लॉ ऑफ़ अट्रैक्शन का राज तो ऐसे ही खुल गया | परमात्मा की महिमा
लॉ ऑफ़ अट्रैक्शन से ही हम जीवित है और इसी से हमारी शरीर योनि बदलती है हमारा मन लॉ ऑफ़ अट्रैक्शन से ही काम करता है हम चाहे लॉ ऑफ़ अट्रैक्शन पर गौर कर रहे हो या नहीं यह अपना काम हर पल कर रहा है . हमारा मन विचारो का समूह है . भोजन , पानी , दृश्य , वायु , अग्नि , आकाश यह सब हमारे विचार ही है और इन्ही का यह शरीर घनीभूत रूप है . हम सकारात्मक सोचते है या नकारात्मक यह हमारे संचित कर्मो के आधार पर निर्भर होता है . जब हम परमात्मा की महिमा का अभ्यास करने लगते है तो हम हमारे विचारो को पड़ने लगते है और हमे यह मालूम चलने लगता है की कैसे इतने समय से मै खुद ही खुद के जाल में फंसता जा रहा था. हमे दुःख हमारे जीव भाव के कारण होता है और जब तक हम जीव भाव में रहेंगे हम हमेशा दुखी ही रहेंगे . परमात्मा की महिमा के अभ्यास से हम जीव भाव से आत्म भाव में रूपांतरित होने लगते है . और जैसे जैसे हम आत्म भाव में जीने लगते है सारी बीमारिया धीरे धीरे हमेशा के लिए गायब होने लगती है मन हमारा कहना मानने लगता है अर्थात सभी लोग हमारा कहना मानने लगते है क्यों की फिर लोगो से जो हमने दूरी बना रखी थी वह अब धीरे धीरे कम होने लगती है . यदि हम यह सोच रहे है की मुझे लोगो से क्या मतलब है मुझे तो केवल खुद से मतलब है अर्थात यदि हम भीतर से यह मान रहे है की यह लोग अलग है और मै अलग हु तो शांति कभी नहीं मिलेगी . क्यों की इसका गहरा सत्य यह है की हम सभी के रूप में है और सभी हमारे रूप में .
केवल परमात्मा का अस्तित्व है. परमात्मा सर्वव्यापी है परमात्मा कण कण में विराजमान है. परमात्मा का हर गुण अनंत है जैसे परमात्मा का एक गुण यह भी है की वे एक से अनेक रूपों में प्रकट होते है. निराकार से साकार रूप में प्रकट होना है : सृष्टि की उत्पति अर्थात निराकार से साकार रूप में प्रकट होना ,असंख्य जीव अर्थात एक से अनेक होने का गुण. मानव का लक्ष्य केवल परमात्मा को जानना है , खुद के स्वरूप को जानना है , परमात्मा और हमारे बीच दूरी शून्य है इसका अनुभव करना है , हर पल खुश कैसे रहे इसका अभ्यास करना है
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परमात्मा की महिमा में आप सभी का हार्दिक अभिनन्दन है