यहां परमात्मा की महिमा के अभ्यास में आज हम यह बता रहे है की किस प्रकार हम भजन के माध्यम से हमारे मन को किसी भी काम में लगा सकते है . यदि हमारा मन जब किसी ऐसे काम को करने में राजी ना हो और वह काम करना जरुरी हो तो किस प्रकार परमात्मा की महिमा के अभ्यास में हम जब कोई भी भजन सुनते है तो हमे पता चलता है जब हम यही भजन परमात्मा की महिमा के अभ्यास के पहले सुन रहे थे तो हमारा मन एकाग्र नहीं हो रहा था . पर अब हमारा मन भजन को सुनकर भी धीरे धीरे एकाग्र होने लग गया है . क्यों की हर भजन में बहुत गहरे राज छुपे हुए होते है . भजन की एक एक लाइन में बहुत गहरा रस होता है . भजन कैसे हमारा ध्यान बन जाते है हमे पता ही नहीं चलता है . भजन से मन निर्मल होने लगता है . मन और शरीर के बीच दूरी को कम करने में भजन का बहुत बड़ा महत्व होता है . भजन से मन में जो विचारो का ट्रैफिक होता है वह ख़ुशी की अनुभूतियों में रूपांतरित होने लगता है . ऐसे ही किसी कविता के माध्यम से भी मन को शांत किया जा सकता है . भजन , कविता ये मन को प्रभु से जोड़ने में हमारी शुरुआत में बहुत मदद करते है . जब हमारी प्रभु में लगन बढ़ती जाती है तब भजन में रस बढ़ने लगता है और भीतर से एक ऐसा संगीत गूंजता है जिसका आनंद अदभुद होता है
केवल परमात्मा का अस्तित्व है. परमात्मा सर्वव्यापी है परमात्मा कण कण में विराजमान है. परमात्मा का हर गुण अनंत है जैसे परमात्मा का एक गुण यह भी है की वे एक से अनेक रूपों में प्रकट होते है. निराकार से साकार रूप में प्रकट होना है : सृष्टि की उत्पति अर्थात निराकार से साकार रूप में प्रकट होना ,असंख्य जीव अर्थात एक से अनेक होने का गुण. मानव का लक्ष्य केवल परमात्मा को जानना है , खुद के स्वरूप को जानना है , परमात्मा और हमारे बीच दूरी शून्य है इसका अनुभव करना है , हर पल खुश कैसे रहे इसका अभ्यास करना है
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परमात्मा की महिमा में आप सभी का हार्दिक अभिनन्दन है