हम बीमार क्यों हो जाते है ? | परमात्मा की महिमा
जब हम बहुत अच्छा खाना खाते है , योग , व्यायाम करते है , सब कुछ अच्छा काम करते है फिर भी हम बीमार क्यों हो जाते है ? इसको हम परमात्मा की महिमा के अभ्यास के माध्यम से पुरे अनुभव के साथ समझेंगे . इस वीडियो को तब तक देखो सुनो और समझो तब तक की पूरा खेल समझमे नहीं आ जाता है . परमात्मा की महिमा के अभ्यास को हम योग भी कह सकते है इससे बड़ा कोई और योग नहीं है सभी बीमारियों की जड़ को पकड़ने के लिए . जब हम कोई भी काम जल्दबाजी में करते है तो हमारे काम की गुणवत्ता कम हो जाती है . हमारे और परमात्मा के बीच दूरी बढ़ने लगती है . अर्थात प्राण से हमारा संपर्क टूटने लगता है . या यु कहे की जैसे जैसे मन और शरीर के बीच दूरी बढ़ने लगती है वैसे वैसे हमारे शरीर में प्राणों की कमी होने लगती है और हमें कमजोरी , थकान , आलस्य महसूस होने लगते है . शरीर में प्राणों की कमी के कारण बहुत बढ़िया खाना खाने के बावजूद भी वह ठीक से पचता नहीं है और कई प्रकार की बीमारियों का जन्म हो जाता है . हमारे शरीर में प्राणों की आपूर्ति मन के माध्यम से होती है और जब हमारा मन ही जल्दबाजी में होता है तो उसका शरीर से ठीक से संपर्क नहीं हो पाता है जिससे परमात्मा से जो हमें प्राण शक्ति मिलती है वह पूरी नहीं मिल पाती है जिस कारण से हम जो भी बढ़िया भोजन करते है उसको पचाने में शरीर को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है . यह ठीक वैसे ही है जैसे जो टी. वी . रिमोट से चलता है और रिमोट को टी. वी. से ज्यादा दूर ले जाये तो हम चैनल नहीं बदल पाते है .
जिस प्रकार यह बात हमने भोजन के बारे में बताई ठीक ऐसे ही यह बात आँखों से देखे जाने वाले किसी द्रश्य के लिए सत्य है . यदि हम किसी भी द्रश्य को देखकर उससे घृणा करते है तो हमारी आँखे खराब होने लगती है . क्यों की हमने उस द्रश्य को हमारे से अलग मान लिया है या उसको परमात्मा का स्वरुप नहीं समझा . और हमने एक दूरी पैदा करली. यह दूरी ही है सब रोगों का कारण है . यह दूरी कैसे कम करे इसके लिए परमात्मा की महिमा का अभ्यास बहुत ही अनिवार्य है . इस चैनल के ऊपर परमात्मा की महिमा का अभ्यास कराया जाता है
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परमात्मा की महिमा में आप सभी का हार्दिक अभिनन्दन है