परमात्मा की महिमा का अभ्यास - अध्याय 1 | परमात्मा की महिमा
➤इस वीडियो में हम परमात्मा की महिमा का अभ्यास शुरू से समझा रहे है की किस प्रकार एक नया साधक इस अभ्यास को शुरू करे . इसमें अभ्यास दिया जा रहा है की कैसे हम आँखों का सदुपयोग करे , कानो का सही प्रयोग कैसे करे , स्पर्श का प्रयोग सही कैसे करे , घृणा से मुक्ति कैसे मिले , कर्कश आवाज को कैसे सहन करे , आँखों में ठंडक कैसे लाये , आँखों की सभी बीमारियों से कैसे बचे , कान के रोगो को कैसे ठीक करे .
➤ शरीर की ऊर्जा कैसे बढाए , शत्रुता को मित्रता मे कैसे बदले , मन को भूमध्य पर कैसे लाये , मन को श्वास पर कैसे लाये , मन को कुठस्थ पर कैसे लाये , शुषुम्ना नाड़ी क्या है , दुबलेपन को कैसे दूर करे , मोटापे को कैसे दूर करे , संसार में सुखी कैसे रहे , शरीर को स्वस्थ कैसे करे , मन को स्वस्थ कैसे करे , बीमारियों का इलाज कैसे करे , शांत कैसे रहे , शांति से कैसे बैठे , मन की शक्ति को कैसे बचाये , मन की शक्ति को कैसे बढाए , सिर से लेकर पाँव तक में एकाग्र कैसे हो .
➤ हमारा आप सभी मित्रों से यह विनम्र निवेदन है की इस चैनल से एक टीवी एपिसोड की तरह जुड़े और नियमित अभ्यास करे . पहले बहुत ध्यान से इसके वीडिओज़ को देखे और इसके आर्टिकल्स को ध्यान से पड़े . बार बार देखने और पड़ने से अभ्यास करने का मन होने लगता है और जैसे ही आप बहुत ही ख़ुशी के साथ सिर से लेकर पाँव तक में एकाग्र होने का अभ्यास करने लगेंगे तो फिर धीरे धीरे आप को स्थायी ख़ुशी की अनुभूति होने लगेगी . धन्यवाद जी . मंगल हो जी .
केवल परमात्मा का अस्तित्व है. परमात्मा सर्वव्यापी है परमात्मा कण कण में विराजमान है. परमात्मा का हर गुण अनंत है जैसे परमात्मा का एक गुण यह भी है की वे एक से अनेक रूपों में प्रकट होते है. निराकार से साकार रूप में प्रकट होना है : सृष्टि की उत्पति अर्थात निराकार से साकार रूप में प्रकट होना ,असंख्य जीव अर्थात एक से अनेक होने का गुण. मानव का लक्ष्य केवल परमात्मा को जानना है , खुद के स्वरूप को जानना है , परमात्मा और हमारे बीच दूरी शून्य है इसका अनुभव करना है , हर पल खुश कैसे रहे इसका अभ्यास करना है
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परमात्मा की महिमा में आप सभी का हार्दिक अभिनन्दन है