भाग 8
भक्त : हे परमात्मा अब आप मुझे कन्या के जन्म के योग(पति -पत्नी कन्या चाहते है लड़का नहीं ) के लिए पत्नी की क्या क्या जिम्मेदारियां है उनके बारे में बताइए.
भगवान: वत्स जिस प्रकार मैंने आपको पति की जिम्मेदारियों के बारे में बताया है उसी प्रकार से पत्नी की भी कन्या योग के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां है . पति के लिए बताई गयी सभी जिम्मेदारियों मेसे वे सभी जिम्मेदारियां जो एक महिला निभा सकती है उनको इस पत्नी को भी निभाना है . पर इनके अलावा भी वत्स मै आपको और जिम्मेदारियां बता रहा हु जिनको इस पत्नी को निभाना बहुत आवश्यक है यदि ये इनके घर में बहुत ही सूंदर , सुशिल , गुणवान कन्या को जन्म देना चाहते है . पत्नी अपने शरीर के पेट वाले भाग को ज्यादा से ज्यादा अनुभव करे और मन में यह विचार निरन्तर प्रकट करे की मेरी प्यारी सी , सूंदर सी नन्ही परी का आगमन इसी क्षेत्र से होने जा रहा है . वह हर काम करते हुए हमेशा यही सोचे की इस पेट वाले क्षेत्र में जो भी अनुभूतिया हो रही है वह मेरे परमपिता परमेश्वर मेरे लिए एक सूंदर और गुणवान कन्या की रचना के लिए पैदा कर रहे है . इसलिए मुझे इन अनुभूतियों को सुख दुःख नहीं कहना है बल्कि मेरी कन्या के स्वागत में बहुत ही मधुर संगीत बज रहा है . वत्स यह इतना आसान नहीं है की जिस समय पेट में दर्द हो और यह पत्नी इसे मधुर संगीत का अनुभव समझे . पर सत्य यह भी है की ऐसी कन्या योग के लिए और कोई दूसरा उपाय नहीं है . यदि इस पत्नी को केवल सामान्य कन्या ही चाहिए विलक्षण प्रतिभा की धनि कन्या नहीं चाहिए तब तो इतनी मेहनत नहीं करनी होती है .
भक्त : हे सर्व शक्तिमान क्या यह सब जिम्मेदारियां इस पति -पत्नी को कन्या योग के लिए शारीरिक सम्बन्ध बनाने से पहले निभानी है ?
भगवान : हां वत्स .
भक्त : हे परमपिता परमेश्वर अब आप मुझे इस पति -पत्नी को शारीरिक सम्बन्ध बनाने के दौरान और इसके बाद 9 माह तक क्या क्या जिम्मेदारियां निभानी है उनके बारे में बताइए .
भगवान: अवश्य
बताता हु वत्स ध्यान से सुनो . अब इन दोनों के भाव इतने पवित्र होने चाहिए की यह
दोनों एक सूंदर , सुशिल कन्या की
रचना के लिए परमात्मा की कृपा से शारीरिक सम्बन्ध बनाने जा रहे है . इनको यह विचार
अपने मन में लाना चाहिए की यह काम परमात्मा स्वयं हमारे रूप में आकर कर रहे है तो
किसी भी प्रकार की त्रुटि होने की सम्भावना नहीं रहती है . क्यों की आप जब सबकुछ
परमात्मा को समर्पित करते हुए कोई भी काम करते हो तो वह काम बहुत ही उत्तम होता है
. और यदि यह पति -पत्नी शारीरिक सम्बन्ध बनाते समय अंधे भोग में रमे होते है ,
उस समय इनकी भावना बहुत ही मायावी अर्थात
बेहोशी में हो या यह कहे की इस शारीरिक सम्बन्ध को अपने भोग का चरम साधन मानते हो
तो फिर सूंदर , सुशिल , गुणवान कन्या के जन्म को भूलकर इनको ऐसी संतान
की उत्पत्ति से संतोष करना पड़ेगा की वह आगे चलकर इनको आयेदिन परेशान करेगी .
यह कन्या गृह क्लेश को निमंत्रण देगी चाहे इसका पीहर हो या ससुराल .
भक्त: हे परमात्मा ऐसा क्यों होगा जबकि इस पति -पत्नी ने शारीरिक सम्बन्ध बनाने से पहले तो अपने विचारो में बहुत निर्मलता लेकर आयी है और इनके भाव भी इस दौरान बहुत अच्छे थे , और पति ने वे सभी जिम्मेदारियां निभाई थी जिनका उल्लेख आप ने ऊपर किया है , और पत्नी ने भी आपके माध्यम से बताई गयी सभी जिम्मेदारियां निभाई थी फिर केवल शारीरिक सम्बन्ध के दौरान ही इतनी छोटी सी गलती की इतनी बड़ी सजा कैसे प्रभु ?
भगवान : वत्स मै अब आपको मेरे एक और राज की बात बताता हु . जीवन तो इस क्षण का नाम है. जिस क्षण जो भाव आप के मन के गहरे तल में होता है उसी भाव के अनुरूप वह भाव मूर्त रूप लेता है . अर्थात शारीरिक सम्बन्ध के दौरान मै कन्या की रचना को तैयार करने के लिए कन्या का DNA सेट कर रहा था . और इन्ही डीएनए के आधार पर इस कन्या के जीन्स को मुझे विकसित करना होता है . इसलिए यदि इस समय यदि कोई पति -पत्नी सतर्क नहीं रहता तो फिर जिस कोटि की इनकी जाग्रति होती है उसी कोटि का परिणाम मै इनकी झोली में डालता हु . हालांकि गहरे भोग से होश आने के बाद यह पति पत्नी पश्चाताप करते है और फिर मुझे याद करते है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है .
भक्त : हे परमात्मा इसका मतलब तो यह हुआ की यदि इस पति -पत्नी को कन्या ही को जन्म देना है तो इसके विचारो के अलावा और फालतू के विचारो को LET GO करना ही पड़ेगा वरना यह कन्या योग फलित नहीं होगा .
भगवान : तुमने ठीक समझा वत्स , ऐसा ही होता है .
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परमात्मा की महिमा में आप सभी का हार्दिक अभिनन्दन है