जैसे अभी सुबह के 8 बज गए है पर आप बिस्तर से उठ नहीं पा रहे है और आप को पता है की आप को आज बहुत सारे काम पूरे करने है . और यह भी पता है की यदि आप सारे काम आज नहीं करेंगे तो फिर से आप को चिंता होने लगेगी . या घर में झगड़ा होने लगेगा या किसी बाहरी व्यक्ति से बहुत कुछ सुनने को मिलेगा या फिर से मन अशांत हो जायेगा .
आप अभी यह महसूस कर रहे है की बिस्तर से उठा ही नहीं जा रहा है तो फिर अभ्यास कैसे करू ?
कोई बात नहीं आप को कुछ करना ही नहीं है . आप ऐसे ही सोते रहो पर मन में यह याद रखो की दूसरा व्यक्ति कैसे सुबह 4 बजे उठ जाता है . या तो वह रात को जल्दी सो जाता है या फिर उसकी प्राण शक्ति बहुत मजबूत है जिससे उसको कम नींद की जरुरत होती है या फिर उसे ठीक से नींद ही नहीं आती है .
और फिर खुद से यह पूछो की आप अपने जीवन को किस तरह जीना चाहते है . आप जीवन को किस नज़र से दखते है . जीवन को लेकर आप के भीतर क्या समझ है .
फिर आप बिस्तर पर ही उन लोगों का इतिहास देखो जिन्होंने आलस्य , निद्रा, भय और मैथुन से मित्रता की थी उनका क्या हाल हुआ था . आप को भीतर से जवाब आने लगेंगे की बैठे बैठे तो डूंगर का ही ओड(अंत) आ जाता है. यदि आप भी ऐसे ही आलस्य करते रहेंगे और अपनी दिनचर्या को संयमित नहीं करेंगे तो आप की यही लापरवाही आगे चलकर चिंता , बेचैनी , अवसाद , तनाव , दुखों में बदल जायेगी और आप परमात्मा के माध्यम से मिले इस सुनहरे जीवन से आनंद प्राप्त करने से चूक जायेंगे .
फिर आखिर मै करू क्या ?
आप यह याद करो की यदि आप सड़क पर धीरे धीरे चल रहे हो क्यों की आप से तेज नहीं चला जा रहा है . पर आप क्या करेंगे जब कोई काटने वाला कुत्ता आप के पीछे पड़ जाए . आप अपनी जान बचाने के लिए या तो भागेंगे या फिर सामना करेंगे पर जैसे अभी आप बिस्तर पर लेटे है वैसे उस कुत्ते के सामने लेट नहीं जायेंगे . अर्थात यदि हमे समर्पण ही करना है तो फिर उस प्रभु के समक्ष ही करना चाहिए जहा से एक अखंड प्रेम की धारा निरंतर बह रही है . यदि आप जीवन से हार मानना ही स्वीकार कर चुके हो तो फिर उस प्रभु के प्रेम से हार मान लो और अपना सबकुछ उसके हवाले कर दो .
यदि आप जीवन को पूर्णता के साथ नहीं जीयोगे तो आप को हमेशा हताशा, निराशा ही हाथ लगेगी .
अब आप मन में धीरे धीरे यह गौर करे की आज तक आप ने जिन मित्रों का साथ दिया , जिनके लिए आप रात रात भर जागे , किसी अन्य से कर्जा लेकर उनकी मदद करी क्या आप को यह सब करने से प्रभु का प्रेम मिला . अर्थात क्या आप का मन शांत हुआ . क्या आप एक सयंमित व्यक्ति बने . क्या आप के घर वाले आप से खुश हुये. या सच कहे तो क्या आप खुद अपने जीवन से खुश है ?
नहीं .
क्यों?
क्यों की आप ने हमेशा खुद से झूठ बोला. जैसे आप ने अपने ग़मों को भुलाने के लिए कई प्रकार के अप्राकृतिक कार्य किये . जैसे नशा किया , व्यसन किये , झूठ बोले , हिंसा की इत्यादि . या फिर देश दुनिया में अपना नाम रोशन करने के लिए झूठे हथकंडे अपनाये . जब आप रात को देर तक मोबाइल देखेंगे , फिल्में देखेंगे , गलत समय पर कार्य करेंगे या फिर किसी भी मजबूरी के कारण रात को देर तक काम करेंगे तो फिर आप सुबह जल्दी कैसे उठ पायेंगे . क्यों की हमारा शरीर प्रकृति के नियमों के तहत कार्य करता है . इसलिए प्रकृति हमे हर पल जगा रही है और कह रही है मेरे प्यारे बच्चों जागों, उठो हुआ सवेरा और आज फिर से एक बार अपने नये जीवन की शुरुआत करो .
जब आप बिस्तर पर ही यह सब करने लगेंगे तो अब आप का आलस्य स्फूर्ति में बदलने लगेगा . आप रात को समय से सोने लगेंगे . आप सही निर्णय लेने लगेंगे . आप को घर वाले या बाहर वाले परेशान नहीं कर पायेंगे . क्यों की अब आप एक अनुशासनात्मक जीवन जी रहे है . और धीरे धीरे आप खुद अपने मन को आप के हिसाब से प्रशिक्षित करने लगेंगे . धन्यवाद जी . मंगल हो जी .