जब हमारा मन परमात्मा की महिमा के अभ्यास के लिए राजी ना हो , हमारा किसी भी काम को करने में मन ना हो , हमें हर काम करने में आलस आता हो तो इस वीडियो में कई उदाहरणों के माध्यम से बताया गया है की कैसे हमारे मन को हम समझ सकते है , किस प्रकार हमारा मन हमारे को ही बेवकूफ बना रहा है . विकट परिस्थितियों में कैसे हमारा मन हमारी रक्षा करता है , हमारा मन कब रक्षक और कब भक्षक बन जाता है , मन को शांति कैसे मिले , आस पड़ोस का माहौल कैसे शांत हो .
कैसे आलस अचानक से शक्ति में बदल जाता है , कैसे हम मन से कुछ भी करवा सकते है , मन हमारी कब सुनता है , मन को वश में करने उपाय , परमात्मा से जुड़ने के बाद मन हमारी ही सुनता है , किसी व्यक्ति की ईमानदारी की परख कैसे करे , हमारा पैसा आएगा या नहीं कैसे पता करे ?, किसी की मदद करने से पहले उसकी पात्रता की जाँच कैसे करे , हमारा मेनिफेस्टेशन सफल क्यों नहीं हो पाता है , लॉ ऑफ़ अट्रैक्शन में हम क्या गलती कर देते है , एक विचार पर मन को कैसे रोके , हमारा मन एक विचार पर क्यों नहीं टिकता है , मन की आदत को कैसे जाने , मन की आदत को कैसे बदले , आलस और थकान में फर्क कैसे करे , क्या आलस होता है
केवल परमात्मा का अस्तित्व है. परमात्मा सर्वव्यापी है परमात्मा कण कण में विराजमान है. परमात्मा का हर गुण अनंत है जैसे परमात्मा का एक गुण यह भी है की वे एक से अनेक रूपों में प्रकट होते है. निराकार से साकार रूप में प्रकट होना है : सृष्टि की उत्पति अर्थात निराकार से साकार रूप में प्रकट होना ,असंख्य जीव अर्थात एक से अनेक होने का गुण. मानव का लक्ष्य केवल परमात्मा को जानना है , खुद के स्वरूप को जानना है , परमात्मा और हमारे बीच दूरी शून्य है इसका अनुभव करना है , हर पल खुश कैसे रहे इसका अभ्यास करना है
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क्रियायोग - हमे सुख और दुःख की अनुभूति क्यों होती है ?
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परमात्मा की महिमा में आप सभी का हार्दिक अभिनन्दन है