कोई आप को गाली दे और आप इसे अवचेतन मन में  ‘इसका कल्याण हो’ के रूप कैसे भेजे ?

इस पुरे ब्रह्माण्ड में एक नाद ऐसा निरंतर गूंज रहा है जो इस आप के शरीर रुपी तंत्र में प्रवेश करता है तो वह आप के मन के सॉफ्टवेयर प्रोग्राम के अनुसार विभिन्न प्रकार की आवाजों के रूप में इस शरीर तंत्र से बाहर निकलता है . तभी तो यदि आप केवल हिंदी भाषा जानते है और सामने वाला केवल अंगेजी भाषा जानता है तो फिर आप एक दूसरे से बातचीत नहीं कर सकते . अब क्यों की आप को आप के इस शरीर रुपी तंत्र सॉफ्टवेयर को अपडेट करने के लिए एक सर्वव्यापी मन रुपी सॉफ्टवेयर मिला है . आप का यह मन सामने वाले व्यक्ति के मन को भी अच्छे से जानता है पर अभी इसकी प्रोग्रामिंग इस प्रकार से है की यही मन आप के तंत्र में हिंदी भाषा बोलना जानता है और सामने वाले शरीर तंत्र से अंग्रेजी भाषा बोलना जानता है .

जब आप क्रियायोग ध्यान का गहरा अभ्यास करते है तो आप का यह मन अंग्रेजी भाषा सिखने लगता है और फिर एक समय बाद सामने वाले से अंग्रेजी में बात करने लगता है .

अर्थात प्रभु से प्राप्त प्राण शक्ति ही मन के माध्यम से प्रोग्राम को चलाने से आवाज के रूप में मुँह से बाहर आती है . इसीलिए किसी को किसी के मुँह की बात अच्छी लगती है और वही बात किसी अन्य व्यक्ति को बुरी लगती है . क्यों की बुरी महसूस करने वाले मन में उसने खुद ने ऐसा प्रोग्राम लिख रखा है जो इस अमुक व्यक्ति की आवाज को सुनकर एरर(error ) बता देता है.

अब यदि आप यह चाहते है की आप के मुँह की आवाज सभी व्येक्तियों को अच्छी लगे तो फिर आप अपने मन को इस प्रकार से रिप्रोग्राम करे की पहले आप का खुद का मन रुपी सॉफ्टवेयर संसार के सभी अन्य व्येक्तियों के मन के प्रोग्राम को स्वीकार करले . अर्थात आप किसी से गाली भी सुने तो आप अपने मन में ऐसा प्रोग्राम लिखे जो गाली को घी की नाली में बदल दे (एक कहावत है की गाली तो घी की नाली है).  मतलब यह है की सामने वाले को प्रभु के साकार रूप में स्वीकार करने का निरंतर अभ्यास करे . उसके प्रति भीतर ही भीतर प्रेम के भाव अपने मन के प्रोग्राम में लिखे . ताकि जब भी सामने वाला गाली दे तो आप के मन का वह प्रोग्राम रन होना चाहिए जिसमे आप ने लिखा था ‘इसका कल्याण हो’. तो ऐसे प्रोग्राम को रन करने पर आप को इसके चमत्कारिक परिणाम देखने को मिलेंगे .

अभी हमारे खुद के मन की प्रोग्रामिंग सत्य और अहिंसा के मार्ग की नहीं होने के कारण लोगों के मुँह की आवाजे हमे परेशान करती है . इन लोगों के दिलो के भीतर हम खुद रमे हुए है पर गलत प्रोग्रामिंग के कारण हमे इसका अहसास नहीं हो रहा है . इसलिए कभी भी किसी आवाज की निंदा नहीं करनी चाहिए .

निंदा करने का अर्थ यह होता है की हम खुद ही हमारे मन में उसी प्रोग्राम को फिर से रन कर रहे है जो हमे कष्टों की अनुभूति कराता है .

कोई आप को गाली दे और आप इसे ‘इसका कल्याण हो ‘ वाक्य के रूप में आवाज के साथ कैसे अपने अवचेतन मन में भेजे ?

क्रियायोग ध्यान विधि ही इसका सबसे सरल और बहुत तेजी से काम करने वाला तरीका है . जब आप सिर से लेकर पाँव तक में एकाग्र होकर इस गाली वाले वाक्य को सुनेंगे तो धीरे धीरे आप को इस गाली की आवाज में छिपे वाइब्रेशंस का पता चलने लगता है . और फिर गहरे अभ्यास से इन वाइब्रेशंस में छिपे स्पंदनो का पता चलने लगता है और फिर निरंतर अभ्यास से इन स्पंदनो में छिपी ऊर्जा का पता चलने लगता है और फिर ऐसे करते करते आप इस गाली वाले वाक्य में काम आयी प्राण ऊर्जा को पकड़ने में सफल हो जाते है . अब आगे आपको चाहिए ही क्या ? . मन को किसी भी वाक्य को किसी भी रूप में बदलने के लिए प्राण ऊर्जा की पहचान करना आना चाहिए . जो आप क्रियायोग ध्यान विधि से सिख जाते हो . अब आप का मन इस प्राण ऊर्जा को अपने भीतर जिस रूप में भी जमा करना चाहेगा उसमे बहुत ही आसानी से जमा कर लेगा . और यदि बाहर निष्काषित करना चाहेगा तो भी अन्य ऊर्जा के रूप में भेज देगा . इस प्रकार से प्राण मुँह से आवाज के रूप में बाहर निकलते है . धन्यवाद जी . मंगल हो जी .

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