मै आप को सबसे पहले यह बताता हूँ की आप गहरी नींद का मतलब क्या समझते है ?.
आप के हिसाब से एक ऐसा सुकून या शांत मन जिसकी प्राप्ति होने पर फिर आप को और कुछ नहीं चाहिए . अर्थात आप जब गहरी नींद में होते है तो आप के हिसाब से आप को सबकुछ मिल चूका होता है . और आप एक शत प्रतिशत संतुष्ट व्यक्ति होते है .
जी हाँ. आप बिलकुल सही समझते है . गहरी नींद का वास्तविक अर्थ यही होता है .
अब मै आप को यह समझाता हूँ की
- आखिर यह सुकून क्या होता है ?
- किस चीज से आप को यह सुकून मिलता है ?
- और आप को यह सुकून कौन देता है ?
सच तो यह है की यही वह परमात्मा है , परमात्मा का अहसास है , प्राण है , आत्मा का अहसास है अर्थात आप का ‘मै’ भाव मिटने पर आत्मा और परमात्मा के बीच जो ‘मै ‘ के रूप में ‘जीवात्मा’ का पर्दा था वह इस गहरी नींद में शत प्रतिशत समाप्त हो जाता है . इस अवस्था में आप का मन समाप्त हो जाता है , आप का शरीर भाव समाप्त हो जाता है और इस प्रकार से आप का पूरा संसार परमात्मा में रूपांतरित हो जाता है . और आप की सारी चिंता समाप्त हो जाती है . आप को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है .
गहरी नींद में जब सबकुछ समाप्त हो जाता है तो फिर जागने पर सभी चीजे वापस क्यों और कैसे आ जाती है ? जैसे सभी पुराने विचार , धन सम्पदा , परिवार , चिंता , और पूरा संसार .
आप के इस प्रश्न का जवाब मै आप को निम्न उदाहरण से समझाने जा रहा हूँ :
आप एक गिलास में आधा गिलास पानी भरे और साथ में एक खाली गिलास ले . अब पहले दोनों को किसी टेबल या जमीन पर निचे रख दे और पानी को स्थिर होने दे . अब आप ध्यान से देखे की एक गिलास में पानी भरा है जो बिलकुल शांत है इसमें कोई हलचल नहीं है और दूसरा गिलास खाली है .
अब आप इस पानी को खाली गिलास के माध्यम से तीन चार बार उलट पुलट करे . अब आप देखेंगे की पानी में कई प्रकार के आकार के बुलबुले और झाग बन गए है और फिर जब आप उलट पुलट करना बंद करके वापस पहले जैसे जमीन पर रख देते है तो फिर से कुछ समय बाद गिलास का पानी एकदम स्थिर हो जाता है .
और अब आप एक बार फिर से यही उलट पुलट करने की क्रिया को दोहराते है तो फिर से पानी में बुलबुले और झाग बन जाते है जो आप को पहले जैसे ही नज़र आते है क्यों ?
क्यों की जब आप पहली बार पानी को उलट पुलट कर रहे थे तो यह पूरी की पूरी क्रिया आप के मन में ‘अवचेतन मन के रूप में’ जमा हो गयी थी और फिर दुबारा से जब आप ने पानी को उलट पुलट करना शुरू किया तो अब आप को निर्देश अवचेतन मन में जमा स्मृति से मिल रहे थे . इसीलिए आप को बुलबुले और झाग लगभग पहले जैसे ही लग रहे थे . यदि आप तीसरी बार पूरी तरह जाग्रत होकर पानी को उलट पुलट करेंगे तो इस बार भी क्रिया के दौरान बार बार आप के अवचेतन मन में जमा इससे सम्बंधित स्मृति से निर्देश अर्थात विचार आयेंगे. पर इस बार आप को यह वास्तविक रूप में पता रहेगा की पानी को कितनी तेजी से उलट पुलट करना है और अब निर्णय आप के हाथ में है की आप को कैसे बुलबुले और झाग चाहिए ?
ठीक इसी प्रकार परमात्मा पानी का अनंत समुद्र है और मन बुलबुला , झाग है . जब इस समुद्र में परमात्मा चाहते है तो हलचल पैदा करके संसार रुपी बुलबुला प्रकट कर देते है और जब उनकी इच्छा हो जाती है की इस बुलबुले (छाया , माया , मन , शरीर ) को वापस निराकार में मिलाना है तो यही समुद्र गहरी नींद में चला जाता है .
जब आप क्रियायोग ध्यान का पूरी श्रद्धा , सच्ची भक्ति और विश्वास के साथ निरंतर अभ्यास करते है तो फिर आप इसी रचनाकार परमात्मा से जुड़ने लगते है और एक समय ऐसा आता है जब आप इससे शत प्रतिशत जुड़ जाते है . फिर आप के हाथ में होता है की आप को कब गहरी नींद में जाना है और कब आप के संसार को प्रकट करना है . अर्थात क्रियायोग ध्यान के अभ्यास से आप को इस सच का पता चलने लगता है की आखिर वे कोनसे वास्तविक कारण है जो आप को गहरी नींद नहीं लेने दे रहे है .
अब मै आपको उन कारणों के बारे में बताने जा रहा हूँ :
आप के संचित कर्मो के कारण दूरी का अनुभव होना . अर्थात आप खुद को और परमात्मा को अलग महसूस करते है . अभी आप कण कण में परमात्मा को अनुभव नहीं कर पा रहे है . इसीलिए यदि आप पति है तो आप यह महसूस करते है की यह मेरी पत्नी है और मेरी सेवा करना इसकी जिम्मेदारी है . ठीक इसी प्रकार से यदि आप पत्नी है तो आप यह महसूस करती है की ये मेरे पति है और मेरा काम करना मेरे पति की जिम्मेदारी है . और ठीक इसी प्रकार से सभी रिश्तों में आप यह सोचते है की मुझे जो अच्छा लगे वैसे सभी चीजे होनी चाहिए . और जब ऐसा नहीं होता है तो फिर आप को क्रोध आता है .
और यह सब होना एक प्राकृतिक घटना है .
गहरी नींद लेने के लिए क्रियायोग ध्यान का अभ्यास निम्न प्रकार से करे :
जब भी आप बिस्तर पर सोने जाए तो चलते हुए अपने पैरो को महसूस करे और जो भी अनुभूति आप के अहसास में आये उसको परमात्मा का अहसास माने . क्यों की परमात्मा के अलावा कुछ भी नहीं है . जब आप बिस्तर की तरफ जा रहे हो तो अपनी आँखों को इतना ही खोल कर रखे की आप को बिस्तर और उसके आस पास का मार्ग ही दिखाई दे . साथ ही अपनी श्वास को याद रखे की आप की श्वास सोने जाने के समय किस प्रकार से चल रही है . यदि आप को ऐसा महसूस हो रहा हो की आप की श्वास तेज चल रही है या बहुत धीमी चल रही है तो आप अपनी आत्मशक्ति का प्रयोग करके अपनी श्वास को इस प्रकार से गति दे ताकि आप बिस्तर तक चलते हुये अच्छा महसूस करने लगे .
क्यों की जैसे ही आप सिर से लेकर पाँव तक में एकाग्र होकर सोने की तैयारी करेंगे तो अपने आप ही नींद के अलावा अन्य विचार धीरे धीरे शांत होने लगते है और आप के मन में जो कुछ भी चल रहा है उसका उसी क्षण स्थायी समाधान आप को मिलने लगता है . आप को यह अनुभव होने लगता है की आप खुद बिस्तर तक नहीं जा रहे है बल्कि परमात्मा खुद आप को बिस्तर तक लेकर जा रहे है और कह रहे है बेटा अब सोने की तैयारी करो . यह आप की आत्मा की आवाज होती है .
जब आप बिस्तर पर लेट जाते है तो सिर से लेकर पाँव तक में एकाग्रता का अभ्यास जारी रखे . और निरंतर श्वास को महसूस करते रहे . आप को पता भी नहीं चलेगा की कब आप गहरी नींद में चले गए .
क्रियायोग ध्यान के अभ्यास से अपने आप ही आप की नींद को जो जो चीजे बाधित करती है आप या अन्य कोई व्यक्ति आप की मदद करके उन चीजों का आप से संपर्क जितनी आप को नींद की जरुरत है उतने समय के लिए हटा देता है . और जागने पर आप तरोताजा महसूस करते है साथ ही अब आपका अवचेतन मन कुछ मात्रा में अपने आप ही रिप्रोग्राम हो जाता है . अर्थात चिंता के वे विचार जो आप को नींद में जाने से पहले बहुत ज्यादा परेशान कर रहे थे उनकी छवियाँ अब अवचेतन मन में हल्की होना शुरू हो गयी है . और ऐसा अभ्यास करके आप धीरे धीरे अपने अवचेतन मन को इस प्रकार से रिप्रोग्राम करने लगते है की जब आप खुद चाहेंगे तब गहरी नींद में चले जायेंगे और जब आप जागना चाहेंगे तब आप जाग जायेंगे .
पर याद रखे यह सब एक दिन में नहीं होता है . इसमें समय लगता है . और किसको कितना समय लगेगा यह उसका परमात्मा में कितना विश्वास है इस पर निर्भर करता है . और यह विश्वास सीधा व्यक्ति के संचित कर्मो पर निर्भर करता है . इसलिए निरंतर अपने कर्मो को पूरी तरह जाग्रत होकर करना चाहिए.
धन्यवाद जी . मंगल हो जी .