आज मै आप को परमात्मा का वह रहस्य समझाने जा रहा हूँ जिसे यदि आप ने सही से समझ लिया तो फिर आप को बीमारी को कैसे ठीक करना है यह सही से समझ में आ जायेगा .
अभी
आप को यही पता नहीं है की आप के बीमारी क्या है और ना ही आप के चिकित्सक को सही से
पता है की आप के क्या बीमारी है . दरअसल होता क्या है की हम हमारे शरीर में जो
हमारे माध्यम से किये गए गलत कर्मो के कारण कई प्रकार के परिवर्तन होते है उन्हें
सहन नहीं कर पाते है और हम इन तरह तरह के परिवर्तनों से घबराकर मन में कई प्रकार
के विचार लगातार पालते पोषते रहते है और समय पाकर यही विचार बीमारी के रूप में
घनीभूत होकर हमारे शरीर में प्रकट होने लगते है .
जब हम किसी एक बीमारी का इलाज कराने चिकित्सक के पास जाते है तो वहाँ के वातावरण से दस बीमारी और लेकर आते है . जैसे आप तो सिर दर्द के इलाज के लिए चिकित्सक के पास गए थे और वहाँ आप को माईग्रेन के तीन मरीज और मिल गए और आप के भीतर उनकी खुद की बीमारी से सम्बंधित कई विचार भर दिए . कुछ समय बाद ये विचार आप को यह विश्वास दिलायेंगे की आप ज्यादा चिंता मत करा करो नयी तो आप को भी माईग्रेन की बीमारी हो जाएगी .
ठीक इसी प्रकार
हम चिकित्सक पर तो विश्वास करते है और दवा भी सही से लेते है पर जिन कारणों से यह
अमुक बीमारी पैदा हुयी है उनको हम बंद नहीं करते . तो
फिर आप ही बताईये आप की बीमारी ठीक कैसे होगी ?.
कई बार बीमारी पुराने संचित कर्मो के कारण भी फलित होती है . तो कई बार हम अमुक बीमारी से पीड़ित व्यक्ति की निंदा करते है , उससे घृणा करते है , खुद को औरो से ज्यादा स्वस्थ समझते है , ज्यादा अहंकार भाव में जीते है तब भी बीमारी हो जाती है .
किसी
भी प्रकार के जीव को कष्ट देने से भी बीमारी हो जाती है . अर्थात जिस कारण से
बीमारी होती है उसी कारण को ठीक करे बिना बीमारी से पूर्णतया मुक्ति पाना संभव
नहीं है . जैसे यदि हम जहरीले रसायनों युक्त खाद्य पदार्थो का सेवन करेंगे और
ज्यादा प्रदूषण में रहेंगे तो फिर यह शरीर रुपी मशीन बीमार तो होगी ही . इस संसार
के सभी जीवों के अस्तित्व की सुरक्षा के लिए प्राकृतिक संतुलन बहुत आवश्यक है .
आप का सम्बन्ध संसार के हर प्रकार के जीव से इस प्रकार से है जैसे सागर से लहर . इसलिए ब्रह्माण्ड की हर एक घटना आप को प्रभावित अवश्य करती है . इसीलिए तो आप के मन में अचानक से तरह तरह के विचार आने लगते है .
बीमारी
का जड़ से इलाज कैसे करे ?
क्रियायोग ध्यान का पूर्ण मनोयोग से पूरी श्रद्धा , भक्ति और विश्वास के साथ अभ्यास करने से आप को आप के वास्तविक स्वरुप का ज्ञान होने लगता है और बीमारी के पीछे छिपे असली कारणों का सही पता लगने लगता है . और फिर धीरे धीरे अभ्यास की निरंतरता से आप की बीमारी हमेशा के लिए ठीक हो जाती है .
प्रभु
का यह लेख यदि आप को फायदा पहुँचाता है तो आप की यह नैतिक जिम्मेदारी बनती है की
आप इस लेख को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक भेजकर प्रभु के श्री चरणों में अपना स्थान
सुनिश्चित करे . धन्यवाद जी . मंगल हो जी .