Tuesday, May 28, 2024

भयंकर दर्द में भी हँसे कैसे ? | परमात्मा की महिमा - भाग 3

 अर्थात ज्ञानी साधक तीव्र परिवर्तनों को बड़ी ही समझदारी से धीरे धीरे सहन करके उनको अपने अवचेतन मन से विदा कर देता है और नयी आदतों के बीज अवचेतन मन में डालता जाता है और इन नयी अच्छी आदतों के लालन पालन के लिए उचित वातावरण उपलब्ध कराता है . जैसे हम दर्द महसूस करने की आदत को ख़ुशी महसूस करने की आदत में रूपांतरित करना चाहते है तो हम ऊपर बताई गयी विधि अपनाकर हम वे सभी काम करेंगे जिनको करने के दौरान हम दर्द को भूल जायेंगे . जैसे हम कोई हमारा बहुत ही पसंदिता संगीत , भजन , गाना सुनेंगे या पार्क में खेलेंगे , कोई अच्छी चीज खाएंगे , या कोई अच्छी किताब पढ़ेंगे, या कोई पिक्चर देखेंगे , या मंदिर -मस्जिद -गुरुद्वारा -चर्च जायेंगे , या कही घूमने जायेंगे , या किसी दोस्त से मिलेंगे, या कोई दर्द का इलाज लेंगे इत्यादि . परमात्मा की महिमा का अभ्यास एक मात्र ऐसा अभ्यास है जिसको पूर्ण रूप से करने पर आप 48 डिग्री तापमान में भी काम करते हुए ठण्ड का अनुभव करेंगे और भयंकर ठण्ड में भी आप गर्मी का अनुभव करंगे . अर्थात आप पूर्ण अभ्यास पर मौसम से अप्रभावित रहने लग जायेंगे . पर इस अवस्था मै यदि आप परमात्मा से सीधा सम्बन्ध होने के कारण आप को जो शक्ति मिलती है उसका यदि प्रकृति के विरुद्ध जाकर इस्तेमाल करते है तो फिर परमात्मा आप से यह शक्ति वापस ले लेते है . क्यों की परमात्मा को प्रकृति का संतुलन बनाये रखना बहुत जरुरी है . इसीलिए तो पृथ्वी पर मनुष्य जब अपने विचारों में दूरी बना लेता है और अनुभव करता है की मै अलग हु , हवा अलग है , पृथ्वी अलग है , अग्नि अलग है पेड़ पौधे अलग है , दूसरे व्यक्ति अलग है , जीव जंतु अलग है और ऐसा अनुभव करके अनैतिक कार्य करने लगता है तो परमात्मा प्रकृति के माध्यम से एकता का अनुभव कराने के लिए ऐसे मनुष्य के जीवन में भयंकर आंधी तूफ़ान , सुनामी , भूकंप इत्यादि को लाते है और इससे ऐसे मनुष्य को पूर्ण रूप से यह अहसास हो जाता है की हम प्रकृति से किसी न किसी रूप में अवश्य जुड़े है . मनुष्य के जीवन में हर एक घटना के पीछे एक सच्चा कारण होता है . इसलिए यदि आप दर्द मे भी हँसना चाहते है तो फिर परमात्मा की महिमा का अभ्यास करे अर्थात भूमध्य साधना करे , सिर से लेकर पाँव तक में एकाग्र होने का अभ्यास करे , कूटस्थ पर ध्यान केंद्रित करे , सुषुम्ना में उतरे , हर काम करते हुए अपने शरीर को याद रखे , पैर कहा है , सिर कहा है , हाथ कहा है , कमर कहा है , पीठ कहा है , पेट कहा है , जाँघे कहा है , पिण्डलिया कहा है , श्वास कहा तक चल रही है , शरीर में क्या क्या परिवर्तन हो रहे है , दर्द कहा हो रहा है , खुजली कहा हो रही है , सुन्नपन कहा है , नशे कहा फड़क रही है , खून किधर बह रहा है, आप क्या सुन रहे है , आप क्या सूंघ रहे है , आप क्या देख रहे है , आप के भीतर क्या चल रहा है . यह सब करने में समय लगता है .

आगे का भाग कल शाम 5 से पढ़े……..

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