जब हमे किसी चीज का पता नहीं होता है तो मन में वहम हो जाता
है . जैसे किसी बीमारी का वहम , पैसे नहीं देने का वहम , मारपीट का वहम , चोरी का वहम , लड़ाई झगडे का वहम , प्रॉपर्टी छीन जाने का वहम
या फिर किसी भी प्रकार का वहम यदि हमे हो रहा है तो आप क्रियायोग ध्यान के निम्न प्रारूप को समझे और फिर अभ्यास
करके इसकी वास्तविक अनुभूति का अहसास करे . आप देखेंगे की आप का वहम शत प्रतिशत
ख़ुशी में बदल चूका है .
जब आप थोड़ा प्रयास करके आप वहम को समझने का प्रयास करते है
अर्थात वहम में एकाग्र होने लगते है तो आप को वहम के पीछे छिपे स्त्रोत का ज्ञान
होने लगता है . जैसे ही वहम में एकाग्रता बढ़ने लगती है तो आप को पता चलने लगता है
की यह भी एक प्रकार की शक्ति ही है जो आप का कल्याण करने आयी है . यह वहम आप को
जगा रहा है की मेरे मित्र आप अब तो जागो आप के प्रभु आप को याद कर रहे है . जैसे जैसे
सिर से लेकर पाँव तक में एकाग्रता का अभ्यास करने लगेंगे आप और आप के प्रभु के बीच
दूरी कम होने लगेगी . और आप को भीतर से जवाब मिलने लगेंगे की इस वहम का आखिर सही
इलाज क्या है . आप को वहम क्यों हो रहा है और यदि आप अमुक उपाय नहीं करेंगे तो
यही वहम आगे किस रूप में बदल जायेगा इसका भी आप को पता चलने लगेगा . हमे वहम तभी
होता है जब चीज के बारे में वास्तविक ज्ञान नहीं होता है . जैसे मेरे सिर में दर्द
है और मेने डॉक्टर को दिखाया तो डॉक्टर ने बहुत ही बढ़िया मशीन से सिर की बहुत ही
अच्छे तरीके से चेकिंग की और रिपोर्ट बना दी की मेरे माइग्रेन की बीमारी है और मै
रिपोर्ट लेकर घर आ गया . अब मेरे मन में यह वहम हो गया है की मेरी तो बीमारी बहुत
खतरनाक है और दुनिया में इसका इलाज संभव नहीं है . अब
मै धीरे धीरे इस वहम वाले विचार को लगातार सोचने से अब यह विचार मेरे मन से शरीर
में प्रकट होने लगेगा और यदि मै क्रियायोग का अभ्यास नहीं करूँगा तो मै इस वहम
वाले विचार में एकाग्र नहीं होने के कारण इसे एक बीमारी के रूप में विकसित कर
लूंगा . अर्थात सब कुछ मै खुद ही कर रहा हूँ अभ्यास के अभाव के कारण .
और जब मै ऐसा करते करते चार पांच वर्ष व्यतीत कर दूंगा तो अब मेरा मन माइग्रेन
पैटर्न का हो जायेगा और मुझे हमेशा यही समझ में आयेगा की इसका कोई इलाज नहीं होता
है . इसमें ना तो मेरे डॉक्टर की गलती है और ना ही किसी और बाहरी व्यक्ति की या
किसी अन्य परिचित की . यह सब मै खुद ही कर रहा हूँ . अब किसी दिन अचानक से किसी
पुराने संस्कार के कारण मुझे यदि कोई ऐसा व्यक्ति मिल जाए जो यह कहे की आप
क्रियायोग का अभ्यास करे आप की यह
माइग्रेन की बीमारी हमेशा के लिए जड़ से समाप्त हो जाएगी . तो मेरे मन में चार पांच वर्ष से पल रहे माइग्रेन रुपी
अहंकार भाव को चोट पहुंचेगी और मेरा मन इस व्यक्ति की बात को ऐसे आकाश में उड़ा
देगा जैसे राकेट धरती से आसमान में उड़ता है . पर
यदि मेरे पुण्य बलवान है तो यह व्यक्ति बार बार मेरे पास आयेगा और मुझे कहेगा की
आप एक बार अभ्यास शुरू तो करे यदि आप को लाभ नहीं हो तो अभ्यास बंद कर देना आप के
कोन से पैसे लग रहे है . और जैसे ही मै इस व्यक्ति की बात पर विश्वास करके अभ्यास
शुरू करूँगा और मुझे थोड़ा सा भी लाभ मिलेगा तो फिर में यह अभ्यास नियमित करने
लगूंगा और एक दिन ऐसा आयेगा की मेरा माइग्रेन हमेशा के लिए समाप्त हो जायेगा
. अर्थात क्रियायोग का अभ्यास आप को आप के विश्वास से मिलाता है . आप की आत्मशक्ति
को जगाता है . आप को यह अहसास कराता है की आप शरीर है नहीं , आप मन है नहीं तो
फिर माइग्रेन होगा किसको .
पर माइग्रेन का दर्द तो होता है क्यों ?
क्यों की आप इन शरीर और मन में होने वाले परिवर्तनों को ठीक
से समझ नहीं पाते है . आप विचार कैसे सच में बदल जाते है इसे समझ नहीं पाते है .
क्यों ?
क्यों की जब तक हमारी इन्द्रियाँ ठीक से विकसित नहीं होती
है तो हमे प्रकृति कैसे कार्य करती है , कैसे सुख दुःख प्रकट होते है , कैसे जीव जन्म
लेता है और और फिर कैसे प्रकृति जीव का जीवन चक्र चलाती है इन सब का अविकसित इन्द्रियों के कारण
वास्तविक ज्ञान नहीं होता है और जो अनुभव होता है उसे ही हम सच मान लेते है . इस
प्रकार से जब आप क्रियायोग ध्यान का पूर्ण श्रद्धा , भक्ति और विश्वास के साथ अभ्यास करेंगे तो हर
प्रकार के वहम से आप हमेशा हमेशा के लिए मुक्त हो जायेंगे . धन्यवाद जी . मंगल हो जी .