आज मै आप को परमात्मा के माध्यम से अपने परम पिता का वह राज बताने जा रहा हूँ जिस पर यदि आप को सच्चा विश्वास हो जाये तो आप का जीवन इसी क्षण से ख़ुशी की स्थिति में आने लगेगा . जैसे किसी को खुद का इलाज मोटिवेशनल स्पीकर से मिलता है तो किसी को साइकोलोजिस्ट से, और किसी को ऐलोपेथिक चिकित्सा से लाभ मिलता है तो किसी को आयुर्वेदिक चिकित्सा से , ठीक इसी प्रकार कोई व्यक्ति प्राकृतिक चिकित्सा से ठीक होता है तो कोई होम्योपैथिक चिकित्सा से , और कोई यूनानी चिकित्सा से तो कोई घरेलु नुस्खों से अपनी बीमारी को ठीक करता है .
अब आप ही सोचिए
यदि आप एक मोटिवेशनल स्पीकर है तो आप चिकित्सा की ज्यादा बाते नहीं करेंगे , और यदि आप एक चिकित्सक है तो आप मोटिवेशनल स्पीकर्स की ज्यादा तारीफ़ नहीं
करेंगे बल्कि खुद के काम करने के तरीकों को और आप जिस में विश्वास करते है उसी की
ज्यादा बात करेंगे . आप को हमेशा ज्यादातर मामलों में खुद सही और सामने वाला गलत
नज़र आएगा . और होना भी यही चाहिए यदि आप को आपके अस्तित्व की रक्षा करनी है तो .
पर क्या आप को उस
सत्य का अनुभव होता है की राम और रावण या देवता और राक्षस , अमृत और जहर , सही और गलत या अच्छे जीवाणु और बुरे जीवाणु
इत्यादि यह सब आप के भीतर ही है . आप को सिर्फ यह स्वीकार करना है की मुझे हर
परिस्थिति में समता भाव को नहीं खोना है . अर्थात जब हम परमात्मा के कार्य में
बाधा (मै कर रहा हु का भाव) बनते है तो हमे सभी प्रकार के कष्टों का सामना करना
पड़ता है . मै
और आप कुछ भी नहीं कर रहे है . यह जो आप की आँखे
इस लेख को देख रही है परमात्मा की मर्जी से ही कार्य कर पा रही है . अर्थात
जैसे ही आप के भीतर मै यह अमुक कार्य कर रहा हूँ का भाव जाग्रत होता है तो आपको थकान , आलस्य , निद्रा , चिंता , डर, बेचैनी , अत्यधिक ख़ुशी , अत्यधिक दुःख , कुल मिलाकर सभी प्रकार की समस्याएं
सताने लगती है . और जैसे ही आप परमात्मिक भाव (सबकुछ परमात्मा कर रहे है) में जीने
लगते है तो उपरोक्त सभी प्रकार की
समस्याएं गायब होने लगती है और आपको परम आनंद
की अनुभूति होने लगती है . अर्थात यह पूरा संसार भाव जगत से चलता है . आप की जैसी
दृष्टि होगी आप के लिए वैसी ही श्रष्टि होगी .
आप यह सब कैसे
अनुभव करेंगे ?
क्रियायोग का
पूर्ण मनोयोग से अभ्यास अर्थात जब आप सच्ची श्रद्धा , भक्ति और विश्वास के साथ क्रियायोग का अभ्यास करेंगे तो आप धीरे धीरे सत्य से
जुड़ने लगेंगे और आप की अज्ञान रुपी बीमारी हमेशा के लिए समाप्त हो जाएगी . इसलिए
इस लेख का सार यह है की इस दुनियाँ में कोई भी गलत नहीं है . अपनी अपनी जगह सभी
सही है . क्यों की हम सभी कलाकार है और परमात्मा निर्देशक है . हमारे प्रभु हमें
जैसा निर्देश देते है हमे वैसी ही कला दिखानी होती है . वे कहे अभी झूठ बोलो तो
हमे झूठ बोलना पड़ता है और वे कहे अभी सच बोलों तो हमे सच बोलना पड़ता है चाहे हमारे
इस सच बोलने से गर्दन ही क्यों नहीं कट जाए . अर्थात परमात्मा में पूर्ण समर्पण के
बिना सच्ची ख़ुशी की आशा करना बैमानी है . जब हम पूर्ण समर्पण भाव में जीते है तो हमे अनुभव होता है की मृत्यु का
अस्तित्व ही नहीं है . केवल परमात्मा का अस्तित्व है . परमात्मा की मर्जी के बिना
आप पूरी दुनियाँ को धन बल के साथ इक्कठा करके एक चीटी को भी नहीं मार सकते है और
जब परमात्मा की मर्जी हो तब पूरी दुनियाँ मिलकर एक चीटी के प्राण नहीं बचा सकती है
. इसलिए यदि आप हर पल खुश रहना चाहते है तो परमात्मा से जुड़ने का अभ्यास करे
अर्थात क्रियायोग का अभ्यास करे .
प्रभु का यह लेख
यदि आप को लाभ पहुँचाता है तो यह आप की नैतिक जिम्मेदारी बनती है की आप इस लेख को
ज्यादा से ज्यादा लोगों तक भेजकर हमारे इस सेवा मिशन में आप का अमूल्य योगदान देकर
प्रभु के श्री चरणों में अपना स्थान सुनिश्चित करे . धन्यवाद
जी . मंगल हो जी .
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परमात्मा की महिमा में आप सभी का हार्दिक अभिनन्दन है