यदि आप मन को एकाग्र करना चाहते है , आज्ञा चक्र को जगाना चाहते है , कुंडलिनी जागरण करना चाहते है , अपने शरीर के चक्रो को खोलना चाहते है , शरीर के एक एक सेल को जगाना चाहते है , अपना भूत भविष्य जानना चाहते है , हर पल खुश रहना चाहते है , खुद को जानना चाहते है , अपने स्वरुप का दर्शन करना चाहते है , परमात्मा को जानना चाहते है , आत्मा परमात्मा का मिलन कैसे होता है यह जानना चाहते है , ध्यान करना चाहते है , पैसा कमाना चाहते है , सभी बीमारियों से हमेशा के लिए छुटकारा चाहते है ,योग करना चाहते है , योग क्या है यह जानना चाहते है या अंत में आप सबकुछ अनुभव करना चाहते है तो मै जो ब्लॉग लिखता हु उनको बहुत ही ध्यान से पढ़े और मेरे वीडियो देखे फिर क्रियायोग का अभ्यास पूर्ण मनोयोग के साथ करे . पूरी श्रद्धा , भक्ति और विश्वास के साथ आप जब सिर से लेकर पाँव तक में एकाग्र होकर जीवन की सभी क्रियाये करने लगते है तो एक समय आता है जब आप और परमात्मा के बीच दूरी शून्य होने का आपको अनुभव हो जाता है और अब आप हर पल खुश रहने लगते है . सभी प्रकार के भय , चिंता , घबराहट , लोभ , लालच , शंकाये हमेशा के लिए समाप्त हो जाते है और केवल आनंद शेष रह जाता है .
अब आप को करना क्या है :
यदि आप बहुत जल्द सफलता चाहते है तो भूमध्य(आज्ञा चक्र - तीसरी आँख) दर्शन करे . इसके लिए आप किसी शांत जगह पर खाली पेट बैठकर अपनी आँखों को बंद करके, मुठ्ठी बंद करले या हथेली पर हथेली रख ले या जिस अवस्था में आपको ज्यादा देर तक बैठने में कोई ज्यादा बड़ी परेशानी ना हो , जैसे सुखासन , पद्मासन , वज्रासन में से आप खुद चुनाव करके अपने मन को आज्ञा चक्र पर लेकर आये अर्थात मन को आज्ञा चक्र पर एकाग्र करे और बंध आँखों से वहाँ लगातार देखे अर्थात मन को आज्ञा चक्र पर एकाग्र करके ध्यान करे और मन वहाँ से भागने लगे तो नाक से आती जाती श्वास पर थोड़ा सा मन को ले आये और फिर जैसे ही श्वास पर मन एकाग्र होने लगे फिर से मन को पूर्णतया आज्ञा चक्र पर ले आये और यदि श्वास पर से भी मन भागने लगे तो थोड़ा श्वास को सजगता से गहरा भरे और रुके फिर छोड़े ताकि आप कैसे भी करके मन को आज्ञा चक्र पर ज्यादा देर तक रोक सके . यह आप के विवेक से संभव होता है की आप क्या तरीका अपनाते है ताकि आप बिना किसी खतरे के मन को ज्यादा देर तक आज्ञा चक्र पर रोक सके और वहाँ का दर्शन कर सके . वहाँ क्या दिखेगा इसकी कल्पना ना करे बल्कि जो कुछ भी वहाँ दिखे उसी को परमात्मा मान ले . क्यों की कण कण में केवल परमात्मा का ही अस्तित्व है . परमात्मा के अलावा कुछ भी नहीं है . आप को धीरे धीरे अनुभव होगा की आप शरीर नहीं है बल्कि परमात्मा के प्रकाश से आप के शरीर का निर्माण हो रहा है . अर्थात परमात्मा का प्रकाश ही सिर के पीछे से (जिसे विज्ञानं की भाषा में मेडुला कहते है) आता हुआ इस शरीर के रूप में घनीत हो रहा है . अर्थात आपका पूरा शरीर परमात्मा के प्रकाश से बना हुआ है . इससे आप की दिव्य इच्छा शक्ति के केंद्र खुलने लगते है और आप को सर्वव्यापकता की अनुभूति होने लगती है , अज्ञानता का पर्दा हटने लगता है और आप सच से जुड़ने लगते है . सभी प्रकार की वासनाये धीरे धीरे शांत होने लगती है और आप की सोचने समझने की शक्ति बढ़ने लगती है . आप सही समय पर सही निर्णय लेने लगते है . आप में ज्ञान जगने लगता है. आप यह अभ्यास जितना ज्यादा देर तक करेंगे उतना ही ज्यादा फायदा होगा . पर इसका मतलब यह नहीं है की सारे काम धाम छोड़कर केवल आप यह अभ्यास ही करने लग जाए. यदि अभी आप अपने शरीर का अस्तित्व बनाये रखना चाहते है तो आपको अपनी जिम्मेदारियों को भी निभाना है . इसके लिए आप जब ध्यान से उठे तो पहले आँखों को धीरे धीरे खोले और फिर धीरे धीरे उठे . इस अभ्यास के दौरान आप के शरीर में कई प्रकार के परिवर्तन होंगे उनसे डरे नहीं बल्कि परमात्मिक अनुभूति मानकर स्वीकार करे बहुत ही ख़ुशी और विश्वास के साथ . पर याद रखे जिन परिवर्तनों को आप सहन नहीं कर पा रहे है ख़ुशी के साथ तो अभ्यास को थोड़ा रोके और फिर कुछ समय बाद करने लग जाए . यह आप के विवेक और सामर्थ्य की बात है आप कितनी देर तक अभ्यास कर सकते है . यह आप का खुद का निर्णय होता है . यदि आप ध्यान के रोज अलग अलग वीडियो देखेंगे या अलग अलग ब्लॉग पढ़ेंगे या अलग अलग जगहों से जानकारिया एकत्रित करेंगे तो आप विचारो के जाल में फँस जायेंगे और ध्यान नहीं कर पाएंगे . इसीलिए मै कहता हूँ की एक साधे सब सधे सब साधे सब जाय . आप पहले यह तय करे की यदि आप को हमारी इन जानकारियों से लाभ हो रहा है और वीडियो के माध्यम से आप ध्यान के मार्ग पर आगे बढ़ रहे है तो फिर यह आपकी नैतिक जिम्मेदारी बनती है की आप हमारे इस मिशन को सेवा भाव से पुरे संसार में फैलाये ताकि संसार का हर प्राणी सुखी हो . क्यों की जीव जीव भगवान् है . किसी के भी वीडियो की निंदा ना करे और नाही किसी से घृणा करे , ना ईर्ष्या करे . सभी हमारे परम मित्र है , हमारे ही अंश है . यदि आप को किसी और के वीडियो से या लेखो से लाभ हो रहा है तो आप वे देखे . आप पूर्णतया स्वतंत्र है अपने कर्म करने को लेकर . इस संसार में पूर्ण ग्यानी परमात्मा के अलावा कोई नहीं है . मै भी पूर्ण ग्यानी नहीं हूँ. मै परमात्मा का बच्चा हूँ और परमात्मा के हुक्म का पालन कर रहा हूँ . मेरा लक्ष्य केवल सेवा करना है . आप को आप के स्वरुप का दर्शन कराना है . धन्यवाद जी . मंगल हो जी .
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परमात्मा की महिमा में आप सभी का हार्दिक अभिनन्दन है