स्वरुप दर्शन क्या है

स्वरुप दर्शन क्या है ?

मै आपको ‘स्वरुप दर्शन क्या है ?’ का अर्थ बहुत अच्छे से समझा सकता हूँ . क्यों की मुझे मेरे स्वरुप का दर्शन करना बहुत अच्छा लगता है .

स्वरुप दर्शन का अर्थ है :

  • खुद को जानना
  • खुद के स्वरुप का दर्शन करना
  • मै कौन हूँ?
  • अपनी आत्मा को पहचानना
  • अपनी आत्मा के दर्शन करना
  • परमात्मा से जुड़ना
  • परमात्मा को जानना
  • परमात्मा के दर्शन करना
  • शरीर क्या है ?
  • सूक्ष्म शरीर क्या है ?
  • कारण शरीर क्या है ?
  • मन क्या है ?
  • बुद्धि क्या है ?
  • संस्कार क्या है ?
  • जन्म और मृत्यु क्या है ?
  • इंसान क्या है ?
  • जीव क्या है ?
  • माया क्या है ?
  • ब्रह्म क्या है ?
  • संसार क्या है ?
  • लोक परलोक क्या है ?
  • बीमारियाँ क्या है ?
  • स्वास्थ्य क्या है ?
  • अर्थात सम्पूर्ण ज्ञान की प्राप्ति

अंत में , मै आपको कह सकता हूँ की स्वरुप दर्शन का वास्तविक अर्थ है सब कुछ जानना . और जब आप सब कुछ जान जाते है तो फिर आप समझ जाते है की केवल परमात्मा का अस्तित्व है .

इस प्रकार से यह लिस्ट अनंत है . क्यों की परमात्मा की हर एक चीज अनंत है . परमात्मा सर्वव्यापी है . इसे आगे ओर अच्छी तरह से समझाया जा रहा है .

अपने स्वरुप का दर्शन करने से पहले यह विश्वास करे की 

  • केवल परमात्मा का अस्तित्व है
  • कण कण में केवल परमात्मा है
  • आप के मन और शरीर के रूप में परमात्मा ही प्रकट हो रहे है
  • यह संसार परमात्मा का साकार रूप है
  • आप का शरीर परमात्मा का एक से अनेक होने का गुण है
  • परमात्मा निराकार और साकार दोनों रूपों में प्रकट हो रहे है
  • सम्पूर्ण श्रष्टि परमात्मा का प्रकाश है
  • क्रियायोग ध्यान अपने ‘स्वरुप का दर्शन’ करने के लिए सबसे सरल विधि है

उपरोक्त तथ्यों पर ‘अनुभव से पहले विश्वास करना’ क्यों अनिवार्य है ?
क्यों की अपने स्वरुप का दर्शन करने का आधार इसकी विधि पर विश्वास करना है . और इसकी विधि का नाम है : क्रियायोग ध्यान .
जैसे आप दिल्ली जाना चाहते है . और आज तक आप कभी दिल्ली नहीं गए . मानलो आप जयपुर रहते है . और आप ट्रैन से दिल्ली जाना चाहते है . तो फिर आप ट्रैन का टिकट बुक कराने से पहले क्या करेंगे ?
आप पहले यह विश्वास करेंगे की पृथ्वी पर किसी न किसी जगह दिल्ली शहर है .
ठीक इसी प्रकार से अपने स्वरुप का दर्शन करने से पहले आप को यह विश्वास करना अनिवार्य है की :
सिर से लेकर पाँव तक की आप की इस शरीर रचना में परमात्मा खुद प्रकट हो रहे है .

जब आप को स्वरुप दर्शन की विधि पर विश्वास हो जाता है तो :

  • क्या आप एक शरीर है ? 
  • हाड़ मांश क्या है , खून क्या है
  • शरीर भोजन कैसे करता है
  • भोजन शरीर में कैसे बदल जाता है
  • आप शिशु से जवान और जवान से बूढ़े क्यों हो जाते है   
  • आप जन्म और मृत्यु के बारे में क्या सच जानते है
  • क्या आप सच में जन्म लेते है
  • क्या आप सच में मरते है
  • क्या आप की आत्मा पुरे शरीर में फैली हुयी है
  • प्राण किसे कहते है

उपरोक्त प्रश्नों का वास्तविक उत्तर मिलने लगता है .

धन्यवाद जी . मंगल हो जी .

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