Friday, November 22, 2024

क्रियायोग - पाइल्स (बवासीर) रोग का जड़ से इलाज

आज मै आप को पाइल्स रोग के कारण , इसमें होने वाली पीड़ा और इसका जड़ से इलाज कैसे करे इसके बारे में समझाने जा रहा हूँ .

जब आप पूर्ण मनोयोग से पूरी श्रद्धा , भक्ति और विश्वास के साथ क्रियायोग का अभ्यास करते है तो आप को इस रोग की पूरी सच्चाई का पता चल जाता है . जैसा की इस रोग के नाम में ही इसका प्रकट रूप छिपा है . अर्थात जब व्यक्ति का गुदा मार्ग व्यक्ति की खुद की गलत आदतों के कारण संक्रमित हो जाता है , यह क्षेत्र खराब खानपान और गन्दी आदतों के कारण पक जाता है , इसकी सरंचना असामान्य हो जाती है , गुदा मार्ग के अंदर बाहर मवाद वाले मस्से हो जाते है , कई बार शौच त्याग करते समय अधिक जोर लगाने के कारण गुदा मार्ग जो मल त्याग करके पुन अपनी सामान्य स्थिति में ना आकर इसका मुँह चौड़ा ही रह जाता है . जैसे आप ने जानवरों को गोबर करते हुए देखा होगा , जानवर जब गोबर करने के लिए तैयार होते है तो उनका गुदा मार्ग चौड़ा हो जाता है और गोबर करने के पश्चात वापस भीतर की तरफ सिकुड़ जाता है . यह सभी जीवों में एक सामान्य क्रिया होती है .

परन्तु जब व्यक्ति अपनी वासनाओं पर परमात्मा में विश्वास की कमी के कारण काबू नहीं कर पाता है तो वह अधिक उत्तेजना प्रदान करने वाले भोज्य पदार्थो का सेवन करने लगता है जैसे बहुत ज्यादा गर्म मसालों का प्रयोग करना , अधिक नमक , मिर्च वाले पदार्थ खाना , अप्राकृतिक मैथुन करना , अत्यधिक दवाओं का सेवन करना , अधिक स्वादिष्ट व्यंजनो का दास बन जाना , लगातार इसी बीमारी का चिंतन करना , इस बीमारी से घृणा करना , इस बीमारी से पीड़ित व्येक्तियों की निंदा करना , खुद चाहे प्राकृतिक भोजन करता हो पर इस बीमारी से पीड़ितों का मजाक उड़ाना , इस बीमारी की साइकोलॉजी में फस जाना , इस बीमारी को ही सच मान लेना , मन में यह विश्वास पैदा कर लेना की यह बीमारी मुझे भी होगी , मल के वेग को रोकना , लगातार कब्ज रहना , गैस्ट्रिक समस्या रहना , अधिक नमक के कारण गुदा मार्ग को खुजलाना ऐसे तमाम कारण है जिस वजह से यह बीमारी आज बहुत ज्यादा व्येक्तियों में पाई जाती है .

पाइल्स का जड़ से इलाज कैसे करे ?.

जब आप क्रियायोग का अभ्यास करते है तो आप का मन और शरीर धीरे धीरे प्राकृतिक अवस्था में आने लगता है . इस अभ्यास के माध्यम से जैसे जैसे आप के शरीर और मन के बीच दूरी घटने लगती है तो आप धीरे धीरे शांत होने लगते है और आप को अनुभव होने लगता है की मेरे साथ जो कुछ भी हो रहा है उसके पीछे एक शक्ति लगातार कार्य कर रही है और उस शक्ति का नाम परमात्मा की शक्ति है . इस शक्ति में ही वह ज्ञान छिपा है जो यह समझाता है ही जब आप मल त्याग करे तो किन बातों का ध्यान रखे , इसी ज्ञान के कारण आप के भोजन में मिर्च मसालों की कितनी जरुरत है आप को साफ़ साफ़ पता चलने लगती है क्यों की इस अभ्यास से आप परमात्मा से जुड़ने लगते हो और आप का मन वासनाओं की दिशा (संसार में बाहर भटकना) से मुड़कर अपने स्त्रोत (जिससे मन प्रकट होता है) की तरफ मुड़ने लगता है .

क्रियायोग के अभ्यास से आप खाने पिने को लेकर जाग्रत होने लगते है . उत्तेजना पैदा करने वाले भोजन के परिणाम आप को बिना भोजन करे पहले ही अनुभव होने लगते है , आप को अपनी गन्दी आदतों पर विजय दिलाता है क्रियायोग . आप को पता चलने लगता है की आप को इलाज के लिए पाइल्स का ऑपरेशन कराना चाहिए या नहीं , आप को पता चलने लगता है की कोनसी चिकित्सा पद्द्ति आप के लिए सबसे सही है .

जैसे आप एक प्रयोग करके देख सकते है की २ से ३ दिन तक अच्छा पका हुआ कैला खाये और इसके आगे पीछे २ घंटे तक कुछ भी ना खाये और पिए . तो आप को चमत्कारिक परिणाम देखने को मिलेंगे .

कैसे ?.

शायद आप को ज्ञात हो की कैला ठंडी प्रकृति का होता है और बहुत चिकना , मुलायम , घाव को भरने वाला , मिर्च मसालों से लगी आग को बुझाने वाला होता है . पर यह सब उपाय तभी काम करते है जब आप को क्रियायोग में पूर्ण विश्वास होता है . आप खुद ही अंदाजा लगा सकते है की तेज मिर्च मिसालों के कारण जो गुदा मार्ग में आग लगी है उसको शांत किसी ठंडे भोज्य पदार्थ से ही किया जा सकता है जो मुलायम हो और हल्का चिकना हो . इसलिए यदि आप पूर्ण शुद्ध २ से ३ चम्मच नारियल तेल को एक या २ पके हुए केलों में अच्छी तरह मिलाकर बहुत ही आराम से इसका सेवन करेंगे तो परिणाम आप को आश्चर्य चकित करेंगे ही करेंगे और आप की बीमारी इस अभ्यास और ऐसे प्रयोग से हमेशा के लिए जड़ से समाप्त होगी ही होगी .

प्रभु का यह लेख यदि आप को फायदा पहुँचाता है तो आप की यह नैतिक जिम्मेदारी बनती है की आप इस लेख को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक भेजकर हमारे इस सेवा मिशन में अपना अमूल्य योगदान देकर प्रभु के श्री चरणों में अपना स्थान सुनिश्चित करे . धन्यवाद जी . मंगल हो जी .

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