भाग 7
भक्त : हे
परमात्मा क्या कन्या ही पैदा हो इसके लिए कोई कर्म काण्ड भी आप ने निर्धारित कर रखा है ?
भगवान : हां वत्स
मैंने कन्या योग के लिए कई कर्म काण्ड निर्धारित कर रखे है . यह कर्म काण्ड मैंने मेरे उन भक्तो के लिए बनाये है जो अभी
मेरे में भक्ति बढ़ाने का प्रयत्न कर रहे है . क्यों की बिना इन कर्म काण्डो के इनके मन का रूपांतरण संभव नहीं है .
भक्त : ऐसा क्यों
भगवन ?
भगवान : क्यों की
ऐसे व्यक्ति के मन की मेरे से दूरी बहुत ज्यादा है . ऐसा व्यक्ति कई जन्मो से कई
प्रकार के कर्मो को अपने मन के गहरे तलो में संचित करके चलता है . वह उन कर्म
बंधनो के कारण परमात्मा की महिमा का अभ्यास आसानी से नहीं कर पता है . अर्थात जैसे
ही ऐसा व्यक्ति सिर से लेकर पाँव तक में एकाग्र होने की कोशिस करता है तो उसके
संचित कर्म उसको ऐसा करने से रोकते है .
भक्त : ऐसा क्यों
परमेश्वर ?
भगवान : वत्स
मेरी विष्णु शक्ति के कारण ऐसा होता है . जो कोई भी व्यक्ति कोई भी विचार प्रकट
करता है तो मेरी विष्णु शक्ति उस विचार की सुरक्षा करती है . यह प्रकृति का नियम
है . इसलिए मैंने साधारण मनुष्य के लिए कई प्रकार के कर्म काण्ड बनाये है ताकि उन
कर्म काण्डो की मदद से वह मनुष्य अपने
मन में संचित कर्मो के नमूनों (pattern) को परिवर्तित कर सके . क्यों की मैंने मनुष्य के मन को अदभुद शक्तियॉ दी है .
मनुष्य के मन के पास ब्रह्म शक्ति है . इस शक्ति से वह कुछ भी निर्मित कर सकता है
. विष्णु की शक्ति से निर्मित की गयी वस्तु की सुरक्षा कर सकता है . और इस वस्तु
को आगे विकसित करना हो तो शिव की शक्ति से इसमें परिवर्तन (mind
transformation) कर सकता है .
भक्त : हे
न्यायकारी आप मुझे कर्म काण्ड को किसी उदाहरण से समझाने की कृपा करे .
भगवान : अवश्य
वत्स . जैसे ऊपर बताये गए पति को कन्या चाहिए . अब वह कोई भी मंत्र अपने गुरु से
लेता है जिसके पूरी निष्ठा के साथ जाप करने से कन्या ही जन्म लेती हो . तो यह
मंत्र इस पति के मन में संचित नमूनों को (memory patterns) परिवर्तित करने में इसकी मदद करता है . वत्स यहां ध्यान
देने योग्य एक बात यह है की किसी भी memory pattern को आप मार नहीं सकते केवल परिवर्तित कर सकते हो . इस सृष्टि
में मृत्यु का अस्तित्व नहीं है . निर्माण , सुरक्षा , परिवर्तन के आधार
पर यह सृष्टि चक्र चलता है . क्यों की बिना मंत्र के ऐसा सामान्य व्यक्ति मुझ में
सीधा एकाग्र नहीं हो पाता है . मन की अनंत शक्तियो को ऐसा सामान्य व्यक्ति आसानी से
सही दिशा नहीं दे पाता है , शक्तियॉ उसके वश
में नहीं रह पाती है इसलिए मंत्रो का
सहारा लेना पड़ता है . यह लॉ ऑफ़ अट्रैक्शन में ऐसे ही है जैसे उसमे कई
व्यक्ति 21 दिन तक रोज रात को डायरी में अपनी किसी इच्छा
को लिखकर सो जाते है और पूरी रात वह इच्छा उसके मन में अपना घर बनाने का काम करती
है. डायरी में लिखी इच्छा को मन एक मंत्र के रूप में , या एक विचार के रूप में लेकर पूरी रात स्पंदित करता है. बार
बार इस इच्छा रुपी विचार ऊर्जा कण के स्पंदनो से इच्छानुसार वस्तु अस्तित्व में
आने लगती है .
भक्त : हे
अंतर्ज्योति, इसका मतलब तो यह
हुआ की लॉ ऑफ़ अट्रैक्शन तो हर समय काम कर रहा है क्यों की बिना डायरी में लिखे भी
हम कई विचार मन में लेकर रात को सोते है .
भगवान : अवश्य
वत्स . इसलिए तो मै कहता हु की जिस व्यक्ति का मन दिन रात जो सोचता है , रात दिन जो विचार उसके मन में चलते है वैसा ही
वह व्यक्ति बनता जाता है . इसलिए यदि कोई व्यक्ति परमात्मा की महिमा का अभ्यास किसी
भी लेवल पर नहीं करता है अर्थात अपनी गतिविधियों के प्रति जाग्रति नहीं रखता है और
अपने आप को उसके मन के हवाले छोड़ देता है तो ऐसा व्यक्ति अपना प्रारब्ध ही भोग रहा
होता है . उसमे परिवर्तन की कोई सम्भावना नहीं रहती है . और यदि उसके प्रारब्ध में
मेरे को प्राप्त होना नहीं लिखा है तो ऐसा व्यक्ति एक पशु की भांति अपना जीवन
गुजार के इस पृथ्वी से चला जाता है .
इसलिए वत्स लॉ ऑफ़
अट्रैक्शन तो हर समय काम कर रहा है चाहे आप जाग्रत हो या नहीं . इसलिए हम वापस
अपनी उस बात पर आते है जिसमे मै तुम्हे बता रहा था की यदि एक पति -पत्नी कन्या को
जन्म देना चाहते है तो पति की क्या क्या जिम्मेदारियां है . पति की आगे की
जिम्मेदारियों के बारे में बताता हु . पति का यदि कर्म काण्डो में विश्वास है तो
अपने किसी गुरु से कोई भी टोटका लेकर उसको पूरी ईमानदारी के साथ गुरु के माध्यम से
बताये गए काम को करने से कन्या के जन्म का योग बनने लगता है . पर वत्स ये जितने भी
टोने टोटके है मेरे भक्तो को प्रभावित नहीं कर पाते है . कई बार व्यक्ति इनका गलत
इस्तेमाल करने की कोशिस करता है तो यह उसके खुद के लिए ही घातक साबित होते है .
क्यों की केवल मै ही सत्य हु और सत्य के सामने झूठ टिकता नहीं है . माया झूठी है
और मै सच्चा हु .
और जो मेरा भक्त होता है वह हर वस्तु में मुझे ही देखता है इसलिए टोने टोटके को भी वह मेरे ही स्वरुप में देखता है इसलिए यह टोने टोटके वाली माया उसको प्रभावित नहीं कर पाती है बल्कि जो कोई व्यक्ति इन टोने टोटको के माध्यम से जो कुछ भी अच्छा -बुरा मेरे भक्त के लिए करना चाहता है वह उसके खुद के लिए ही फलित होता है ,घटित होता है .