से आप का शरीर प्रकट हो रहा है
- आप के शरीर से इन्द्रियाँ प्रकट हो रही है
- इन्द्रियों से आप के विषय प्रकट हो रहे है
अब आप पूछेंगे की मै कैसे मानु की :
इन्द्रियों से मेरे विषय प्रकट हो रहे है
- आप अभी आँखे बंद करके देखे आप को संसार यानी विषय नहीं दिखेंगे
- पर आँखे बंद करने के बाद भी आप को मन में विषय दिखाई देंगे
- क्यों की आँखे बंद करने से ‘दृश्य जगत रुपी‘ विचार निराकार में बदल गया
- परन्तु आप के लिए विषय को प्रकट करने वाला विचार अभी भी आप के मन में संचित है
- अर्थात जैसे ही आप आँख से पहली बार कोई दृश्य देखते है तो मन उसकी फोटो खींच लेता है
- यही फोटो आप का मन अवचेतन मन के रूप में जमा कर लेता है
- अब यदि आप इसी दृश्य को एक बार देखकर ही आँख बंद कर लेंगे तो आप के लिए बाहर अँधेरा हो जायेगा
- परन्तु आपका अवचेतन मन इसी दृश्य को आप को बार बार दिखाता रहेगा
- इसलिए आँखे बंद करने के बाद भी आप की इन्द्रियों के विषय दिखाए दे रहे है
- जैसे आप के घर का चित्र आप के मन में अभी भी आप को मन की आँखों से दिखाई दे रहा है
अब मै ‘विचार क्या है’ को पूरी तरह खोलकर समझाता हूँ |
- विचार परमात्मा की शक्ति का एक बीज रूप है
- इस बीज रूप में एक रचना की कोडिंग छिपी हुयी है
- जैसे गेहूँ के बीज में पौधा बनने का विचार डीएनए कोडिंग के रूप में छिपा हुआ है
- या जैसे एक व्यक्ति के स्पर्म में पुरे शरीर की रचना छिपी हुयी होती है
- ठीक इसी प्रकार से हमारे सिर के पीछे वाले भाग में मेडुला के भीतर शरीर की डीएनए कोडिंग छिपी है
अब विचार और डीएनए में सम्बन्ध को निम्न उदाहरण से समझते है
- वैज्ञानिक आइंस्टीन के रूप में परमात्मा प्रकट हुए
- आइंस्टीन ने अनेक प्रकार के प्रयोग करके यह सिद्ध कर दिया की ऊर्जा को द्रव्यमान में बदल सकते है
- इसका मतलब यह होता है की जब आप कुछ भी सोचते है तो इसके पीछे आप खुद ऊर्जा लगा रहे होते है
- यह ऊर्जा आप को परमात्मा से मिलती है
- अर्थात अनंत के भीतर से ही परमात्मा प्रकाश के रूप में भी प्रकट हो रहे है
- और यह प्रकाश परमात्मा की शक्ति का ही एक रूप है जो परमात्मा के प्रकाश रुपी विचार से प्रकट हो रहा है
- इस प्रकार सम्पूर्ण श्रष्टि परमात्मा का ही प्रकाश रूप है
- और जब यही प्रकाश द्रव्यमान रुपी विचार के कारण संघनित होने लगता है तो हमे यह संसार दिखाई देने लगता है
- इसलिए जब आप गहरा ध्यान करेंगे तो आप को अनुभव होगा की आप का यह शरीर प्रकाश से प्रकट हो रहा है
- आप को पता चलेगा की कण कण में व्याप्त शक्ति ही आप के इस शरीर का रूप ले रही है
- इसलिए यह प्रकाश किस प्रकार की शरीर रचना में बदलेगा इसकी पूरी प्रोग्रामिंग को डीएनए कोडिंग कहते है
विचार से डीएनए प्रोग्रामिंग कैसे प्रकट होती है
- अब आप अगले पल क्या सोचेंगे यह आप की डीएनए प्रोग्रामिंग तय करती है
- जैसे आप दो व्यक्ति एक साथ सड़क पर जा रहे है
- अब आप दोनों ने सड़क पर सामने से आती हुयी एक गाड़ी देखी
- अब आप दोनों व्यक्ति देख एक ही प्रकार की वस्तु रहे है पर दोनों के मन में अलग अलग विचार आयेंगे
- क्यों की जो गाड़ी आप देख रहे है वह गाड़ी मेडुला में स्थित डीएनए कोडिंग आप को दिखा रही है
- जैसी आप की डीएनए प्रोग्रामिंग होगी आप को गाड़ी वैसी ही दिखेगी
- अर्थात परमात्मा की शक्ति के रूप में आप का शरीर प्रकट हो रहा है
- इसलिए आप का शरीर एक ऐसा इंस्ट्रूमेंट (यंत्र या उपकरण) है जो डीएनए प्रोग्रामिंग से आप को यह संसार दिखा रहा है
अर्थात आप का शरीर एक प्रोजेक्टर की तरह कार्य कर रहा है
- इसीलिए ज्ञानी जन कहते है की जैसी आप की दृष्टि वैसी आप की सृष्टि
- जब आप क्रियायोग ध्यान का अभ्यास करते है तो आप को यह अनुभव होता है की आप और परमात्मा दोनों एक ही है
- इसलिए क्रियायोग ध्यान के अभ्यास से आप के और परमात्मा के बीच दूरी घटने लगती है
- इस प्रकार फिर आप प्रभु की इच्छा शक्ति से जुड़ने लगते है
- फिर आप जैसा चाहते है वैसा ही आप को प्राप्त होने लगता है
- अर्थात फिर आप जो सोचते है वह पहले एक प्रोग्राम के रूप में आप के मन के माध्यम से निर्मित होता है
- फिर इसी प्रोग्राम के अनुसार आप के संसार का निर्माण होने लगता है
- इसलिए आप अपनी इस मन रुपी रचना से शरीर रुपी रचना का निर्माण करने के लिए इस प्रोग्राम को एक नाम दे देते है
- इसी नाम को डीएनए कहते है
विचार क्या है इसे श्रष्टि के निर्माण से समझते है
पूरी श्रष्टि परमात्मा का एक विचार है . इसके लिए प्रभु निम्न प्रकार का स्वप्न देखेंगे :
- श्रष्टि का आकार
- श्रष्टि में कुल दिशाए (2d ,3d)
- श्रष्टि में गृह नक्षत्र
- श्रष्टि में जीव जंतु
- श्रष्टि में जल , अग्नि , आकाश , हवा इत्यादि
प्रभु का यह स्वप्न देखना आखिर है क्या
- जैसे आप मन के माध्यम से कल्पना करते है
- आप किसी चीज के बारे में मन में सोचते है
- आप किसी लक्ष्य को पाने के बारे में सोचते है
अभी आप का वह लक्ष्य हकीकत में आप के सामने नहीं है इसका मतलब
- आप अभी उस लक्ष्य की कल्पना कर रहे है
- आप अभी कल्पना के माध्यम से स्वप्न देख रहे है
- यही स्वप्न आप के मन की शक्ति का इस्तेमाल करके साकार रूप लेने लगता है
- इस प्रकार शुरू से अंत तक परमात्मा की शक्ति ही विचार के माध्यम से मन का निर्माण करती है
- और फिर यही मन परमात्मा से विचार के माध्यम से ऊर्जा लेकर साकार रचनाओं का निर्माण करता है
इस प्रकार से विचार के माध्यम से अब आप का वह लक्ष्य साकार रूप ले लेता है .
जैसे ईट , बजरी , सीमेंट और पत्थर से घर बनाना . तो यहां निम्न प्रकार के विचार काम में आये है :
- मिट्टी से ईट बनाने का विचार
- नदियों से बजरी को छाँटकर लाने का विचार
- और फिर इस सामग्री से घर बनाने का विचार
- इसीलिए आप को घर बनाने से पहले विचार करना पड़ता है
- ताकि आप उसी विचार की सहायता से अपने घर बनाने के लक्ष्य में आगे बढ़ सके
दोस्त मुझे पूर्ण विश्वास है की आप आज विचार क्या है विषय को बहुत अच्छे से समझ गए होंगे . हालांकि मै विचार का सम्पूर्ण ज्ञान आगे के लेखों में भी समझाऊंगा . क्यों की एक लेख में विचार को पूरी तरह समझाना मेरे लिए संभव नहीं है .
धन्यवाद जी . मंगल हो जी .