आत्म ज्ञान क्या है ? | परमात्मा की महिमा
➤इस वीडियो में यह समझाया गया है की वहम का इलाज भगवान है , शरीर की हलचल से श्वास बदल जाती है , श्वास को बदलने से शरीर बदल जाता है , प्रभु की अनुभूति कैसे करे , गृहस्थ , मुनि , संत , साधु सब एक ही है बस कर्म अलग अलग करने के कारण नाम अलग अलग है , जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि , ज्याकी रही भावना जैसी , मूरत दिखे उनको वैसी , साधना की अति खतरनाक है .
➤केवल बैठकर ध्यान शरीर के लिए सही नहीं है , शरीर से घृणा बीमारियों का कारण है , दुखी होकर शरीर का त्याग नहीं बल्कि अपने आप छूटे , साधना से शरीर नया होता है , श्वस्थ शरीर के बिना साधना असंभव है , शरीर के अंग भावों से नियंत्रित होते है , मन की मलीनता ही सब रोगों की जड़ है.
केवल परमात्मा का अस्तित्व है. परमात्मा सर्वव्यापी है परमात्मा कण कण में विराजमान है. परमात्मा का हर गुण अनंत है जैसे परमात्मा का एक गुण यह भी है की वे एक से अनेक रूपों में प्रकट होते है. निराकार से साकार रूप में प्रकट होना है : सृष्टि की उत्पति अर्थात निराकार से साकार रूप में प्रकट होना ,असंख्य जीव अर्थात एक से अनेक होने का गुण. मानव का लक्ष्य केवल परमात्मा को जानना है , खुद के स्वरूप को जानना है , परमात्मा और हमारे बीच दूरी शून्य है इसका अनुभव करना है , हर पल खुश कैसे रहे इसका अभ्यास करना है
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परमात्मा की महिमा में आप सभी का हार्दिक अभिनन्दन है