जब आप परमात्मा की महिमा का अभ्यास निरन्तर करते है तो आप को धीरे धीरे यह अहसास होता है की मेरे लिए यही बहुत बड़ी बात है की यह लोग मेरे साथ रह रहे है . क्यों की जब आप बीमार पड़ते है तो यही घर वाले आप को चिकित्सा के लिए अस्पताल ले जाते है , आप की देखभाल करते है . मेरी यह बात आप को अजीब जरूर लगेगी पर जब आप भयंकर पीड़ा में होते है तब आप को किसी के होने का अहसास होता है . आप घर वालों से परेशान तभी होंगे जब आप उनको सुधारने की कोशिस करते हो और वे अपनी मर्जी से जीना चाहते हो . आप खुद के ऊपर लेकर देखना जब आप को कोई काम पसंद नहीं होता है और घर का कोई सदस्य आप को वही काम करने के लिए कहता है तो आप को क्रोध आता है . तो ठीक यही बात आप उन सदस्यों के लिए भी समझने का प्रयास करे . इसका आंतरिक सत्य यह है की कभी ना कभी आप ने इन परिवार वालों से ऐसे कर्म बंधन बांधे है जो अब फलित हो रहे है . इसीलिए तो जब हम बिना समझ के संतान को जन्म देते है तो वह संतान भी हमें नहीं समझ पाती है और हम जीवनभर उससे परेशान रहते है . इसलिए जब हम सिर से लेकर पाँव तक में एकाग्रता का अभ्यास करते है तो हम कर्मो की इस गुत्थी को सुलझाने में सफल हो जाते है और यही घर वाले हमे अच्छे लगने लगते है . आप देखा करो जब कोई हमारे घर का सदस्य बहुत बीमार हो जाता है और उसने हमे जीवनभर परेशान किया है तो उसके अब जाने के समय पर हम उन सभी अत्याचारों को भूल जाते है और हमे उनके स्वास्थ्य के लिए चिंता होने लगती है . ऐसा क्यों होता है ?. ऐसा इसलिए होता है की जब किसी की मोत सामने दिखने लगती है तो हमे हमारी मोत के बारे चिंता होने लगती है और लगने लगता है की हमारा जीवन तो एक खालीपन से भरा था . हमने हमारा जीवन इन सदस्यों से दूरी मानकर खराब कर दिया है . इसलिए कभी भी मन में ऐसे भावों को जगह ना दे जो दूरी बढ़ाते हो . यदि आप से घर का माहौल देखा नहीं जा रहा है तो कुछ समय के लिए घर से बाहर चले जाये और फिर वापस आ जाये . तब तक माहौल शांत हो चूका होता है . कुछ समय के लिए एकांत में रहे और चिंतन करे खुद के बारे में . अपने पुराने अच्छे दिनों को याद करके खुश हो जाए . क्यों की यह सब हमारे मन के कारण होता है . आप एकाग्र नहीं होंगे तो आप के भीतर जो ईर्ष्या , घृणा , निंदा , बुराई के बीज छिपे हुए है वे पता नहीं कब अंकुरित हो जाये और आप के बुद्धि और विवेक को नष्ट कर दे . फिर आप क्या करेंगे . क्यों की मनुष्य का विवेक खोने पर उसका जीवन नदी में डूबने के समान है . इसलिए बुरे समय का इन्तजार ना करे , बल्कि अच्छे समय में बुरे से बुरे समय की कल्पना करके अपने आप को उस बुरे समय के लिए तैयार करे . तो आप देखंगे आप का बुरा समय कभी नहीं आएगा . क्यों की वास्तविक ध्यान करने वाली की कभी मोत नहीं होती है . वह जीवन और मोत को मात दे देता है . इसलिए मेरे प्यारे साधको प्रभु से एकता का अभ्यास करे . धन्यवाद जी . मंगल हो जी .
केवल परमात्मा का अस्तित्व है. परमात्मा सर्वव्यापी है परमात्मा कण कण में विराजमान है. परमात्मा का हर गुण अनंत है जैसे परमात्मा का एक गुण यह भी है की वे एक से अनेक रूपों में प्रकट होते है. निराकार से साकार रूप में प्रकट होना है : सृष्टि की उत्पति अर्थात निराकार से साकार रूप में प्रकट होना ,असंख्य जीव अर्थात एक से अनेक होने का गुण. मानव का लक्ष्य केवल परमात्मा को जानना है , खुद के स्वरूप को जानना है , परमात्मा और हमारे बीच दूरी शून्य है इसका अनुभव करना है , हर पल खुश कैसे रहे इसका अभ्यास करना है
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
क्रियायोग - हमे सुख और दुःख की अनुभूति क्यों होती है ?
आज मै आप को यह गहराई से समझाने जा रहा हु की हमे सुख और दुःख की अनुभूति क्यों होती है . हमे सुख और दुःख की अनुभूति परमात्मा के माध्यम से जो...
-
इस दवा से कभी नहीं होंगे दाँत और मसूड़ों के रोग | परमात्मा की महिमा जब हम हमारे मुँह की बदबू से घृणा करते है और अपने दांतो और मसूड़ों की बीम...
-
भक्त और भगवान के बीच बातचीत विषय : माया क्या है , विचार क्या है , आकर्षण का सिद्धांत क्या है ऐसे यह भक्त अपने परमपिता परमेश्वर से बहुत कुछ...
-
परमात्मा की महिमा क्या है ? परमात्मा की महिमा का अर्थ है की कैसे हम अपने स्वरूप को जाने , परमात्मा को जाने , हमारे और परमात्मा के बीच दू...
No comments:
Post a Comment
परमात्मा की महिमा में आप सभी का हार्दिक अभिनन्दन है