क्या क्रियायोग करने से आप या ध्यान स्थान अपवित्र हो जाता है

उपरोक्त प्रश्न
के दो उत्तर है और दोनों सही है .

वैसे हर प्रश्न
का उत्तर प्रश्नकर्ता के अनुसार होता है . अर्थात जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि . यदि
कोई व्यक्ति फूल माला बेचता है और कहता है की इस माला के जाप से आप के कष्ट दूर हो
जायेंगे तो यदि आप को उस व्यक्ति की बात पर विश्वास हो जाता है तो आप वह माला खरीद
लाते है और पूरी सच्ची श्रद्धा
, भक्ति और विश्वास
के साथ इस माला का जाप करते है तो सच में आप के कष्ट दूर होते ही है .

अब इसी व्यक्ति
की दूकान के सामने दूसरा व्यक्ति कहता है की यदि आप मेरे से यह अमुक ध्यान विधि
सीखेंगे तो आप के कष्ट दूर हो जायेंगे. अब यदि आप को इस व्यक्ति की बात पर विश्वास
हो जाता है और आप इनके बताये अनुसार ध्यान विधि का अभ्यास करते है तो सच में आप के
कष्ट दूर होते ही है . और हो सकता है की आप को फूल माला बेचने वाले व्यक्ति की
दूकान पर विश्वास हो और किसी अन्य व्यक्ति को इस अमुक ध्यान विधि सिखाने वाले
व्यक्ति की दूकान पर विश्वास हो . अर्थात कुल मिलाकर सच बात यह है की आप का इलाज
किस विधि से होता है
, वह विधि आप के
लिए पवित्र है और अन्य विधियों को आप अपवित्र कह सकते है . इस प्रकार परमात्मा
समझा रहे है की आप सभी मेरे प्यारे बच्चे हो पर आप सभी मेरे पास अलग अलग रास्तों
से आ रहे हो . 

इसलिए क्रियायोग
परमात्मा से जुड़ने की विधि है पर यह जरुरी नहीं है की सभी लोग केवल इसी विधि के
किसी एक भाग को अपनाकर ही परमात्मा से जुड़ते है . और वैसे भी सभी योग विधिया
परमात्मा से प्रकट हो रही है . जिसके लिए जो विधि उपयोगी साबित होती है उसके लिए
वही विधि श्रेष्ठ है . धन्यवाद जी . मंगल हो जी .

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