Sunday, January 28, 2024

लहुसन प्याज खाना चाहिए या नहीं ? - भाग 1

 

भाग 1

लहुसन प्याज खाना चाहिए या नहीं ?

परमात्मा की महिमा में इस विषय को परमात्मा बहुत ही वैज्ञानिक तथ्यों के साथ बता रहे है की आखिर क्या है इनके पीछे की सच्चाई . लहुसन और प्याज दोनों ही बीज और फल की श्रेणी में आते है जो की मानव के स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक है यदि इनका उचित मात्रा में प्रयोग करे तो . यदि इनको हम ज्यादा मात्रा में प्रयोग करने लगते है तो प्रजनन से संबधित रोग और मस्तिष्क के रोग होने लगते है पर यदि इनका पूर्ण निषेद कर देते है तो शरीर में कई प्रकार के पोषक तत्वों की कमी होने लगती है ध्यान के मार्ग में आगे बढ़ने के लिए इनका सेवन अनिवार्य है पर उचित मात्रा में . पर अब प्रश्न यह उठता है की :

किस व्यक्ति को लहुसन प्याज  की कितनी मात्रा खाना चाहिए ? 

इसका सही जवाब परमात्मा की महिमा करने से ही मिलता है जब आप खुद में एकाग्र होने लगते हो तो आप के मन और बुद्धि जगने लगते है और आप को पता लगने लगता है की यदि में प्याज खाता हु तो मेरे शरीर में क्या परिवर्तन होते है और ऐसे ही जब लहुसन खाता हु तब क्या परिवर्तन होते है पर यह बाते हमारे आसानी से समझ में नहीं आती है क्यों की हम अनंत जन्मो से सुनी सुनाई बातो पर विश्वास करके ही या तो इनका पूर्णतया परित्याग कर देते है या इनका ज्यादा मात्रा में सेवन करना प्रारम्भ कर देते है . और जब हमें इनके सेवन से परेशानी होने लगती है तो फिर हमारा मन यह विचार प्रकट कर देता है की लहुसन और प्याज हमारी आध्यात्मिक उन्नति में बाधक है

किस व्यक्ति को इसकी कितनी मात्रा खानी चाहिए इसका जवाब भी परमात्मा की महिमा से ही मिलता है .

छोटे बच्चो को लहुसन प्याज  की कितनी मात्रा खानी चाहिए ?

जब आप इनका छोटे बच्चो के साथ प्रयोग करोगे तो आप को बच्चो के व्यवहार से अपने आप पता चल जायेगा की मेरे बच्चे को इनकी कितनी मात्रा की जरुरत है पर आप को इसका पता तभी चल पायेगा जब आप निरन्तर परमात्मा की महिमा का अभ्यास कर रहे हो . क्यों की परमात्मा की महिमा का निरन्तर अभ्यास करने से खुद के साथ साथ आप दुसरो के स्वभाव को भी जानने लग जाते हो. यही तो परमात्मा की महिमा का चमत्कार है फिर आप को पता लगने लग जाता है की यदि मै(यदि आप एक बच्चे की माँ है) मेरे बच्चे को इनकी x मात्रा खाने के लिए देती हु तो मेरा बच्चा इनको आसानी से खा लेता है और खाने के बाद भी अच्छा महसूस करता है आप का बच्चा शिकायत नहीं करता है की मेरे पेट में दर्द हो जाता है इनको खाने से या कोई और ऐसा अनुभव नहीं बताता है जो बहुत ही असहनीय हो . और यदि में मेरे बच्चे को इनकी y मात्रा खाने के लिए देती हु तो बच्चा मना करने लगता है और कई प्रकार की शारीरिक शिकायते करने लगता है. इस प्रकार आप बहुत ही आसानी से पता कर लेती हो . पर यह सब काम आसान तभी होने लगते है जब आप निरन्तर परमात्मा की महिमा करते हो. अन्यथा आप को लहुसन प्याज को लेकर बहुत ही शंकाओ से होकर गुजरना पड़ता है

साधु संत लहुसन प्याज  के पूर्ण त्याग के लिए क्यों कहते है ?

परमात्मा की महिमा में इसका जवाब परमात्मा निम्न प्रकार से देते है :

सबसे पहले तो यह समझे की साधु किसे कहते है ?

जो खुद को साध ले , जिसे खुद की सुध हो , जो साधन को समझता हो , जो साध्ये को जानता हो , क्या चीज साधने योग्ये है , जो यह समझ चूका हो की साधक , साधन , और साध्ये ये तीनो एक ही है ऐसा साधु इनके पूर्ण परित्याग की बात नहीं करता है

क्यों की ऐसे साधु को यह अनुभव हो चूका होता है की केवल परमात्मा का अस्तित्व है और किसी भी जीव में या जीव और नदी , पहाड़, समुद्र या वनस्पति जगत में दूरी नहीं है इसलिए वह लहुसन प्याज से कैसे दूरी बना सकता है .

पर जो अभी परमात्मा को अनुभव करने का अभ्यास कर रहे है या अभी तर्क वितर्क में उलझे हुए है या जो अपनी मन की पुरानी आदतों के कारण सुनी सुनाई बातो पर विस्वास करते हो या पढ़कर याद कर लिया हो या अभी उनके मन और बुद्धि अल्पविकसित है उनके मन में यह प्रश्न  उठता है की फिर तो जहर का भी त्याग नहीं करना चाहिए उसे भी भोजन में शामिल कर लेना चाहिए .

इसका जवाब परमात्मा की महिमा में परमात्मा निम्न प्रकार से देते है पुरे वैज्ञानिक तथ्यों के साथ :

यदि हमें मानव से अवतार में बदलना है या यु कहे की हमें परमात्मा की तरफ बढ़ना है या अपने स्वरूप को जानना है या परमात्मा को जानना है तो हमें प्रकृति भोजन के रूप में जो भी (बीज और फल )प्रदान करती है उस भोज्ये पदार्थ का हमारे मन से मिलन अनिवार्य है

परमात्मा की महिमा में इस विषय को परमात्मा बहुत ही वैज्ञानिक तथ्यों के साथ बता रहे है की आखिर क्या है इनके पीछे की सच्चाई . लहुसन और प्याज दोनों ही बीज और फल की श्रेणी में आते है जो की मानव के स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक है यदि इनका उचित मात्रा में प्रयोग करे तो . यदि इनको हम ज्यादा मात्रा में प्रयोग करने लगते है तो प्रजनन से संबधित रोग और मस्तिष्क के रोग होने लगते है पर यदि इनका पूर्ण निषेद कर देते है तो शरीर में कई प्रकार के पोषक तत्वों की कमी होने लगती है ध्यान के मार्ग में आगे बढ़ने के लिए इनका सेवन अनिवार्य है पर उचित मात्रा में


Subscribe

No comments:

Post a Comment

परमात्मा की महिमा में आप सभी का हार्दिक अभिनन्दन है

क्रियायोग - हमे सुख और दुःख की अनुभूति क्यों होती है ?

आज मै आप को यह गहराई से समझाने जा रहा हु की हमे सुख और दुःख की अनुभूति क्यों होती है . हमे सुख और दुःख की अनुभूति परमात्मा के माध्यम से जो...