क्या आप भी चटपटा भोजन खाना चाहते है ? और बीमार भी नहीं होना चाहते! तो फिर यह प्रयोग करे

मेरे प्यारे मित्रों जैसे आप चटपटा भोजन खाना चाहते है पर बीमार होने के डर से खा नहीं पाते है और अपनी इच्छा को दबा जाते है .

तो क्या करे ?

आप पहले ऐसे भोजन को गौर से देखे और एक पल के लिए यह सोचे की आखिर इसमें ऐसा क्या है जो कम मशाले वाले भोजन में नहीं है ?

फिर आप इसे सूंघे और यह गौर करे की आखिर इस भोजन की गंध में ऐसा क्या है जो यह मन को इतनी लुभा रही है .

फिर आप इसकी बहुत ही कम मात्रा एक बार जीभ पर रखके देखे और इसका स्वाद ले . भोजन का स्वाद आप का मन लेता है जीभ नहीं . यदि आप का मन जीभ पर नहीं होगा तो जीभ स्वाद नहीं ले पायेगी. चटपटे स्वाद का निर्माण आप का मन ही करता है . और मन के लगातार इस स्वाद को दोहराने से यही मन साकार रूप में लार ग्रंथियों का निर्माण करता है . फिर ऐसी ही आपकी जीभ की , पेट की और धीरे धीरे आप के पूरे शरीर की प्रकृति होती जाती है .

अब इसमें गलत क्या है ?. आखिर चटपटा भोजन हमारे स्वास्थ्य के लिए नुक्सान दायक क्यों होता है ?

क्यों की आप ने भोजन के अनेक गुणों मेसे केवल स्वाद का गुण ही अनुभव किया है . यह कैसे पचेगा , यह आगे किस रूप में बदलेगा , इसमें जो तत्व है उनकी क्या प्रकृति है , उन तत्वों में क्या भाव छिपे है इत्यादि के बारे में आप ने समझने का प्रयास ही नहीं किया .

आप तो केवल स्वाद के वश में आ गए . अर्थात आप एक प्रकार के स्वाद के गुलाम हो गए . और जब तक हम किसी के भी गुलाम होंगे हम स्वस्थ नहीं रह सकते है .

फिर क्या करे ?

आप इसी चटपटे भोजन को पूरी एकाग्रता से खाना शुरू करे . शुरू शुरू में आप को थोड़ी परेशानी अवश्य होगी पर धीरे धीरे आप एक ऐसी आदत को विकसित करने में कामयाब हो जायेंगे की अब चाहे आप को चटपटा भोजन मिले या नहीं आप अशांत नहीं होंगे .

क्यों ?

क्यों की भोजन पर एकाग्रता से आप को भोजन के भीतर छिपे ज्ञान का पता चलने लगता है और आप को धीरे धीरे यह भी पता चलने लगेगा की यह अमुक भोजन मेरे शरीर में जाकर क्या क्या कार्य करता है . आप को ऐसे भोजन का पाचन किस प्रकार से हो रहा है इसका ज्ञान होने लगेगा . जब आप एकाग्र होकर भोजन करते है तो फिर चटपटा भोजन आप ज्यादा मात्रा में नहीं खा सकते .

जैसे यदि आप शांत होंगे और आप को किसी को डाँटना पड़ रहा है तो आप इस प्रकार से क्रोध करेंगे की आप का ब्लड शुगर अनियंत्रित नहीं होगा और आप का ब्लड प्रेसर भी एकदम सही रहेगा . ठीक इसी प्रकार से जब आप चटपटा भोजन करते है और साथ में पुरे समय एकाग्र रहते है तो धीरे धीरे आप की यही आदत ख़ुशी में बदलने लगती है और आप अपने आप ही एक ऐसी भोजन शैली पर आ जाते है जो आप के स्वास्थ्य के लिए उत्तम है .

और यदि आप चटपटा भोजन बिना एकाग्रता के करते है तो आप का मन अशांत होने लगता है

क्यों ?

क्यों की भोजन पर और खुद पर एकाग्रता की कमी के कारण जो भोजन आप कर रहे है हो सकता है उसमे कई प्रकार के नकारात्मक भाव छिपे हो .

भोजन क्या है ?

यह भी तो एक विचार ही है . और यदि यह विचार ही अशांत प्रकृति का है तो फिर जब आप इस विचार को बिना एकाग्र हुए ग्रहण करेंगे तो आप भी अशांत होने लगेंगे . बीमारियाँ आप का पीछा नहीं छोड़ेगी .

जब आप भोजन पर एकाग्र होने लगते है तो भोजन में छिपे विचारों को आप पढ़ने लगते है . और जब आप किसी के विचार पढ़ने में सक्षम हो जाते है तो आप यह शत प्रतिशत सही निर्णय ले पाते है इस की अमुक विचार के साथ मुझे आखिर करना क्या है ?

फिर आप हरपल खुश रहने लगते है . क्यों की फिर आप किसी से उलझते नहीं है . आप को यह अनुभव होने लगता है की मुझे कितना नमक खाना चाहिए ,मीठा कितना खाना चाहिए , तीखा कितना खाना चाहिए , कसैला कितना खाना चाहिए , कड़वा कितना खाना चाहिए और खट्टा कितना खाना चाहिए . अर्थात हमें खटरस व्यंजन खाने चाहिए यदि हम हमारे स्वास्थ्य को हमेशा ठीक रखना चाहते है तो .

जैसे आप जीरे को लेकर यह प्रयोग करे की जीरे के एक बीज को आप जीभ पर रखे फिर थोड़ी देर इसे बहुत ही एकाग्र होकर चूसे और फिर धीरे धीरे इसे चबाये . तो आप देखेंगे की जिस जीरे की एक या आधी चम्मच आप रोज सेवन करके अपने स्वास्थ्य को नुक्सान पंहुचा रहे थे उसी जीरे की बहुत कम मात्रा अब आप को बहुत ज्यादा फायदा पंहुचा रही है . इस प्रयोग से आप को यह ज्ञान मिलने लगेगा की किसी भी मशाले की आप को कितनी मात्रा सेवन करनी चाहिए . और आप फिर धीरे धीरे चटपटे भोजन को लेकर मन में जो वहम पाल रखे थे वे अब खुशियों में बदलने लगेंगे और चटपटा भोजन करते हुए भी आप पूर्ण स्वस्थ रहने लगेंगे . धन्यवाद जी . मंगल हो जी .

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