मन की प्रोग्रामिंग इस तरह से कार्य करती है

सबकुछ शक्ति है जो अपने आप में ज्ञान है . इस निराकार शक्ति
में एक ज्ञान तो यह है की जिसके इस्तेमाल से मन (माया ) प्रकट होता है . फिर यही
मन एक से अधिक मनों का निर्माण करता है जैसे चेतन मन
, अवचेतन मन , सर्वव्यापी मन , अचेतन मन इत्यादि
. इसी निराकार शक्ति को विश्वास के नाम से भी जाना जाता है . अर्थात परमात्मा एक
विश्वास है . कण कण में केवल विश्वास है . विश्वास के अलावा कुछ भी नहीं है .

पर फिर हमे पग पग पर धोखें क्यों मिलते है ?

क्यों की इसी विश्वास की शक्ति में एक ज्ञान यह होता है की
जिसके इस्तेमाल से यही शक्ति अपना रूप बदल लेती है पर इस अलग से दिखने वाले रूप के
पीछे का स्त्रोत यही निराकार शक्ति है .

ऊपर निर्मित किये गए मन की रचना इस प्रकार से होती है की इस
मन से इन्द्रियाँ प्रकट होती है और फिर इसी मन से इन्द्रियों को काम पर लगाए रखने
के लिए विषय प्रकट होते है . साथ ही यही मन एक ऐसे डेटाबेस का निर्माण करता है
जिसमे यदि आँख किसी भी आकृति को देखती है तो इस मन में लिखे प्रोग्राम के तहत इस
आकृति को डेटाबेस में जमा कर लेती है .

अर्थात जब आप पहली बार कोई नया दृश्य देखते है तो इस दृश्य
से सम्बंधित जो भी जानकारियाँ मन के डेटाबेस में जमा है उसके अनुसार मन का
प्रोग्राम रन होता है .

जैसे आप ने किसी अनजान व्यक्ति को पहली बार देखा अर्थात आप
ने उसकी आँख से अपनी आँख मिलाई तो आप के मन के प्रोग्राम के अनुसार या तो आप उससे
किसी चीज को तलाशने के लिए पूछेंगे या केवल आप दोनों एक दूसरे को देखकर आगे बढ़
जायेंगे . और यदि इस व्यक्ति को आप पहले से जानते है तो फिर आप दोनों में से कोई
भी आगे बढ़कर यह पूछेगा की आप कैसे है
, बहुत दिनों बाद दिखे या फिर कुछ और वार्तालाप करेंगे या
अन्य कोई भाव प्रकट करेंगे . यह इस जानकार व्यक्ति से सम्बंधित किस प्रकार का डाटा
आप के मन में जमा है उसी के अनुरूप आप का मन प्रतिक्रया करेगा .

अर्थात निराकार शक्ति में ही निहित ज्ञान के कारण आप को एक
व्यक्ति का स्वभाव अच्छा लगता है और दूसरे व्यक्ति का स्वभाव बुरा लगता है . अच्छा
लगना और बुरा लगना यह भी एक प्रकार का ज्ञान है . 
अच्छे बुरे की परिभाषा इस नियम के तहत मन के डेटाबेस प्रोग्राम में जमा
होती है की अमुक व्यक्ति यदि इस अमुक प्रकार से व्यवहार करेगा तो मन इसे बुरे
व्यवहार के रूप में जमा कर लेगा और यदि इस अमुक व्यक्ति का व्यवहार ऊपर वाले अमुक
व्यवहार के विपरीत है तो फिर मन इसे अच्छे व्यवहार के रूप में जमा कर लेगा .  निराकार शक्ति के ज्ञान से ही अलग अलग
व्येक्तियों के मन आपस में सूचनाओं के अनुसार जुड़े हुए है . अर्थात जिस व्यक्ति
को आप देख रहे है वह भी आप का ही मन है . पर इन दोनों मनों में एक दूसरे से किस
तरह से व्यवहार करना है इसका ज्ञान (सूचनाएं) समाया हुआ है .

यह हमारे परमपिता (निराकार शक्ति ) निर्णय
लेते है की दो अलग अलग व्येक्तियों को आपस में किस प्रोग्रामिंग के अनुसार व्यवहार
कराना है .

जब आप क्रियायोग ध्यान का गहरा अभ्यास करते है तो आप
निराकार शक्ति से एकता स्थापित कर लेते है और फिर आप मन के मालिक बन जाते है . अब
आप का मन आप जैसा प्रोग्राम डिज़ाइन करेंगे उसी के अनुरूप प्रतिक्रिया देगा .

जैसे अभी आप ने एक व्यक्ति को देखा और आप के मन के
प्रोग्राम के तहत यह व्यक्ति आपको दुश्मन नज़र आता है . पर जब इसी व्यक्ति को
क्रियायोग के अभ्यास के साथ देखेंगे तो आपको यह आप का ही अंश नज़र आयेगा . और आप
जैसा व्यवहार इस अमुक व्यक्ति से खुद के लिए चाहते हो वैसा ही  व्यवहार यह व्यक्ति करेगा . अर्थात क्रियायोग
ध्यान से अब आप मन के पुराने प्रोग्राम को नए प्रोग्राम में बदल देंगे(मायावी
दृष्टि से वास्तविक दृष्टि और फिर इस वास्तविक दृष्टि से इच्छित मायावी दृष्टि आप
प्रकट कर लेंगे) . क्यों की अब आप को यह ज्ञान हो जाता है की मन में भावनाये कैसे
जन्म लेती है और किस प्रकार की भावनाये कैसा प्रभाव उत्पन्न करती है .
  शेष
भाग अगले लेख में पढ़े ……..

धन्यवाद जी . मंगल हो जी .

Subscribe

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *