इस दवा से कभी नहीं होंगे दाँत और मसूड़ों के रोग | परमात्मा की महिमा
जब हम हमारे मुँह की बदबू से घृणा करते है और अपने दांतो और मसूड़ों की बीमारी से लगातार शिकायत करते है और दाँत और मसूड़ों की ठीक से देखभाल नहीं करते है और अपने दांतो और मसूड़ों को रोज शीशे में देखकर उनसे घृणा करते है , दांतो में टूथपिक का इस्तेमाल करने की हमने आदत बना ली है ऐसे और गलतिया करते है जैसे लगातार हमारा पेट खराब रहता है , पेट में एसिड बहुत ज्यादा बनता है, टूथ ब्रश का बहुत ज्यादा इस्तेमाल करते है , जोर जोर से टूथब्रश दांतो पर रगड़ते है , दाँत और मसूड़ों का भोजन के माध्यम से ठीक से व्यायाम नहीं करते है , गर्म के बाद तुरंत ठंडा और ठन्डे के बाद तुरंत गर्म पदार्थो का सेवन करते है , ज्यादा तेज रासायनिक टूथपेस्ट का इस्तेमाल करते है , तीव्र आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों से निर्मित मंजन का प्रयोग करते है , हमारी प्रकृति के विरुद्ध आयुर्वेदिक मंजन का प्रयोग करते है, ज्यादा मात्रा में हल्दी नमक सरसो के तेल से बने मंजन का ज्यादा प्रयोग करते है तो हमारे दाँत और मसूड़े ख़राब होने लगते है .
ऐसे ही और कारण है मीठा खाके रात को बिना दांतो की सफाई के हम सो जाते है , बीड़ी , सिगरेट , पान , मशाला , जर्दा , चिलम , गुटखा इत्यादि का प्रयोग करते है , अप्राकृतिक भोजन जैसे दांतो में चिपकने वाला खाना , बहुत ज्यादा दांतो के प्रति संवेदनशील होना यह भी हमारे दांतो और मसूड़ों के रोगो के लिए जिम्मेदार होते है .
दवा : जब हम उपरोक्त गलतिया नहीं करते है और हमारे दाँत और मसूड़ों को बड़े ही प्रेम से मंजन के माध्यम से मांजते है , पूरे मुँह को अनुभव करते है , भूमध्य पर एकाग्र होकर दांतो और मसूड़ों में प्राण का संचार करते है , सिर से लेकर पाँव तक में एकाग्र होने का अभ्यास करते है अर्थात परमात्मा की महिमा का अभ्यास करते है , किसी और के दांतो और मसूड़ों से घृणा नहीं करते है , जैसे जैसे हमारा पाचनतंत्र ठीक होने लगता है , किसी भी मंजन की , टूथपेस्ट की आदत नहीं डालते है अर्थात लगातार एक ही मंजन या पेस्ट का इस्तेमाल नहीं करते है तो हमारे दांत और मसूड़े हमेशा के लिए ठीक होने लगते है .
एक बार विश्वास करके देखिये .