क्या आपका गाँव भी जन्नत बन सकता है ?

आज मेरे भक्त प्रेमियों हमारे प्रभु हमारे को वह राज समझा रहे है जिस को हम अभ्यास में उतारकर जिस गाँव में हम रहते है उसे जन्नत बना सकते है . हम पूरी दुनियाँ घूमते है ओर अंत में अपने पैतृक गाँव में ही आ जाते है . हम दूसरी जगहों की तारीफ करते नहीं थकते है . जैसे अमुक जगह हरियाली बहुत है , वहाँ प्रदूषण बिलकुल भी नहीं है , वहाँ मंदिर बहुत है , वहाँ मस्जिदे बहुत है , या अमुक जगह जाते ही मै सभी दुःख भूल जाता हूँ , या हम कहते है की फला शहर बहुत सूंदर है , या अमुक देश में हमारे देश से बेहतर सुविधाएं मिलती है , या हम यह बहाने बनाते है की मै यह नौकरी तो प्राप्त कर लेता पर हमारे देश में मुझे सिखने के लिए उचित प्लेटफार्म नहीं मिला .

ऐसा हम कब तक करते रहेंगे ?

कब तक हम ख़ुशी को प्राप्त करने के लिए यहां वहा भागते रहेंगे ?

प्रभु यहां यह नहीं कह रहे है की दुनिया मत घूमों.  पूरी दुनिया अवश्य घूमों . पर इस समझ के साथ घूमों की वहाँ से आप ने ऐसी क्या बात सीखी जिसे आप अपने गाँव लौटकर अपने खुद के गाँव में विकसित करे .

अब यहां बहुत ही ध्यान देने योग्य बात यह है की प्रभु ने उपरोक्त वाक्य में यह कहा है की ‘आप ने ऐसी क्या बात सीखी’. इसका मतलब यह है की आप को प्रकृति कैसे कार्य करती है यह सीखना है . आप अपने गाँव को शत प्रतिशत प्रदुषण मुक्त बनाने का संकल्प ले . इसकी शुरुआत आप अपने खुद के घर से करे . अपना घर इतना ही बड़ा होना चाहिए की उसकी आप खुद साफ़ सफाई कर सके , आप खुद खाना बना सके , आप के घर में शुद्ध हवा का आवागमन हो , घर के बाहर पेड़ पौधे हो , प्राकृतिक तरीके से पानी का उचित प्रबंधन हो , घर में प्राकृतिक कचरा प्रबंधन हो , पानी , बिजली का सदुपयोग हो.

यदि आप का घर कॉलोनी में है तो फिर आप के घर के सामने सड़क की साफ़ सफाई आप खुद कराये , आप के घर के बाहर पानी निष्कासन के लिए आप खुद नाली का प्राकृतिक प्रबंधन कराये .

क्यों की आप खुद ही अपने गाँव की सरकार हो . यदि आप के भीतर यह भाव निरंतर बढ़ रहे है की मै अलग हूँ ओर हमारी सरकार अलग है तो आप प्रभु की इस बात को शत प्रतिशत सच मान ले की आप को सरकार से कभी भी सहयोग नहीं मिलेगा .

क्यों ?

क्यों की हमारे भीतर जो यह अलगाव का भाव उत्पन्न होता है यही हमारे सभी कष्टों का वास्तविक कारण होता है . आप से जो कोई भी यह कहे की आप के गाँव को जन्नत कोई भी नहीं बना सकता तो आप शत प्रतिशत यह विश्वास करले की यह एक मायावी विचार मात्र है . आप को हमारे परम पिता ने ऐसी शक्ति दी है की आप उस शक्ति का इस्तेमाल करके आप चाहे तो आप के गाँव में बाग़ लगा सकते है या फिर आग .

अब निर्णय आप को लेना है की आप को प्रभु चाहिए या कष्ट ?

अवश्य ही आप प्रभु को ही चाहते है पर भीतर यह गहरा विश्वास नहीं होता है की मेरे अकेले से इतने बड़े गाँव को जन्नत कैसे बनने देंगे ये मायावी लोग ?

आप का यह विश्वास मात्र एक मावायी विचार है . जब आप दृढ़ संकल्प ले लेते है ओर इस लक्ष्य के अलावा कुछ ओर नहीं सोचते है तो फिर यही लोग आप के लिए प्रभु का रूप धारण कर लेते है . सबसे पहले तो आप यह विश्वास करे की आप के गाँव के सभी लोग बहुत अच्छे है . वे आप को बहुत प्रेम करते है . आप की उनसे कोई शिकायत नहीं है . जैसे जैसे आप शिकायत मुक्त जीवन जीने का अभ्यास करेंगे  तो धीरे धीरे आप प्राकृतिक जीवन जीने लगेंगे . ओर देखते ही देखते आप का गाँव जन्नत में कब बदल जाएगा आप को पता भी नहीं चलेगा .

मेरे प्यारे मित्रों थोड़ा समय निकालकर एकांत में प्रभु का चिंतन करो ओर खुद से पूरी ईमानदारी से यह पूछो की आप अपने जीवन से कितने प्रतिशत संतुष्ट हो ?.

हम सभी खुद से निरंतर झूठ बोल रहे है ओर हमारे प्रभु इसे बखूबी देख रहे है . उन्हें हमारा केवल प्यार चाहिए .

अब मेरे प्यारे मित्रों प्रभु इस प्यार को समझाने जा रहे है :

जब हम जिस प्रकार से पेड़ से हमारे जीवन के अस्तित्व को सुरक्षित रखने के लिए फल प्राप्त करते है तो हमारा भी यह परम कर्तव्य है की हम भी उस पेड़ की सुरक्षा करे . यदि हम ऐसा करते है तो इसका वास्तविक अर्थ यह होता है की हम प्रभु को प्यार कर रहे है .

जब हम किसी दुखी व्यक्ति की निश्वार्थ सेवा करते है तो इसे प्रभु को प्रेम करना कहते है .

जब हम घर से गाडी निकालने से पहले यह जांच करते है की कही मेरी यह गाडी पर्यावरण को नुक्सान पहुंचाने वाला धुँआ तो नहीं छोड़ रही है ?. यदि हम यह जांच करते है तो इसका सच्चा अर्थ यह होता है की हम प्रभु को प्यार करते है , खुद को प्यार करते है .

खुद को प्यार करने का अर्थ यह नहीं होता है की शरीर को सुंदर दिखाने के लिए ऐसी चीजों का इस्तेमाल करे जिनको निर्मित करने के लिए प्रकृति के नियमों का उल्लंघन होता हो .

इसलिए थोड़ा एकांत में समय निकालकर यह सपना देखे की जब मेरा गाँव भी दूसरे गाँवों की तरह जन्नत बन जायेगा तो मुझे कैसा मह्सूस होगा ?

शायद आप इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते . क्यों की हमारे प्रभु की सुंदरता अनंत है ओर अभी हम केवल एक बूँद को भी ठीक से नहीं महसूस कर पा रहे है . क्यों अभी हम ऐसी मानसिकता में जी रहे है की हर समय हमारे मन में यह विचार चलते है की मेरा यह नुक्सान हो रहा है , मेरा वह काम बिगड़ रहा है . अब मेरे प्यारे मित्रों इस झूठे सपने से जागों ओर अपने जीवन की रचना आप खुद इस प्रकार से करो की पूरा संसार आप को अपना प्यार लुटा दे . धन्यवाद जी . मंगल हो जी .

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