मन को एकाग्र करने का अभ्यास - भाग 2 | परमात्मा की महिमा
इस वीडियो में हमने एक ऐसा अभ्यास दिया है जिसे करने से मन एकाग्र होने लगता है . क्यों की यह अभ्यास हमें प्रभु से जोड़ता है अर्थात सत्य से जोड़ता है तो हमें आस पास की चीजों के बारे में सही समझ होने लगती है . इस अभ्यास से हम बिना जरुरत के ऊर्जा खर्च नहीं करते है , झगड़ो में नहीं फसते है , कर्जे से मुक्ति मिलती है , आत्म ज्ञान जगने लगता है , विचार की समझ विकसित होती है , दिव्य इच्छा शक्ति के केंद्र जगने लगते है, सभी जीवों से आपसी एकता की अनुभूति होती है , चिंता अपने आप गायब होने लगती है , हम सुरक्षित महसूस करने लगते है , भोजन से पोषक तत्व ग्रहण करने लगते है , पाचनतंत्र ठीक होने लगता है , वात पित्त कफ समता मे आने लगते है , पंच तत्व का संतुलन बनने लगता है .
केवल परमात्मा का अस्तित्व है. परमात्मा सर्वव्यापी है परमात्मा कण कण में विराजमान है. परमात्मा का हर गुण अनंत है जैसे परमात्मा का एक गुण यह भी है की वे एक से अनेक रूपों में प्रकट होते है. निराकार से साकार रूप में प्रकट होना है : सृष्टि की उत्पति अर्थात निराकार से साकार रूप में प्रकट होना ,असंख्य जीव अर्थात एक से अनेक होने का गुण. मानव का लक्ष्य केवल परमात्मा को जानना है , खुद के स्वरूप को जानना है , परमात्मा और हमारे बीच दूरी शून्य है इसका अनुभव करना है , हर पल खुश कैसे रहे इसका अभ्यास करना है
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परमात्मा की महिमा में आप सभी का हार्दिक अभिनन्दन है