हमारे मन को दुबारा से नया कैसे बनाये ? | परमात्मा की महिमा
इसे माइंड प्रोग्रामिंग भी कहते है रिसेट योर माइंड भी कहते है परमात्मा की महिमा में अभ्यास के माध्यम से यह अनुभव कराया जाता है की आप के और परमात्मा के बीच दूरी शून्य है अर्थात परमात्मा स्वयं आप के रूप में प्रकट हो रहे है आप को अनुभव होने लगता है की मन , बुद्धि और शरीर परमात्मा की माया से प्रकट होते है अलग से इनका कोई अस्तित्व नहीं है अर्थात यदि आप मन को जानने निकलोगे तो हाथ कुछ भी नहीं लगेगा . हमारे मन में विचार कहा से आते है और किस जगह मन में या शरीर में जमा होते है और कैसे हम हमारे विचारो को बदल सकते है इन सब का ज्ञान परमात्मा की महिमा करने से मिलता है . यहां हम परमात्मा की महिमा कैसे करे इसका संक्षिप्त वर्णन कर रहे है: जब हम हमारे इस मनुष्ये शरीर में सिर से लेकर पाँव तक में एकाग्र होने का अभ्यास करते है तो हमें कई प्रकार की अनुभूतिया होती है जब हम इन अनुभूतियों से घृणा नहीं करते है इन्हे सुख दुःख नहीं कहते है और इनसे असीमित प्रेम करते है अर्थात इनको खुश होकर स्वीकार करते है तो हमें परमात्मा हमारे मन को दुबारा से नया कैसे बनाये इसका ज्ञान देते है . अर्थात स्वभाव कैसे बदले , विचारो में परिवर्तन कैसे करे , नकारात्मक और सकारात्मक विचार क्या होते है इन सब का हमें ज्ञान होने लगता है और हम नित्ये नवीन आनंद का अनुभव करने लगते है .
मन किसे कहते है ? क्या मन को देख सकते है ? मन का वास्तविक स्वरुप क्या है ? मन माया है मन का अस्तित्व नहीं है मन परमात्मा की छाया है इसे समझने की कोसिस करने के बजाय परमात्मा की महिमा करनी चाहिए क्यों की परमात्मा की महिमा करने से आप को की ज्ञान की प्राप्ति होती है . हमारा मन दुखी क्यों होता है ? हम हमेशा उलझन में क्यों रहते है ? मन में उदासी , बेचैनी , घबराहट , डर, चंचलता , बेरुखी , अवसाद , चिंता , शंका , गुस्सा , द्वन्द क्यों होते है?
केवल परमात्मा का अस्तित्व है. परमात्मा सर्वव्यापी है परमात्मा कण कण में विराजमान है. परमात्मा का हर गुण अनंत है जैसे परमात्मा का एक गुण यह भी है की वे एक से अनेक रूपों में प्रकट होते है. निराकार से साकार रूप में प्रकट होना है : सृष्टि की उत्पति अर्थात निराकार से साकार रूप में प्रकट होना ,असंख्य जीव अर्थात एक से अनेक होने का गुण. मानव का लक्ष्य केवल परमात्मा को जानना है , खुद के स्वरूप को जानना है , परमात्मा और हमारे बीच दूरी शून्य है इसका अनुभव करना है , हर पल खुश कैसे रहे इसका अभ्यास करना है
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परमात्मा की महिमा में आप सभी का हार्दिक अभिनन्दन है