इसलिए आप को जरुरत है परमात्मा की महिमा के अभ्यास की तरफ पहला कदम उठाने की . जब आप शुद्ध अंतकरण से पहला कदम उठा लेंगे (शिव की शक्ति का प्रयोग करके) तो विष्णु की शक्ति आप के इस पहले कदम को अवचेतन मन में जमा कर देगी और फिर दूसरा कदम(परिवर्तन के लिए अर्थात आप को नयी आदतों की सीढ़ी बनाने के लिए) उठाने के लिए आप फिर से शिव की शक्ति का प्रयोग करेंगे . यह शिव की शक्ति जब आप जब भूमध्य पर एकाग्र होकर भूमध्य पर ध्यान करेंगे तो आप को मिलने लगेगी और फिर धीरे धीरे शरीर में हर हिस्से में एकाग्र होकर उस हिस्से में ध्यान करोगे तो वहा सोयी हुयी शिव की शक्ति जगने लगेगी और आप का इससे सीधा संपर्क होने लगेगा . अर्थात आप आत्मा से जुड़ते हुए परमात्मा से जुड़ने लगेंगे और आप को अनुभव होने लगेगा की आत्मा शरीर के हर हिस्से में है और परमात्मा कण कण में है . आप को ज्ञान होगा की आत्मा और परमात्मा दोनों एक है . आप इतने समय से अपने आप को शरीर मान रहे थे इसलिए आप को यह वहम था की मै अलग हु , आत्मा अलग है , परमात्मा अलग है . पर जब परमात्मा की महिमा का अभ्यास करोगें तो पता चलेगा तीनों एक ही है बस रूप बदल रहा है . आप पहले भी थे , अभी भी हो और आगे भी रहोगे . आप अजर अमर है . आप को अनुभव होगा की ना तो जन्म होता है और ना ही मृत्यु होती है केवल निर्माण (ब्रह्मा शक्ति ), सुरक्षा (विष्णु शक्ति ), और परिवर्तन (शिव की शक्ति ) होते है . जब हम बेहोशी में जीते है तो यही हमारे लिए प्रलय कहलाती है . जिसे साधारण भाषा में कहते है की शिव ही इस सृष्टि का श्रंगार करते है अर्थात संसार प्रकट होता है ब्रह्मा शक्ति से , संसार का लालन पालन विष्णु जी करते है और संसार में परिवर्तन शंकर जी करते है . इन को भारत में ब्रह्मा , विष्णु और महेश कहते है . अर्थात ये तीनों देवता ही इस संसार को चलाते है . पर इसका मतलब यह नहीं है की यह तीनों देवता विदेशों में नहीं होते है . निर्माण का काम तो अमेरिका , रूस , जापान सभी जगह हो रहा है . जैसे अमेरिका की कंपनियों में रोज नए निर्माण हो रहे है , उनकी सुरक्षा हो रही है और जरुरत पड़ने पर आवश्यक परिवर्तन हो रहे है . ऐसा ही रूस में हो रहा है , ऐसा ही जापान में और ऐसा ही हमारे शरीर में हो रहा है . इसलिए ये तीनों देवता तो सभी जगह मौजूद है . बस बात इतनी सी है की परमात्मा की लीला के कारण संसार में विविधता को कायम रखने के लिए हमे अलग अलग भाषा के लोग मिलते है , अलग अलग क्षेत्रो के अलग अलग व्यंजन प्रसिद्द होते है , अलग अलग वेश भूषा , अलग अलग धर्म , अलग अलग सम्प्रदाय होते है . क्यों की विविधता ही संसार है . मुझे पूर्ण विश्वास है की यह छोटी सी जानकारी आप को जीवन में सही राह दिखाएगी . धन्यवाद जी . मंगल हो जी .
केवल परमात्मा का अस्तित्व है. परमात्मा सर्वव्यापी है परमात्मा कण कण में विराजमान है. परमात्मा का हर गुण अनंत है जैसे परमात्मा का एक गुण यह भी है की वे एक से अनेक रूपों में प्रकट होते है. निराकार से साकार रूप में प्रकट होना है : सृष्टि की उत्पति अर्थात निराकार से साकार रूप में प्रकट होना ,असंख्य जीव अर्थात एक से अनेक होने का गुण. मानव का लक्ष्य केवल परमात्मा को जानना है , खुद के स्वरूप को जानना है , परमात्मा और हमारे बीच दूरी शून्य है इसका अनुभव करना है , हर पल खुश कैसे रहे इसका अभ्यास करना है
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परमात्मा की महिमा में आप सभी का हार्दिक अभिनन्दन है