मेरे प्रिये साधको आज मै आप को वो ज्ञान बताने जा रहा हु जिसे यदि आप ने अनुभव कर लिया तो फिर आप को बदलने से कोई नहीं रोक सकता है . हां यही सत्य है . जब आप आज तक के खुद के जीवन का पूरी गहराई से आकलन करेंगे तो आप को पता चलेगा की जिस किसी ने भी आप की मदद की है उसने बदले मे आप से उसकी कीमत किसी भी रूप में वसूल की है . जैसे आप कभी बहुत बीमार हुए हो और आप के प्रियजन ने आप की मदद की है तो वह हर जगह उसकी चर्चा करके वाहिवाही लूटता है . और आप को जब इस बात का पता चलता है तो धक्का लगता है . क्यों की उन्होंने निश्वार्थ भावना से आप की मदद नहीं करी थी . निश्वार्थ भावना से मदद केवल भगवान का भक्त ही कर पाता है. इसलिए अपने आप को हर किसी के सामने ऐसे ही नहीं परोश दे और वो आप की कमजोरी का फायदा उठाये . आप ईश्वर की संतान है आप कोई साधारण जीव नहीं है . उम्र चाहे आप की कुछ भी हो , और स्वास्थ्य आप का कैसा भी हो सबसे पहले खुद पर विश्वास रखे और समझे की खुद ईश्वर आप के भीतर मौजूद है . पर यह सोच आप के भीतर तभी आएगी जब आप केवल सत्य के मार्ग पर होंगे . इसलिए अपने आप को पूर्ण रूप से ईश्वर के समक्ष समर्पण करके ईश्वर द्वारा प्रदान की गयी कर्म करने की शक्ति का इस्तेमाल करके विचार करे की मै जो चाहु वो प्राप्त कर सकता हु पर प्राप्त आप को वो ही होगा जो इश्वरिये नियम के अंतर्गत आता हो . जब आप के भीतर यह भाव आ जायेगा तब यदि आप बहुत ही खराब हालत मे होंगे तो खुद परम पिता परमेश्वर किसी भी रूप में आकर आप की मदद करेंगे और बदले में कुछ नहीं चाहेंगे . जब संसार की सारी दवाये असफल हो जाती है तब केवल परमात्मा की अमृत बूटी काम आती है . इसलिए अपने आप को ईश्वर के हवाले करके जीवन के सारे कार्य करे . सेवा करे और बदले में कुछ ना चाहे . फिर देखो क्या चमत्कार होता है . कोई काम छोटा नहीं होता है यदि आप उसे पूरी ईमानदारी से करते है तो . इसलिए हमेशा मेहनत की कमाई ही खानी चाहिए .
केवल परमात्मा का अस्तित्व है. परमात्मा सर्वव्यापी है परमात्मा कण कण में विराजमान है. परमात्मा का हर गुण अनंत है जैसे परमात्मा का एक गुण यह भी है की वे एक से अनेक रूपों में प्रकट होते है. निराकार से साकार रूप में प्रकट होना है : सृष्टि की उत्पति अर्थात निराकार से साकार रूप में प्रकट होना ,असंख्य जीव अर्थात एक से अनेक होने का गुण. मानव का लक्ष्य केवल परमात्मा को जानना है , खुद के स्वरूप को जानना है , परमात्मा और हमारे बीच दूरी शून्य है इसका अनुभव करना है , हर पल खुश कैसे रहे इसका अभ्यास करना है
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परमात्मा की महिमा में आप सभी का हार्दिक अभिनन्दन है