क्या भगवान कृष्ण ने माखन खाया था ?

मेरे प्रिये मित्रों आज परमात्मा की कृपा से आप का यह मित्र आप के भीतर दिन रात चलने वाला यह प्रश्न की क्या भगवान कृष्ण ने माखन खाया था ?. क्यों की आज पूरी दुनिया में ज्यादातर मेरे मित्रों का मानना है की गाय का माखन , घी , दूध , दही , पनीर , […]

हमें अपमान की अनुभूति क्यों होती है ?

हमारे परमात्मा आज इसे बहुत ही सरल तरीकों से हमे समझा रहे है की आखिर हमे अपमान महसूस क्यों होता है . जैसे हम दो मित्र कही रिश्तेदारी या किसी अन्य जगह जाते है या किसी मंच पर सभी विभागों के मंत्री विराजमान है और प्रधानमन्त्री कुछ विशेष मंत्रियो का ही नाम अपने भाषण में […]

किसी भी भाषा का आविष्कार कैसे होता है ?

भाषा का निर्माण भी हमारा मन ही करता है . जैसे एक नवजात शिशु जन्म के साथ एक भाषा कोड लेकर पैदा होता है जो मेडुला में डीएनए के रूप में जमा रहता है . अब यह निराकार शक्ति तय करती है की इस शिशु को जीवन के रंग मंच पर क्या रोल अदा करना […]

लोगों से जितना बचोगे उतना ज्यादा फसोगे

आज हमारे प्रभु उस दिव्य ज्ञान को प्रकट कर रहे है जिसे यदि आप प्रभु की कृपा से भीतर तक पूरी समझदारी के साथ उतार लोगे तो फिर आप को लोगों से शिकायत नहीं रहेगी . सबसे पहले तो हमे खुद को नश्वर शरीर समझने की गलती को नहीं दोहराने का संकल्प लेना है . […]

कोई आप को गाली दे और आप इसे अवचेतन मन में  ‘इसका कल्याण हो’ के रूप कैसे भेजे ?

इस पुरे ब्रह्माण्ड में एक नाद ऐसा निरंतर गूंज रहा है जो इस आप के शरीर रुपी तंत्र में प्रवेश करता है तो वह आप के मन के सॉफ्टवेयर प्रोग्राम के अनुसार विभिन्न प्रकार की आवाजों के रूप में इस शरीर तंत्र से बाहर निकलता है . तभी तो यदि आप केवल हिंदी भाषा जानते […]

क्या एक पूर्ण आत्मज्ञानी इनसान भी संसार में और लोगों की तरह ही रहता है ?

जी हाँ . पर क्यों ? उसे आत्मज्ञान होने पर भी सांसारिक कष्टों को सहने में क्या मजा आता है ? क्यों की परमात्मा इंसानी शरीरों के रूप में अपना किरदार पूरी ईमानदारी से निभाते है . संसार परमात्मा का एक खेल है . जब हम जीव भाव की दृष्टि से इस संसार को देखते […]

हमें सच का सामना करने से डर क्यों लगता है ?

हमारे अहंकार के कारण . दो व्यक्ति जब एक दूसरे के पास आते है तो इनके अहंकार के औरा आपस में टकराते है . परन्तु जब दोनों व्येक्तियों के स्वभाव समान होते है तो फिर ऐसे व्यक्ति एक दूसरे के मित्र बन जाते है . जैसे दो चोर समान स्वभाव के है और एक दूसरे […]

परमात्मा से बात करने की विधि को समझे

परमात्मा सबसे न्यारा है . उसके जैसा कोई दूसरा हो नहीं सकता . तो फिर उससे बात करने की विधि भी सबसे न्यारी है . यह विधि किसी से मैल नहीं खाती है . हमारे पिता केवल प्रेम की भाषा समझते है . उन्हें हमारा केवल प्रेम चाहिए . वे हमारे प्रेम के भूखे है […]

जैसा हम सोचते है वैसे ही हम बन जाते है इसका वास्तविक अर्थ समझे

हमारे परम पिता इसे निम्न प्रकार से समझा रहे है : हमारे शरीर की रचना एक विज्ञानं है . अर्थात आज हम शरीर को एक व्येज्ञानिक की तरह समझेंगे . परम चेतना जो कण कण में प्रकाश के रूप में व्याप्त है , यही प्रकाश सघन होकर इस शरीर के रूप में प्रकट हो रहा […]

हमारे मन में विचार कहाँ से आते है ?

 यह पूरा संसार परमात्मा के विचार का साकार रूप है  इस प्रश्न में ही इसका उत्तर छिपा है . ‘हमारा मन‘ शब्द की अनुभूति करना ही हमारे विचार का वास्तविक कारण है . विचार का मुख्य स्त्रोत अहंकार है . निराकार शक्ति जब अपने ज्ञान को खुद के वास्तविक स्वरुप के अलावा दूसरे रूप में […]